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परिजनों की अंधश्रध्दा
चिखलदरा/दि.4 – केवल तीन वर्ष के मासूम के शरीर पर लोहे की गरम सलाख से चटके दिए जाने का सनसनीखेज प्रकार फिर एक बार मेलघाट में प्रकाश में आया है. जिससे इस लडके की तबियत चिंताजनक है. उस पर जिला सरकारी अस्पताल में ईलाज शुरू है. इसी बीच अंधश्रध्दा से इससे पहले भी ऐसी ही घटनाएं प्रकाश में आयी थी. यह विशेष.
ईलाज के नाम पर निरक्षरता और अंधश्रध्दा के बीच फंसे आदिवासियों के मासूम बच्चे दम्मा जैसे निंदनीय कृप्रथा के जाल में फंसे है. ऐसे मामले इससे पहले भी प्रकाश में आए है. इसमें बच्चों को निर्ममता से गरम लोहे की पट्टी से चटके दिए जाते है. राजरत्न जामुनकर (खटकली) यह उस पीडित बेटे का नाम है. उसे मामूली बुखार आया था. जिस पर धामणगांव के निजी अस्पताल में उस पर ईलाज किए गये थे. लेकिन उसका बुखार कम नहीं हुआ. जब बुखार बढता गया तब परिजन उसे मांत्रिक के पास ले गये. वहां ईलाज के नाम पर उसके समूचे शरीर को गरम सलाख कर चटके दिए गये. जिससे बच्चे के शरीर पर अनेको जख्म हुए है. बुधवार को जब उसकी तबियत चिंताजनक हुई तब उसे एम्बुलेंस 108 की मदद से इर्विन अस्पताल में दाखल किया गया. वह बेहोश रहने की बात कही जाती है. इस बीच चिखलदरा पुलिस इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है.
परिजनों ने ईलाज को किया था इनकार
यह बालक 8 दिनों से भुमका के पास रहने की जानकारी मिली है. उसके पेट पर चटके दिए गये थे. उस बालक को बुधवार को अस्पताल में ईलाज के लिए लाया था. किंतु घर के लोग ईलाज करने के लिए तैयार नहीं थे. ऐसा रहते हुए भी उस बालक को बालरोग विशेषज्ञ डॉक्टर समेत डॉ. चव्हाण और मैने जांच की और प्राथमिक ईलाज किया. किंतु उसे आगामी ईलाज के लिए सिटी सी सेंटर में भर्ती करना आवश्यक था. उसके लिए अमरावती रेफर किया.
– डॉ. संजय पवार,
वैद्यकीय अधीक्षक,
चिखलदरा