अमरावती

अधिष्ठाता की नियमबाह्य नियुक्ति मामले में सहसंचालक भेजेंगे रिपोर्ट

अधिष्ठाता रघुवंशी सहित पूर्व कुलगुरू चांदेकर के जांच की उठ रही मांग

अमरावती/प्रतिनिधि दि.१० – स्थानीय संत गाडगेबाबा अमरावती विश्वविद्यालय में अधिष्ठाता पद पर डॉ. एफ. सी. रघुवंशी की नियमबाह्य नियुक्ति के मामले में उच्च शिक्षा विभाग के सहसंचालक को अपनी वस्तुनिष्ठ रिपोर्ट भेजनी होगी. जिसे लेकर सरकार की ओर से निर्देश दिये गये है. वहीं दूसरी ओर अब तत्कालीन कुलगुरू डॉ. मुरलीधर चांदेकर सहित नियमबाह्य तरीके से अधिष्ठाता नियुक्त किये गये डॉ. एफ. सी. रघुवंशी की उच्चस्तरीय जांच कराये जाने की मांग भी जोर पकड रही है.
इस संदर्भ में प्राचार्य निलेश गावंडे ने मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे तथा उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री उदय सामंत को भेजी गई रिपोर्ट में अमरावती विद्यापीठ के कामकाज की पोल खोल करते हुए कहा कि, डॉ. रघुवंशी की नियुक्ति नियमबाह्य रहने के चलते उन्हें वेतन अदा नहीं किया जा सकता. प्राचार्य गावंडे के मुताबिक किसी भी व्यक्ति को अधिष्ठाता पद पर नियुक्त करते समय संबंधित व्यक्ति का किसी महाविद्यालय में प्राचार्य पद पर रहना आवश्यक होता है, किंतु डॉ. रघुवंशी इस पद पर नियुक्ति के समय किसी भी महाविद्यालय के प्राचार्य नहीं थे, बल्कि प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त हो चुके थे. जिसके चलते तत्कालीन शिक्षा सहसंचालक संजय जगताप ने रघुवंशी की नियुक्ति पद अपनी आपत्ति दर्ज करायी थी. लेकिन इसके बावजूद तत्कालीन कुलगुरू डॉ. मुरलीधर चांदेकर का आग्रह रहने के चलते डॉ. चांदेकर को अधिष्ठाता पद पर नियुक्त किया गया. साथ ही उन्हें नियमबाह्य तरीके से दो माह का वेतन देने का षडयंत्र भी रचा गया. ऐसे में अब राज्य सरकार की ओर से दिये गये निर्देश के चलते उच्च शिक्षा सहसंचालक केशव तुपे को इस बारे में अपनी वस्तुनिष्ठ रिपोर्ट भेजनी होगी. जिसके पश्चात सरकार के निर्देशानुसार एक समिती गठित की जायेगी. जिसमें सदस्य के तौर पर शामिल किये जाने हेतु विद्यापीठ द्वारा अपने विधि अधिकारी एड. मंगेश जायले का नाम भेजा गया.

  • अधिष्ठाता रघुवंशी का 83 लाख रूपये का वेतन बकाया

शिकायतकर्ता प्राचार्य निलेश गावंडे के मुताबिक डॉ. एफ. सी. रघुवंशी को अधिष्ठाता पद पर नियुक्त करने हेतु तत्कालीन कुलगुरू डॉ. मुरलीधर चांदेकर ने काफी उठापटक की और नियुक्ति संबंधी निर्देशों की अनदेखी भी की गई. इसके साथ ही नियमबाह्य तरीके से अधिष्ठाता पद पर नियुक्त किये गये डॉ. रघुवंशी को दो वर्ष हेतु 83 लाख रूपये वेतन देने का भी प्रयास किया गया. हालांकि अभी इस वेतन का भुगतान होना बाकी है. जिसके लिए प्राचार्य गावंडे ने अपनी शिकायत में पूरी तरह से तत्कालीन कुलगुरू डॉ. चांदेकर को जिम्मेदार बताया है.

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