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सन 72 के चुनाव में विपक्षी दलों का हुआ था सुपडा साफ, 17 प्रत्याशियों की हुई थी जमानत जब्त

जिले की सभी 8 सीटों पर कांग्रेस ने हासिल की थी एकतरफा जीत

* मेलघाट से पहली बार जीते रामू पटेल को मिला था मंत्रिपद
* बडनेरा से चौथी बार जीते थे पी. के. देशमुख
* दर्यापुर से दूसरी बार जीतकर तीसरी बार विधायक बनी थी कोकिला गावंडे
अमरावती/दि. 16 – महाराष्ट्र विधानसभा के लिए वर्ष 1972 में हुए तीसरे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर शानदार प्रदर्शन करते हुए जहां एक ओर राज्य की 270 सीटों में से 222 सीटे जीती थी. वहीं अमरावती जिले की सभी 8 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत हासिल करते हुए एकतरह से विपक्षी दलो व प्रतिस्पर्धी प्रत्याशियों का सुपडा साफ कर दिया था. सन 1972 के चुनाव में विशेष उल्लेखनीय यह रहा कि, सन 67 के चुनाव में हार का सामना करनेवाले पी. के. देशमुख ने बडनेरा से तथा सांगलुदकर परिवार की ओर से कोकिला जगन्नाथ गावंडे पाटिल ने दर्यापुर से शानदार जीत हासिल करते हुए विधानसभा में वापसी हुई थी. वहीं पहली बार विधायक निर्वाचित होनेवाले रामू पटेल (मेलघाट) व मल्हार माहुलकर (मोर्शी) को तत्कालीन मुख्यमंत्री वसंतराव नाईक के मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था.
सन 1972 के विधानसभा चुनाव को कांग्रेस के लिहाज से इसलिए भी विशेष कहा जा सकता है कि, इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों ने सभी आठों सीटों पर जीत दर्ज करने के साथ ही जबरदस्त वोट हासिल किए थे. इसके चलते आठों विधानसभा क्षेत्रों में कई प्रतिस्पर्धी प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई थी. वहीं इसी चुनाव के बाद जलगांव खांदेश की एक सीट से विधायक निर्वाचित प्रतिभा पाटिल को नाईक सरकार के मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री के तौर पर शामिल किया गया था. जो आगे चलकर अमरावती की बहू बनी थी. तथा विधायक व सांसद बनने के साथ ही राजस्थान की राज्यपाल व देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति भी बनी थी.

* सन 72 के चुनाव में अकाल था सबसे बडा मुद्दा
– अगले पांच साल रहे उथल-पुथल भरे
– तीन बार बदले गए सीएम, आपातकाल भी लगा था
– विशेष उल्लेखनीय यह है कि, सन 1972 के विधानसभा दौरान अकाल अपनेआप में सबसे बडा मुद्दा था. उस समय महाराष्ट्र से वास्ता रखनेवाली यशवंतराव चव्हाण केंद्र में मंत्री हुआ करते. जिन्होंने केंद्र से महाराष्ट्र हेतु काफी मदद भी भेजी थी. सन 72 के चुनाव पश्चात वसंतराव नाईक एक बार फिर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनाए गए थे. परंतु उन्हें 20 फरवरी 1975 को अपने पद से इस्तीफा देना पडा था. इसके बाद शंकरराव चव्हाण को मुख्यमंत्री बनाया गया. परंतु उसी वर्ष 25 जून को देश में आपातकाल लगाने की घोषणा हुई थी. जिसके चलते चव्हाण को भी मुख्यमंत्री पद से हटना पडा था और आपातकाल के खत्म होने पश्चात 17 मई 1977 को वसंतदादा पाटिल ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर अपना जिम्मा संभाला था.

* शिवसेना व इंडियन मुस्लिम लीग आए थे अस्तित्व में
– मतदाता संख्या, मतदान का प्रतिशत और कांग्रेस से जनाधार में वृद्धि
सन 1972 का चुनाव महाराष्ट्र के लिए इस वजह से भी खास रहा कि, उस चुनाव में पहली बार शिवसेना और इंडियन मुस्लिम लीग जैसे दो राजनीतिक दलों ने भी हिस्सा लिया था और दोनों ही दलों के एक-एक प्रत्याशी विजयी होते हुए विधायक निर्वाचित हुए थे. उस चुनाव में सन 1962 व 1967 के चुनावो की तुलना में मतदाता संख्या बढने के साथ ही मतदान का प्रतिशत भी बढा था और कांग्रेस को मिलनेवाले वोटो में 10 फीसद का इजाफा हुआ था. सन 1972 के चुनाव में राज्य के 2 करोड 58 लाख 69 हजार 383 मतदाता पंजीकृत हुए थे. जिसमें से 1 करोड 56 लाख 83 हजार 429 यानी 61 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. इसमें से अकेले कांग्रेस को ही 85 लाख 35 हजार 732 वोट मिले थे. इसकी बदौलत कांग्रेस ने कुल 270 में 222 सीटों पर चुनाव जीता था.


* अमरावती सीट से रिकॉर्ड वोटो के साथ जीते थे बबनराव मेटकर
सन 1972 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अमरावती विधानसभा क्षेत्र से दत्तात्रय उर्फ बबनराव नागोराव मेटकर को अपना प्रत्याशी बनाया था. जिन्होंने अमरावती क्षेत्र में हुए 48,359 वैध वोटो में से रिकॉर्ड 41,157 यानी 85.11 फीसद वोट हासिल करते हुए करीब 36 हजार वोटो की लीड से जीत हासिल की थी. उस चुनाव दौरान अमरावती क्षेत्र में 94,700 मतदाता पंजीकृत थे. जिसमें से 49,438 यानी 52.20 फीसद मतदाताओं ने मतदान किया था. तथा 48,359 वोट वैध पाए गए थे. जिसमें से कांग्रेस प्रत्याशी बबनराव मेटकर को 41,157 वोट मिले थे. वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी एवं जनसंघ प्रत्याशी सातप्पा शिवप्पा कोल्हे को मात्र 4505 यानी 9.32 फीसद वोटो पर संतोष करना पडा था.


* बडनेरा से पी. के. देशमुख चौथी बार विधायक बने
सन 1952, 1957 व 1962 में वलगांव से एक बार तथा बडनेरा से दो बार विधायक निर्वाचित होने के साथ ही तीनों ही बार मंत्री बननेवाले पुरुषोत्तम उर्फ पी. के. देशमुख को सन 1967 के चुनाव में रिपाइं प्रत्याशी के. बी. श्रुंगारे के हाथों हार का सामना करना पडा था. लेकिन सन 1972 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल करने के साथ ही पी. के. देशमुख ने रिपाइं प्रत्याशी के. बी. श्रुंगारे को पराजित कर अपनी पिछली हार का हिसाब-किताब पूरा कर लिया था और वे चौथी बार विधायक निर्वाचित हुए थे. सन 1972 के चुनाव में बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से 97,570 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 68,862 यानी 70.58 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था और 67,066 वोट वैध पाए गए थे. इसमें से कांग्रेस प्रत्याशी पी. के. देशमुख को 41,649 यानी 62.10 फीसद वोट मिले थे. वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी और रिपाइं प्रत्याशी के. बी. श्रुंगारे 12,019 यानी मात्र 17.92 फीसद वोट ही हासिल कर पाए थे. इस चुनाव में बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से कुल 9 प्रत्याशी मैदान में थे. जिनमें से 6 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी.


* दर्यापुर से दूसरी बार निर्वाचित हुई थी कोकिलाबाई गावंडे
* गावंडे परिवार को चौथी बार मिली थी चुनावी सफलता
सन 1952 के चुनाव में द्वि सदस्यीय प्रणाली के तहत दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार विधायक निर्वाचित होनेवाली कोकिलाबाई जगन्नाथ गावंडे ने अपना दूसरा चुनाव सन 1957 में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र से लडा और जीता था. इसके उपरांत वे राजनीति से कुछ हद तक दूर हो गई थी. वहीं उनके पति जगन्नाथ उर्फ जे. डी. पाटिल गावंडे यानी बालासाहेब सांगलुदकर ने रिपाइं प्रत्याशी के तौर पर सन 1962 का चुनाव दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र से लडा और वे विजयी भी हुए. परंतु सन 1967 के चुनाव में जे. डी. पाटिल का हार का सामना करना पडा था. ऐसे में सन 1972 के चुनाव में कोकिलाबाई गावंडे एक बार फिर कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर हिस्सा लिया और वे 50,010 वोट हासिल करते हुए करीब 32 हजार वोटो की लीड से विधायक निर्वाचित हुई. इस तरह जहां कोकिलाबाई गावंडे तीसरी बार विधायक बनकर विधानसभा में पहुंची और दर्यापुर क्षेत्र से दूसरी बार विधायक चुनी गई. वहीं जे. डी. पाटिल गावंडे के परिवार में चौथी बार विधायक पद आया.
सन 72 के चुनाव में दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र हेतु कुल 94,170 मतदाता पंजीकृत थे. जिसमें से 70,733 यानी 77.11 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था और 69,252 वोट वैध पाए गए थे. जिसमें से कांग्रेस प्रत्याशी कोकिला पाटिल को 50,010 यानी 72.21 फीसद वोट मिले थे. वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी व रिपाइं प्रत्याशी गजानन देवाजी नन्नावरे को 18,246 यानी 26.35 फीसद वोट प्राप्त हुए थे. इसके अलावा चुनावी अखाडे में मौजूद कवाडे गुट के प्रत्याशी बंडूजी गवई को मात्र 1.44 वोट मिलने से उनकी जमानत जब्त हो गई थी.

* मेलघाट से चुने गए थे रामू पटेल, मंत्री पद मिला था
आदिवासी बहुल मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी रामू म्हतांग पटेल ने सीधे मुकाबले में शानदार जीत हासिल की थी. सन 67 में मेलघाट से चुने गए दयाराम पटेल के चचेरे भाई रामू पटेल को पहली बार विधायक निर्वाचित होने के उपरांत तत्कालीन नाईक मंत्रिमंडल में शामिल करते हुए मंत्री भी बनाया गया था. बता दे कि, मेलघाट के मौजूदा विधायक राजकुमार पटेल उन्हीं रामू पटेल के भतीजे है. सन 72 के चुनाव में मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र से कुल 89,832 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 55,530 यानी 61.82 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था और 52,298 वोट वैध पाए गए थे. जिसमें से कांग्रेस प्रत्याशी रामू पटेल को 34,542 यानी 66.05 तथा उनके निकटतम प्रतिद्वंदी व निर्दलीय प्रत्याशी नारायण नानू बेढे को 17,756 यानी 33.95 फीसद वोट हासिल हुए थे.


* अचलपुर से दूसरी बार निर्वाचित हुए थे नरसिंग देशमुख
अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से सन 1967 में पहली बार विधायक निर्वाचित होनेवाले नरसिंग शेषराव देशमुख को सन 72 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने लगातार दूसरी बार अपना उम्मीदवार बनाया था और इस चुनाव में भी नरसिंग देशमुख ने शानदार जीत हासिल की थी. सन 72 के चुनाव हेतु अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र में 1 लाख 535 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 65,985 यानी 65.63 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था और 64,388 वोट वैध पाए गए थे. जिसमें से कांग्रेस प्रत्याशी नरसिंग देशमुख को 48,971 यानी 76.06 फीसद तथा उनके निकटतम प्रतिद्वंदी व रिपाइं प्रत्याशी किसन बाजीराव वानखडे को 12,266 यानी 19.05 फीसद वोट प्राप्त हुए थे. इसके अलावा चुनावी अखाडे में मौजूद जनसंघ प्रत्याशी काशीनाथ हावरे को मात्र 4.89 फीसद वोट मिलने से उनकी जमानत जब्त हो गई थी.


* मोर्शी से पहली बार विधायक बने मल्हार माहुलकर को मिला था मंत्रीपद
मोर्शी निर्वाचन क्षेत्र से सन 1972 के चुनाव में कांग्रेस ने मल्हार गणपत माहुलकर को अपना प्रत्याशी बनाया था. जिन्होंने करीब 36 हजार वोटो की लीड के साथ शानदार जीत हासिल की थी और उन्हें तत्कालीन नाईक मंत्रीमंडल में मंत्री के तौर पर भी शामिल किया गया था. उस चुनाव में मोर्शी में मोर्शी निर्वाचन क्षेत्र से कुल 99,667 मतदाता पंजीकृत थे. जिसमें 64,054 यानी 64.27 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था और 62,081 वोट वैध पाए गए थे. उस समय कांग्रेस प्रत्याशी मल्हार माहुलकर को 45,850 यानी 73.86 फीसद तथा उनके निकटतम प्रतिद्वंदी व निर्दलीय प्रत्याशी आत्माराम यावलकर को 7852 यानी 12.65 फीसद वोट मिले थे. इसके अलावा रिपाइं प्रत्याशी नारायण निंबालकर को 4877 यानी 7.86 फीसद और निर्दलीय प्रत्याशी नामदेव पाटिल को 3502 यानी 5.64 फीसद वोट हासिल हुए थे. जिसके चलते नामदेव पाटिल की जमानत जब्त हो गई थी.


* वलगांव से उत्तमराव महल्ले ने दोहराई थी सफलता
सन 1967 के चुनाव में पहली बार वलगांव निर्वाचन क्षेत्र से विधायक निर्वाचित होनेवाले उत्तमराव महल्ले ने इसी निर्वाचन क्षेत्र से सन 1972 में दुबारा कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडते हुए शानदार जीत हासिल की थी. सन 72 के चुनाव में वलगांव निर्वाचन क्षेत्र से कुल 94,023 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 62,846 यानी 66.84 फीसद मतदाताओं ने वोट डाले और 61,312 वोट वैध पाए गए. इसमें से कांग्रेस प्रत्याशी उत्तमराव महल्ले को 39,457 यानी 64.35 फीसद तथा उनके निकटतम प्रतिद्वंदी को रिपाइं प्रत्याशी गोपाल गुलाब वाघमारे को 13,160 यानी 21.46 फीसद वोट प्राप्त हुए थे. साथ ही तीसरे स्थान पर रहनेवाले एफबीएल प्रत्याशी अंबादास साबले 5247 यानी 8.57 फीसद वोट हासिल करते हुए अपनी जमानत बचाने में कामयाब रहे थे. जबकि पीडब्ल्यूपी प्रत्याशी नामदेव मोहोड, निर्दलीय प्रत्याशी पुंडलिक ओगले व भाकपा प्रत्याशी दादामियां सय्यद मो. सय्यद की जमानत जब्त हो गई थी.


* चांदुर रेलवे से पहली बार निर्वाचित हुए थे शरद तसरे
सन 1972 के चुनाव में शरद तसरे ने पहली बार कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चांदुर रेलवे निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लडा था और पहले ही चुनाव में शरद तसरे ने रिकॉर्ड 44 हजार वोटो की लीड के साथ जीत हासिल की थी. उस चुनाव हेतु चांदुर रेलवे निर्वाचन क्षेत्र में कुल 1,03,406 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 69,654 यानी 67.60 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था और 67,656 वोट वैध पाए गए थे. इसमें से कांग्रेस प्रत्याशी शरद तसरे को 48,403 यानी रिकॉर्ड 71.54 फीसद वोट मिले थे. वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी व जनसंघ प्रत्याशी गणपत बालाजी पोले को महज 5993 यानी 8.86 फीसद वोट ही मिल पाए थे. इसके अलावा तीसरे स्थान पर रहनेवाले रिपाइं प्रत्याशी कृष्णा माणिक ठवरे ने 7.21 व निर्दलीय प्रत्याशी पुनसुरंग पुनाजी ताजणे ने 6.12 फीसद वोट हासिल करते हुए जैसे-तैसे अपनी जमानत बचाई थी. वहीं कवाडे गुट के प्रत्याशी महादेव कांबले, भाकपा प्रत्याशी रामदास पालेकर, माकपा प्रत्याशी पुंडलिक धडेकर व निर्दलीय प्रत्याशी पुंडलिक जगताप व पांडुरंग महाले की जमानत भी जब्त हो गई थी.

* विधानसभा निहाय हुए मतदान तथा वैध मतदान व प्रतिशत की स्थिति
विधानसभा क्षेत्र       कुल मतदाता प्रत्यक्ष     मतदान वैध वोट    मतदान प्रतिशत
अमरावती          93,700     49,438                   48,359                 52.20
बडनेरा              97,570     68,862                   67,066                70.58
दर्यापुर              94,170      70,733                  69,252                77.11
मेलघाट            89,832       55,530                  52,298                61.82
चांदूर रेल्वे         1,03,046    69,654                  67,656               67.60
अचलपुर           1,00,535    65,985                  64,388               65.63
मोर्शी                99,667       64,054                 62,081               64.27
वलगांव             94,023       65,846                 61,312               66.84
कुल                  7,72,543    5,10,102              4,92,412             65.76

* सन 72 के चुनाव में विजयी प्रत्याशी व उनके हासिल वोट
निर्वाचन क्षेत्र विजयी प्रत्याशी प्राप्त वोट वोट प्रतिशत
अमरावती दत्तात्रय नागोराव मेटकर (कांग्रेस) 41,157 85.11
बडनेरा पुरुषोत्तम देशमुख (कांग्रेस) 41,649 62.10
दर्यापुर कोकिला गावंडे पाटिल (कांग्रेस) 50,010 72.21
मेलघाट रामू म्हतांग पटेल (कांग्रेस) 34,542 60.05
चांदूर रेल्वे शरद मोतीराव तसरे (कांग्रेस) 48,403 71.54
अचलपुर नरसिंगराव देशमुख (कांग्रेस) 48,971 76.06
मोर्शी मल्हार गणपत माहुलकर (कांग्रेस) 45,850 73.86
वलगांव उत्तमराव महल्ले (कांग्रेस) 39,457 64.35

* विधानसभा क्षेत्र निहाय प्रमुख प्रत्याशियों की स्थिति (हासिल वोट व प्रतिशत)
– अमरावती
दत्तात्रय नागोराव मेटकर (कांग्रेस) 41,157 85.11
सातप्पा शिवप्पा कोल्हे (जनसंघ) 4,505 9.32
देवीदास लक्ष्मणराव कावरे (एफबीएल) 2,227 4.61
प्रल्हाद पांडुरंग ढाणके (निर्दलीय) 470 0.97

– बडनेरा
पुरुषोत्तम देशमुख (कांग्रेस) 41,649 62.10
के. बी. श्रुंगारे (रिपाइं) 12,019 17.92
दत्तात्रय चौधरी (भाकपा) 7,313 10.90
नीलकंठ मक्रम गजभिये (निर्दलीय) 1,674 2.50
सुखदेव भागोजी तिडके (रिपा. कवाडे) 1,620 2.42
सुदाम आकाजी वाघमारे (निर्दलीय) 1,273 1.90
यादव सीताराम वाठ (जनसंघ) 1,233 1.83
प्रल्हाद गणपत अंबुलकर (निर्दलीय) 212 0.32
हरिभाऊ जवाहर ब्राह्मने (निर्दलीय) 73 0.11

-दर्यापुर
कोकिला गावंडे पाटिल (कांग्रेस) 50,010 72.21
गजानन देवाजी नन्नावरे (रिपाइं) 18,246 26.35
बंडूजी आकाराम गवई (रिपा. कवाडे) 996 1.44

मेलघाट
रामू म्हतांग पटेल (कांग्रेस) 34,542 60.05
नारायण नानू बेढे (निर्दलीय) 17,756 33.95

चांदूर रेल्वे
शरद मोतीराव तसरे (कांग्रेस) 48,403 71.54
गणपत बालाजी खोले (जनसंघ) 5,993 8.46
कृष्णा माणिक ठवरे (रिपाइं) 4,876 7.31
पांडुरंग पुनाजी काजने (निर्दलीय) 4,141 6.12
महादेव गोफलू कांबले (रिपा. कवाडे) 1,773 2.62
रामदास सखाराम पालेकर (भाकपा) 1,053 1.56
पुंडलिक सुंदरसा घडेकर (माकपा) 686 1.01
पुंडलिक आत्माराम जगताप (निर्दलीय) 413 0.61
पांडुरंग महल्ले (निर्दलीय) 318 0.47

अचलपुर
नरसिंगराव देशमुख (कांग्रेस) 48,971 76.06
किसन बाजीराव वानखडे (रिपाइं) 12,266 19.05
काशीनाथ बलीराम हावरे (जनसंघ) 3,151 4.89

मोर्शी
मल्हार गणपत माहुलकर (कांग्रेस) 45,850 73.86
आत्माराम यावलकर (निर्दलीय) 7,852 12.65
नारायण पांडुजी निंबालकर (रिपाइं) 4,877 7.86
नामदेव मारोती पाटिल (निर्दलीय) 3,502 5.64

वलगांव
उत्तमराव महल्ले (कांग्रेस) 39,457 64.35
गोपाल गुलाब वाघमारे (रिपाइं) 13,160 21.46
अंबादास साबले (एफबीएल) 5,257 8.57
नामदेव मोहोड (पीडब्ल्यूपी) 2,702 4.41

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