शहर में भी ऑटो से आकर पूछते है : है क्या चावल?
राशन की कालाबाजारी, सरकारी चावल की 10 रुपए में खरीदी
अमरावती/ दि.1 – गरीबी रेखा के नीचे याने बीपीएल व अंतर्गत राशन कार्ड धारक लाभार्थियों को हर माह गेहूं, चावल मिल रहे है. कोरोना काल में भी मुफ्त अनाज प्रदान किया गया. आज भी हर माह राशन कार्ड धारकों को सस्ता अनाज की आपूर्ति की जाती है. हर माह एक परिवार को 15 से 20 किलो चावल मिलता है, इसके कारण वह चावल खुले बाजार में बेचते है. 2 से 3 रुपए प्रति किलो राशन दुकान का चावल कालाबाजारी करने के उद्देश्य से खरीदने के लिए ऑटो से घर के सामने आकर कालाबाजारी करने वाले है क्या चावल, ऐसे शब्दों में पूछकर केवल 10 रुपए प्रति किलो के दाम से चावल खरीदी कर रहे हेै.
संबंधित क्षेत्र के गलियों में ऑटो से घुमकर कालाबाजारी करने वाले चावल है क्या चावल ऐसा जोरजोर से चिल्लाकर चावल खरीदते है. रोजाना वे 50 से 10 क्विंटल राशन का अनाज खरीद लेते है. इतना सबकुछ खुलेआम होने के बाद भी शहर व जिला अनाज आपूर्ति विभाग आँखे बंद कर बैठा है. यह मामला लगातार उजागर हो रहा है, मगर संबंधित विभाग इससे अनजान है. ऐसा ही एक मामला 26 जुलाई को पुसदा में उजागर हुआ. इस मामले में वलगांव पुलिस ने मो. अजहर शेख मन्सुरी (24, अचलपुर) व सै. अन्सार सै नसीर (20, आसेगांव) यह दोनों के खिलाफ अपराध दर्ज कर दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. पुसदा में कोई व्यक्ति राशन का माल खरीद रहे है, ऐसी जानकारी पुलिस विभाग के डायल 112 पर दी गई थी. इसके आधार पर पुलिस का एक दल पुसदा की ओर रवाना हुआ. वहां पुलिस को दो व्यक्ति चारपहिया वाहन में चावल ले जाते हुए दिखाई दिये. पुलिस ने वह वाहन पकडकर वलगांव पुलिस थाने में लाया. वाहन में 50 किलो वजन के 15 कट्टे चावल बरामद हुए. पूछताछ में उन्होंने वह चावल राशन कार्ड धारकों से 15 रुपए प्रति किलो के दाम से खरीदने की बात कबूल की. वह आरोपी सरकारी अनाज खरीदकर कालाबाजारी करते है, ऐसा कबूल किया. पुलिस ने अपराध दर्ज कर कार्रवाई शुुरु की है. शहर के विभिन्न क्षेत्र में इसी तरह कालाबाजारी शुरु है, इसके खिलाफ आपूर्ति विभाग को उडन दस्ता तैयार कर कार्रवाई करने की मांग की जा रही है.