सोशल मीडिया के जमाने में कबाड व फेरीवालों के ‘अच्छे’ दिन
गली-गली घूमने वालों के सामने अच्छे-अच्छे सर्वेयर फेल
* कई प्रत्याशियों ने मतदाताओं का मन टटोलने लिया सहारा
अमरावती/दि.22– चुनाव प्रचार के दौरान किस प्रत्याशी की किस क्षेत्र में अच्छी हवा है और कहा कि, स्थिति कमजोर है, इसके सर्वेक्षण हेतु राजनीतिक दलों द्वारा विभिन्न सर्वेक्षण कंपनियों की सेवाएं लेते हुए लाखों रुपयों का खर्च किया जाता है. लेकिन इसके बावजूद कई बार ऐसे सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर जारी किये जाने वाले एक्झीट पोल गलत भी साबित होते है. वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया व सूचना क्रांति के इस दौर में भी गली-गली घूमकर अपना व्यवसाय करने वाले कबाड एंव फेरीवाले जमीनीस्तर पर सर्वेक्षण करने एवं जानकारी निकालने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण स्त्रोत साबित हुए है. जिनके पास कहां किसका माहौल है और कहां क्या चल रहा है, इसकी ‘परफेक्ट इंफर्मेशन’ होती है.
बता दें कि, विगत 20 नवंबर को हुए मतदान पश्चात सभी प्रत्याशियों का भविष्य ईवीएम में कैद हो गया. मतदान से दो दिन पहले तक सभी प्रत्याशियों की ओर से जोरदार प्रचार करते हुए अपने-अपने प्रचार में पूरी ताकत झोंकी गई और जिले के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्र में बडे-बडे नेताओं की सभाएं भी हुई और सभी नेताओं के प्रचार वाहन गली-गली घूमते हुए लाउड स्पीकर से प्रचार भी करते रहे. वहीं यह पूरा हंगामा 18 नवंबर की शाम 5 बजते ही शांत हो गया. जिसके बाद किस क्षेत्र में कौन सा प्रत्याशी प्रचार को लेकर आगे रहा और कहां किसकी स्थिति कमजोर है. यह जानने हेतु सभी प्रत्याशियों के कार्यकर्ताओं द्वारा अपने-अपने ढंग से सेटींग लगाई जाने लगी. जिसके तहत गली-गली में घूमने वाले कबाडवाले तथा सागसब्जी की फेरी लगानेवाले सूचना के सबसे शानदार स्त्रोत साबित हुए. जिनके द्वारा दी गई जानकारी के सामने बडी-बडी सर्वेक्षण कंपनियों के अनुमान की फेल कहे जा सकते है. ऐसे में सोशल मीडिया के जमाने में भी जमीनीस्तर से जुडे रहने वाले कबाड वालों व फेरीवालों के अच्छे दिन आ गये. क्योंकि कुछ अतिहोशियार प्रत्याशियों ने इसी बात का फायदा उठाते हुए कई फेरीवालों को हर क्षेत्र में अपनी ही हवा चलने की सुपारी दे डाली. जिसके चलते कबाडवालों व फेरीवालों द्वारा अलग-अलग क्षेत्रों में अपने व्यवसाय के लिए घूमने के साथ-साथ लोगों से बातचीत