अमरावतीमहाराष्ट्र

राणा मैदान में , बर्वे मैदान के बाहर

जाती प्रमाण पत्र के मुद्दे पर न्यायालय का फैसला

अमरावती/दि.05 – एक ही मुद्दे पर दो अलग-अलग न्यायालय दिये गए फैसले के कारण एक राजनितीक पार्टी की महिला उम्मीदवार को चुनाव लडने के अवसर छिन गया है. वही दूसरी महिला उम्मीदवार के चुनाव लडने के दरवाजे खुल गए है. यह दोनों ही निर्णय भाजपा के रास्ते पर गिरने वाले ठहरे है. यह मुद्दा है जाती प्रमाणपत्र के व उम्मीदवार है. कॉग्रेस की रश्मी बर्वे(रामटेक) व भाजपा की नवनीत राणा( अमरावती) बुधवार को नागपुर में उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ व्दारा व दिल्ली सर्वोच्च न्यायालय व्दारा जाती प्रमाण पत्र के संदर्भ में फैसला दिया. एक निर्णय रामटेक की कॉग्रेस उम्मीदवार रश्मी बर्वे के संदर्भ में था. तथा सुप्रीम कोर्ट व्दारा दिया गया फैसला भाजपा के अमरावती के उम्मीदवार नवनीत राणा के संदर्भ में था.

रामटेक लोकसभा चुनावी क्षेत्र से रश्मी बर्वे ने कॉग्रेस से उम्मीदवारी अर्ज भरा था. सिर्फ उस पर आक्षेप लेने पर जांच के लिए जांच के लिए सरकारी यंत्रणा ने इतनी तत्परता से काम बताया कि एक ही दिन में जांच व अन्य प्रक्रिया पुरी कर जात पडताल समिती व्दारा उनका अर्ज रद्द किया गया. जिसके कारण उनकी उम्मीदवारी अर्ज बाहर कर दी गई. उन्होनें समिती के निर्णय को हाईकोर्ट में अपील की है. दूसरे प्रकरण अमरावती की सांसद नवनीत राणा का है. 2019 में अमरावती चुनाव क्षेत्र से विजयी होनेके बाद उनके 2021 में जात प्रमाण पत्र रद्द हो गया था. उन्होनें उसे सुप्रीम कोर्ट में अपील की. बाकी समय तक उनकी सांसदी कायम बची रही. इसके पहले उन्होनें भाजपा में प्रवेश किया. तो उन्हें अमरावती की उम्मीदवारी दी गई.

इन दोनोें ही प्रकरण में फैसला गुरुवार को लगा. रश्मी बर्वे की जात प्रमाण पत्र रद्द करने के जात पडताल समिती का निर्णय उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया. मगर चुनाव प्रक्रिया के आगे बढने के कारण व उनके हस्तक्षेप करने से न्यायालय ने नकारे गए बर्वे को न्यायालय ने दिए गए दिलासे का भी कुछ उपयोग नहीं हुआ. वे चुनावी मैदान से बाहर फेंक दी गयी. राणा के प्रकरण में भी सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया. उनके जात प्रमाण पत्र अवैध रहने का उच्च न्यायालय ने निर्णय रद्द किया. जिसके कारण राणा के चुनाव लडने का मार्ग प्रसस्थ हो गया. उन्होनें अर्ज भर दिया.

फैसला भाजपा के राह पर
राजनितीक दृष्टी से दोनों ही प्रकरण की ओर देखा जाए तो भाजपा का इससे संबंध दिखाई देता है. नवनीत राणा ने कॉग्रेस- राष्ट्रवादी के समर्थन से सेना-भाजपा युती के विरोध में अपक्ष के रुप में चुनाव लड कर जीत हासील की थी. मगर चुन के आते ही उन्होनें केंद्र में मोेदी को समर्थन दिये थे. राज्य में महाविकास आघाडी सरकार के विरोध में आंदोलन किए. उनकी भाजपा से नजदीकी बढी. 2021 में जात प्रमाण पत्र रद्द होने के बावजूद भी उनका लोकसभा सदस्यत्व बाकि रहा. रश्मी बर्वे ने कॉग्रेस से भाजपा के विरोध में लड कर जिला परिषद में चुन कर आई. रामटेक से लोकसभा लोकसभा चुनाव लडने की बात स्पष्ट होते ही उनके जात प्रमाण पत्र पर आक्षेप लिया गया. उसकी जांच के लिए सरकारी यंत्रणा तत्पर्ता से काम पर लगी. रामटेक में भाजपा ने आयात किए गए उम्मीदवार शिंदे गुट की ओर से चुनाव लड रहे है. यह उल्लेखीत है.

रश्मी बर्वे को दिलासा, मगर चुनाव मैदान से बाहर

जिला परिषद की पूर्व अध्यक्षा व कॉग्रेस नेता रश्मी बर्वे की जात वैधता प्रमाण पत्र जिला जात प्रमाण पत्र पडताल समिती व्दारा रद्द किया गया है. इसके कारण उनका रामटेक लोकसभा चुनाव से अर्ज रद्द कर दिया गया है. इसके विरुध्द बर्वे ने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपूर खंडपीठ में अपील की है. उच्च न्यायालय व्दारा गुरुवार रश्मी बर्वे को दिलासा ेदकर जात वैधता समिती के निर्णय को स्थगिती दी है. मगर चुनाव प्रक्रिया शुरू होे पर उनके हस्तक्षेप करने पर नकार दिया. जिसके कारण बर्वे को दिलासा मिला तो है मगर वह अब भी चुनाव मैदान से बाहर है. यह स्पष्ट हो गया है.

नवनीत राणा की जात प्रमाण पत्र वैध ठहराकर सर्वोच्च न्यायालय ने प्रकार से नवनीत राणा को आर्शिवाद दिया है. आज तक इस मुद्दे पर जो लोग पोपट के जैसे बोलते थे. उनके मुंह पर यह एक तरह की थप्पड है. अमरावती से नवनीत राणा बहुत भारी मतों से चुन कर आएगी.
देवेन्द्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री.

 

 

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को ठुकराया

मुंबई हाईकोर्ट ने राणा के जात प्रमाणपत्र 2021 में अवैध ठहरा दिया था. जिसके बाद उन्होनें सर्वोच्च न्यायालय की ओर रुख किया. इस प्रकरण में दोनों ही पक्ष के युक्तिवाद 28 फरवरी को पूर्ण हुआ. न्यायालय व्दारा फैसला रोक कर रखा. आखिर गुरुवार को निर्णय सुनाया गया. छाननी समिती ने योग्य जांच कर व संबंधित दस्तावेजों पर विचार कर राणा के जात प्रमाण पत्र को वैध ठहराया.
प्रतिक्रिया- फोटो देवेन्द्र फडणवीस

 

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