भारतीय संस्कृति में हर किसी को मातृ, गुरु व समाज का ऋण चुकाना आवश्यक है
प्रा. डॉ. ए. बी. मराठे का प्रतिपादन
अमरावती/दि.1– भारतीय संस्कृति में हर किसी को मातृ, गुरु, व समाज का ऋण चुकाना आवश्यक है. ऐसा प्रतिपादन प्रा. डॉ. ए. बी. मराठे ने व्यक्त किया. वे अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ द्वारा आयोजित गुरु वंदन समारोह में बतौर प्रमुख वक्ता के तौर पर बोल रहे थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रा. मिलन ताई भोंडे ने की. इस अवसर पर प्रा. डॉ. नंदकिशोर ठाकरे, प्रा. डॉ. रेखा मग्गीरवार, डॉ. संजय खेरडे उपस्थित थे.
कार्यक्रम की शुुरुआत मान्यवरों के हस्ते दीप प्रज्वलन से की. उसके पश्चात प्रा. डॉ. दिनेश खेडकर ने महासंघ के प्रेरणादायी गीत का प्रदर्शन किया. शिक्षक व प्राचार्य के रुप में प्रशासनीक कार्यकाल व विद्यापीठ स्तर की विविध समिति में किये गये कार्य को लेकर डॉ. प्रा. ए. बी. मराठे का शाल, श्रीफल प्रदान कर सत्कार किया गया.
सम्मान का प्रत्युत्तर देते हुए, प्राचार्य डॉ. ए. बी. मराठे ने कहा कि गुरु के मार्गदर्शन पर शिष्य का जीवन निर्भर करता है और गुरु की त्याग और समर्पण की भावना शिष्य के जीवन को उत्सवमय और समाजाभिमुख बना सकती है. उन्होंने गुरु की महत्ता बताते हुए वेद, रामायण, महाभारत और पश्चिमी गुरु-शिष्य परंपरा के सॉक्रेटीस से लेकर डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, आचार्य प्रफुलचंद रे, प्रो. गज्जर, डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम तक कई गुरु-शिष्य परंपरा के उदाहरण दिए. कार्यक्रम का संचालन डॉ. दिनेश खेडकर ने किया व आभार प्रा. डॉ. मंगेश अडगोकार ने माना. कार्यक्रम को सफल बनाने सभी प्राध्यापक व संघ के पदाधिकारियों ने अथक प्रयास किये.