चना धोके में, किसानों को घाटे इल्लियों के हमले का डर
बदरीला वातावरण व बारिश की संभावना से किसान चिंता में
अमरावती/दि. 6 – ऐन ठंड के समय बारिश की संभावना व बदरीले वातावरण के कारण रबी की सीजन में चना उत्पादक किसान भयभीत हो गये है. ऐेसे वातावरण और तीन चार दिन रहने से चने पर इल्ली का प्रभाव होने की संभावना है. जिसके कारण ऐन समय पर आया चने के उत्पादन पर परिणाम होने की संभावना है. गेहूॅ की बुआई अभी भी शुरू है तथा तुअर की बुआई निपटने में आ गई है.
रबी सीजन की मुख्य फसल चने की 1 लाख 22 हजार हेक्टर क्षेत्र में बुआई हुई है. खरीफ सीजन में अति बारिश व कीट के आक्रमण से मूंग, उडद और सोयाबीन सहित कपास को बडा फटका बैठा है. जिसके कारण किसानों ने रबी की सीजन में बुआई करने पर जोर दिया है. रबी की सीजन में चने व गेहूॅ की बुआई की जाती है. गेहूॅ की तुलना में चने की बुआई अधिक क्षेत्र में होती है. इस बार जिले में 1 लाख 22 हजार हेक्टर क्षेत्र में चने की बुआई हुई है. फिलहाल चने की फसल आने से खेत में बहार आ गई है. विगत दो दिनों से मौसम में बदल होने लगा है. सोमवार को सायंकाल से बदरीला वातावरण व मंगलवार को दिनभर बदरीला वातावरण के साथ बारिश की संभावना है. जिसके कारण चना उत्पादक किसान भयभीत हो गया है. ऐसे विपरित वातावरण में गाठ पर आया चना पर घाटे इल्ली के प्रभाव कीसंभावना अधिक रहने से किसानों की चिंता बढ गई है.
गेहूॅ की जिले में 29 हजार हेक्टर क्षेत्र में बुआई हो गई है. कुछ क्षेत्र में अभी भी बुआई शुरू है. जनवरी के अंत तक जिले में गेहू की बुआई की जाती है. जिसके कारण इस वातावरण में भले ही गेहूॅ की फसल को धोका न हो फिर भी किसानों की चिंता बढ गई है. खरीफ की अंतिम फसल तुअर अंतिम चरण में है. अधिकांश स्थानों पर तुअर निकल गई है.
फेरोमन ट्रॅप का निरीक्षण करे
बदरीले वातावरण के कारण चने पर घाटे इल्ली का प्रभाव होने की संभावना है. ऐसे समय में किसानों ने लगाया फेरोमन ट्रॅप का निरीक्षण करे. नियोजित आर्थिक स्तर की अपेक्षा अधिक नुकसान होने का ध्यान में आने पर किसान आवश्यक हो वह उपाय योजना तत्काल करे. ऐसी सलाह जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी विजय चवाले ने दी.