अमरावती

जिले में 180 दिनों में 11 हजार 715 लोगों को श्वानदंश

आवारा कुत्तों की झूंड बनी जानलेवा, ग्रामीण क्षेत्र में भी आतंक

  • अस्पताल में इलाज के लिए न करे लापरवाही

अमरावती/दि.22 – आवारा श्वान के चलते शहर में घुमते समय लोगों में भय का माहौल निर्माण हुआ है. शहर के साथ-साथ जिले में आवारा श्वान का प्रमाण बढ चुका है. छोटे बच्चों से लेकर तो वे वाहन चालकों को कांटते है. कुछ जगह इन आवारा कुत्तों के डर से दुर्घटनाएं भी बढ चुकी है. जनवरी से जून इस छह महिने में पूरे 11 हजार 715 लोगों को श्वानदंश हुआ है. जिसमें अमरावती शहर के 7 हजार से ज्यादा लोगोें का समावेश है.
दो माह पहले दर्यापुर शहर में एक आवारा श्वान ने 13 लोगों को काटा था, जबकि 4 जुलाई को सुबह श्वान द्वारा किये गये हमले में एक हिरन की मौत हुई थी. दो हिरन गंभीर रूप से जख्मी भी हुए थे. स्थानीय निकाय संस्था की ओर से श्वान नसबंदी में लापरवाही होने के कारण आवारा श्वान की संख्या बढ चुकी है.
शहर में रात के समय वाहन पर चलनेवाले लोगों के पीछे श्वान दौडते है. जिससे वाहन चालकों को दुर्घटना का सामना करना पडता है. शहर के झोपडपट्टी क्षेत्र में आवारा श्वानों का मुक्त संचार है. फिर भी अन्य क्षेत्रों के सडकों पर भी आवारा श्वान की झुंड पायी जाती है. अकेले इर्विन अस्पताल छह महिने में श्वानदंश के लगभग 7 हजार 297 केसेस की नोंद की गई है. आवारा श्वानों की समस्या गंभीर बनी हुई है. फिलहाल प्रशासन इस बाबत कोई भी उपाय नहीं कर रहा है. इस कारण नागरिकों ने ही सावधानी बरतना जरूरी हो चुका है. जिला सरकारी अस्पताल में रेबीज लस उपलब्ध है. श्वान ने काटा तो यह लस तत्काल लेना आवश्यक है.

आवारा घुमनेवाले श्वानों से धोका ज्यादा

शहर में आवारा घुमनेवाले श्वानों से ज्यादा धोका है. झूंड में रहनेवाले श्वान बौखलाने की संभावना ज्यादा रहती है. अस्वच्छ खाना, अस्वच्छ वातावरण के साथ ही अन्य कारणों के चलते रेबीज के विषाणु श्वान के शरीर में प्रवेश कर सकते है और बौखलाए हुए श्वान के कांटने के बाद उसका संसर्ग अन्यों को हुआ, तो रैबीज का संसर्ग उस व्यक्ति में भी हो सकता है.

लक्षण

बौखलाए हुए श्वान के दंश से रेबीज संसर्ग हुए मरीज को आमतौर पर बुखार व बुखार के लक्षण, मानसिक त्रासदी, निद्रानाश, असामान्य बर्ताव तथा पानी का डर लगना, उसका गला पूरी तरह से सूख जाना और वह बोलने का प्रयास करता है, तब श्वान के भोंकने के जैसी आवाज आती है.

इलाज

श्वानदंश की जख्म जल्द स्वच्छ करे, डॉक्टरों के सलाह के अनुसार रेबीज पर एंटी रेबीज टीका उपलब्ध है. रेबीज इमिंग्लोबुलीन का एक डोज व रेबीज टीके के चार डोज मरीज ने लेने चाहिए. रेबीज टीके का पहला डोज जख्म होने के बाद जल्द से जल्द देना चाहिए. उसके बाद 3, 7, 14 दिन बाद टीके के डोज देने चाहिए.

यहां रहती श्वान की झुंड

कचरा कुंडी के साथ ही मटन, चिकन की दुकान, चायनीज की दुकान, कत्लखाने व कंपोस्ट डिपो परिसर में श्वानों की झूंड कायम है. चायनीज की गाडियों पर रहनेवाला कचरा कई बार गटर के किनारे डाला जाता है. इस परिसर में भी श्वान की झुंड बडी मात्रा में देखी जाती है.

श्वान कांटने के बाद उपाय

जख्म स्वच्छ साबन से धो डाले, उस पर जंतुनायक लगाये और ज्यादा खुन बहता है, तो डॉक्टरों की सलाह लेकर इलाज करे.

यह करना टाले

– जख्म पर चुना, हल्दी, मिट्टी, तंबाखू, चाय पाउडर, नींबू आदि घरेलू इलाज न करे.
– जख्म पर पट्टी न बांधे, टाके न लगाये.
– मानसिक स्थिति बिगडने न दे और अधूरा इलाज ना करे.

श्वानदंश के मामले

– इर्विन – 7,297
– ग्रामीण अस्पताल
अंजनगांव सुर्जी – 403
भातकुली – 174
चांदूर बाजार – 287
चांदूर रेल्वे – 321
चिखलदरा – 32
चुरणी – 39
धामणगांव रेल्वे – 100
नांदगांव खंडेश्वर – 300
तिवसा – 213
वरूड – 432

उपजिला अस्पताल

अचलपुर – 780
दर्यापुर – 344
धारणी – 595
मोर्शी – 398

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