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महाराष्ट्र में ‘आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपैय्या’

आर्थिक सर्वे रिपोर्ट से सामने आई बिकट स्थिति

* राज्य पर आर्थिक संकट के बादल गहराए
मुंबई /दि. 7- महाराष्ट्र के सन 2024-25 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था के 7.3 फीसद से बढने का अनुमान है. जो भारत की 6.5 प्रतिशत जीडीपी की वृद्धि से अधिक है. फिलहाल की कीमतो पर राज्य का सकल राज्य देशांतर्गंत उत्पादन (जीएसडीपी) 45.31 लाख करोड रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है. जबकि वास्तविक जीएसडीपी 26.12 लाख करोड रुपए रहने का अंदाज है. कृषि एवं संलग्न क्षेत्र में 8.7 फीसद, उद्योग में 4.9 फीसद तथा सेवा क्षेत्र में 7.8 फीसद वृद्धि व्यापक विस्तार को दर्शाती है. देश में महाराष्ट्र आर्थिक रुप से सबसे आगे है और देश कुल जीडीपी में 13.5 फीसद योगदान दे रहा है. महाराष्ट्र में सन 2023-24 में प्रति व्यक्ति सालाना आय 2.78 लाख रुपए थी. जिसका सन 2024-25 में 3.09 लाख रुपए तक बढाना निश्चित है. जो पूरे राज्य की आय में वृद्धि को दर्शाती है. जून 2024 में शुरु हुई मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिण योजना के जरिए सरकार ने सामाजिक कल्याण विशेषकर महिलाओं को प्राधान्य देते हुए दिसंबर 2024 तक इस योजना के तहत 2.38 करोड महिलाओं को 17505.90 करोड रुपयों की आर्थिक मदद प्रदान की. वहीं दूसरी ओर राज्य के समक्ष आर्थिक संकट बढ गया है और राजस्व आय की तुलना में खर्च अधिक हो गया है. विशेष तौर पर कर्ज व ब्याज की ऐवज में काफी बडी रकम खर्च हो रही है. ऐसे में अपने खर्चों को पूरा करने के लिए नया कर्ज निकालने के अलावा महाराष्ट्र राज्य के समक्ष अन्य कोई पर्याय नहीं है, यानी कुल मिलाकर स्थिति ‘आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपैय्या’ वाली है.
राज्य के उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री अजित पवार ने आज राज्य विधान मंडल के जारी बजट सत्र दौरान आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट को पेश किया. जिसकी ओर सभी का ध्यान लगा हुआ था. इस रिपोर्ट के जरिए पता चलता है कि, वर्ष 2024-25 के लिए राज्य का राजस्व जमा 4 लाख 99 हजार 463 करोड तथा राजस्व खर्च 5 लाख 19 हजार 514 करोड रुपए अपेक्षित है. साथ ही कर, राजस्व एवं करेतर राजस्व (केंद्रीय अनुदान सहित) क्रमश: 4 लाख 19 हजार 972 करोड व 79 हजार 491 करोड रुपए अपेक्षित है. सन 2024-25 में प्रत्यक्ष राजस्व जमा 3 लाख 81 हजार 80 करोड रुपए हुई है. जो बजटीय अनुमान की तुलना में 76.3 फीसद है. वहीं बजटीय अनुमान के मुताबिक सन 2024-25 हेतु राज्य का राजस्व खर्च 5 लाख 19 हजार 514 करोड रुपए अनुमानित है. स्थुल राज्य उत्पन्न की तुलना में कर्ज और ब्याज पर 17.3 फीसद रकम खर्च हो रही है. वहीं सन 2024-25 के बजटीय अनुमान के मुताबिक राजकोषिय घाटा 2.4 फीसद एवं राजस्व घाटा 0.4 फीसद है.
इस सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक गत वर्ष बारिश अच्छी हुई. जिसके चलते कृषि क्षेत्र की स्थिति शानदार रही, जिसमें राज्य की अर्थव्यवस्था ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. परंतु उद्योग व सेवा क्षेत्र जैसे दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों में गत वर्ष की तुलना में राज्य काफी पिछड गया. गत वर्ष राज्य में अच्छी बारिश होने के चलते कृषि एवं कृषि से संलग्नित विभागों की विकास दर इस बार 8.7 फीसद अपेक्षित की गई थी. वर्ष 2024 में राज्य में औसत की तुलना में 116 फीसद बारिश हुई थी और 203 तहसीलों में औसत से अधिक पानी बरसा था. इसके चलते इस बार खेती किसानी की स्थिति शानदार रही. वर्ष 2023 में बारिश कम होने की वजह से कृषि क्षेत्र की विकास दर 3.3 फीसद थी. जिसकी तुलना में इस वर्ष 8.7 फीसद विकास दर राज्य के लिए उपयुक्त साबित हुई. परंतु उद्योग क्षेत्र व सेवा क्षेत्र की विकास दर में काफी हद तक कमी आई है. जिसके चलते इस वर्ष महाराष्ट्र की औसत विकास दर में गिरावट देखी जा रही है. जिसका सीधा परिणाम राज्य की सकल राज्य देशांतर्गंत आय पर पडता भी नजर आ रहा है.


* 8 हजार करोड के कर्जतले दबा है महाराष्ट्र
– नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने लगाया गंभीर आरोप
– पुरक मांगो के जरिए सरकारी तिजोरी पर डल्ला मारने की बात कही
राज्य विधान मंडल के दोनों सदन में उपमुख्यमंत्री व वित्तमंत्री अजित पवार द्वारा आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के रखे जाने पश्चात विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने कहा कि, इस समय महाराष्ट्र राज्य के सिर पर 8 हजार करोड रुपयों का कर्ज है. इसके बावजूद सत्ता पक्ष के विधायकों द्वारा प्रस्तुत पुरक मांगो के जरिए सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ करने का काम किया जा रहा है. साथ ही उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि, सरकार द्वारा बडी-बडी घोषणाएं तो की जाती है, लेकिन उन घोषणाओं पर प्रत्यक्ष में कोई अमल नहीं किया जाता. ऐसे में राज्य सरकार ने राज्य के बिगडे हुए आर्थिक समिकरण को संभालने हेतु लोकप्रिय योजनाओं के पीछे भागने की बजाए ठोस काम करने की ओर ध्यान देना चाहिए.
इस समय नेता प्रतिपक्ष दानवे ने यह भी कहा कि, राज्य सरकार ने 6486 करोड रुपयों की पुरक मांगे पेश की है. जिसमें से 2133 करोड रुपए की रकम केंद्र पुरस्कृत कार्यक्रम अंतर्गत रहनेवाली योजनाओं के लिए है. साथ ही कौशल्य विभाग की स्कील इंडिया योजना हेतु निधि की जरुरत रहने के बावजूद भी इसकी अनदेखी की गई है. साथ ही जलसंपदा विभाग में 27 करोड रुपए उपलब्ध रहने के बावजूद इसमें से 14 करोड रुपए भी खर्च नहीं हुए है. इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा निधि के वितरण में की जानेवाली असमानता तथा लंबे समय से प्रलंबित रहनेवाले प्रकल्पों के मुद्दे भी अंबादास दानवे द्वारा सदन में उठाए गए.

 

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