अमरावती

चिखलदरा में बीते 1 माह में 27 लोगों को बंदरों ने किया जख्मी

वन विभाग की लापरवाही का नतीजा

  • बंदरों के आतंक से सैलानियों में भय

चिखलदरा प्रतिनिधि/दि.1 – पर्यटन नगरी में वन विभाग की ओर से नये-नये नियम बनाकर जनता की परेशानियों को बढाने का काम किया जा रहा है. वही दूसरी ओर लंगूरो के आतंक पर रोक लगाने ध्यान नहीं दिया जा रहा है. जिसके चलते लाल मुंह वाले लंगूरों ने सैलानियों में भय पैदा कर दिया है. बीते 1 माह में बंदरों के हमले में 27 लोग घायल हुए है. यहां बता दे कि चिखलदरा पर्यटन नगरी में सैलानियों का नियमित आना जाना रहता है. चिखलदरा में आकर पर्यटक यहां के हसीनवादियों का लुत्फ उठाते है. यहां पर आनेवाले सैलानियों को लाल मुंह के बंदरों का सामना करना पडता है. पहले तो यहां के बंदर घर व दुकानों में प्रवेश कर सामान ले जाते थे. या फिर राह चलते व्यक्ति के हाथ से सामान छिनते थे. लेकिन अब सैकडों की तादाद में रहनेवाले बंदरों की टीम में बन गई है और यह टीमें अलग-अलग जगह पर आतंक मचा रही है. देवी पाइंट, भीमकुंड, पंचबोल जैसे पाइंट पर बंदर पर्यटको पर हमला करने से भी नहीं डर रहे है. बीते एक माह के घटनाक्रम पर नजर डाले तो बंदरों ने 27 लोगों को जख्मी किया है. इनमें से ज्यादा तर पर्यटको का समावेश है.लेकिन वन विभाग की ओर से इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. बंदरों के हमले में 2 जनवरी को मडकी निवासी शुभम बोके, 4 जनवरी को कोमल, राधिका, रोहित, अजय राठोड, अकोला के सुनील जाधव, नागपुर के अथक ठोसरे, सूरत के क्रीसवी मस्के, नागपुर विजय लंगडे, यवतमाल के सोनाली यादव, चांदुरबाजार के एहजान अहमद, कलमखार के हरीश हाते, खंडवा के प्रभात घडाई, जलगांव की सप्रिया पाटिल, वर्धा के रामा राउत, बुरहानपुर के आयुष महाजन, अमरावती की चंद्रकला थोरात, मुंबई की सुनीता नामदेव, परतवाडा के हरिश बुंदेले, वाशिम के अमोल मेघड, वाशिम की मनिया सैय्यद, अमरावती के कुसुम पोहोकर, हिंगनघाट के टेकचंद देशवाले, गिरीश वाटकर का समावेश है. वन परिक्षत्र अधिकारी ओ.एच.वाडके ने बताया कि बंदरों को पकडने के लिए पिंजरे बुलाए गये है. जल्द ही बंदरों को पकडा जायेगा.

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