चिखलदरा/दि.14– मेलघाट में झोलाछाप बंगाली डॉक्टरों का बोलबाला है. गरीब आदिवासी मरीज का इलाज सडक पर ही इंजेक्शन व सलाइन लगाकर 15 मिनट में किया जा रहा है. कई बार शिकायते करने पर भी संबंधित विभाग जानबूझकर ध्यान नहीं दे रहा है. ऐसा आरोप लगाया जा रहा है.
एक मोटर साइकिल पर औषधी से भरी काली बैग लेकर गांव के हर गली कुचे में आप के घर पर कोई बीमार है क्या? ऐसा पूछते हुए घूम रहे है. एक फोन करते ही झोलाछाप डॉक्टर हाजिर हो जाते है. एक पेशंट का इलाज 2-2 डॉक्टर करते है. कई बार दोनों के बीच झगडे भी नागरिकों ने देखें है. जामली आर निवासी सुखराम जामुनकर खेत में काम कर रहा था. उसे अचानक चक्कर आकर वह बेहोश हो गया. उसे घर पर लाने के बाद गांव में सरकारी डॉक्टर व स्वास्थ सेविका मौजूद न रहने से झोलाछाप डॉक्टर को बुलाया गया. लेकिन मैं रसोई बना रहा हूं. थोडी देर बाद आता हूं. ऐसा उसने मरीज के रिश्तेदारों को बताया. कुछ देर तक राह देखने के बाद वह डॉक्टर न आने से दूसरे झोलाछाप को बुलाया गया. वह तुरंत हाजिर हुआ और मरीज को घर के सामने बरामदे में खाट पर सुलाकर सलाइन लगा उसे दो इंजेक्शन मिलाकर वह दुसरे पेशेंट का इलाज करने चला गया. कुछ ही देर के बाद डॉक्टर आया और कुछ गोलियां देकर 500 रुपये वसूल कर लिए.
मेलघाट में झोलाछाप डॉक्टरों के पास स्वास्थ विभाग का किसी तरह का डिप्लोमा या डिग्री नहीं है. फिर भी वह खुलेआम मरीज का इलाज कर रहे है. उनके पास हर बीमारी का इलाज है. पाइल्स, भगंदर, हार्निया जैसी बीमारी का इलाज 5 से 7 हजार रुपये में किया जाता है. अनेक मरीजों के साथ धोखाधडी किए जाने के बावजूद भी शिकायत करने के लिए कोई तैयार नहीं होता है.
स्वास्थ केंद्र पर लगा ताला
मेलघाट के अनेक गांवों में स्थापित स्वास्थ उपकेंद्र बंद रहते है. इसी वजह से गत सप्ताह में बागलिंगा में दो बच्चों की मौत हो गयी. जामली आर गांव के स्वास्थ उपकेंद्र पर हमेशा ताला लगा रहता है. दौ सालों से यहां पर स्वास्थ सेविका नहीं है. यहां से टेंबू्रसोंडा का प्राथमिक स्वास्थ केंद्र 10 किमी. दूर है. जिसके कारण मरीज को समय पर इलाज मिलना मुश्किल हो गया है. इस गंभीर समस्या की ओर स्वास्थ विभाग कब ध्यान देगा. ऐसा सवाल पूछा जा रहा है.