जिप पदाधिकारियों के सरकारी वाहन विभाग प्रमुखों की सेवा में
अमरावती/दि.01– विगत 2 वर्षों से जिला परिषद में निर्वाचित पदाधिकारी नहीं रहने के चलते प्रशासक राज चल रहा है. जिप प्रशासन द्वारा पूरे जिले के विकास कामों संबंधित जिम्मेदारियों को अपने कंधे पर उठाया गया है. जिसके चलते पदाधिकारियों हेतु रहने वाले वाहन फिलहाल जिला परिषद के अधिकारियों की सेवा में उपलब्ध करा दिये गये है और इन वाहनों को ज्यादातर समय तहसील एवं जिला मुख्यालय जैसे स्थानों के बीच ही घुमाया जाता है. वहीं पदाधिकारी रहते समय यहीं वाहन जिप के 59 सर्कलों यानि विविध ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वसामान्य लोगों को दिखाई देते थे. परंतु अब पदाधिकारी ही नहीं रहने के चलते ग्रामीण क्षेत्र के विकास कार्य काफी हद तक गडबडाए हुए है और कामकाज को गति भी नहीं मिल रही.
ग्रामीण क्षेत्र की सर्वसामान्य जनता तथा प्रशासन व सरकार के बीच एक महत्वपूर्ण कडी रहने वाली जिला परिषद व पंचायत समितियों में विगत 2 वर्षों से चुनाव लटके पडे है. जिसके चलते इन दोनों स्वायत्त संस्थाओं में जननिर्वाचित सदस्य एवं पदाधिकारी नहीं है और दो वर्षों से प्रशासक राज चल रहा है. जिसका सीधा असर ग्रामीण क्षेत्र में होने वाले विकास कामों पर पडता दिखाई दे रहा है. साथ ही सर्वसामान्यों के कामों हेतु प्रशासकीय अंकुश व फालोअप नहीं होने के चलते कई विभागों में आम लोगों के कामों की ओर अनदेखी हो रही है. वहीं दूसरी ओर पदाधिकारियों को ग्रामीण क्षेत्रों में घूमने-फिरने हेतु दिये जाने वाले वाहन इस समय जिला परिषद के अधिकारियों की सेवा में लगे हुए है, जो केवल तहसील व जिला मुख्यालय के बीच ही चक्कर काटते है.
* पूर्व पदाधिकारी व इच्छूक भी पडे ठंडे
विगत दो वर्षों से जिला परिषद व पंचायत समितियों के आम चुनावों का मुर्हूत नहीं निकला. जिसके चलते मार्च 2022 से जिला परिषद व पंचायत समितियों मेें प्रशासक राज चल रहा है. प्रशासक राज जल्द ही खत्म होगा. जिसके बाद चुनाव होंगे. इस उम्मीद में जिप के पूर्व पदाधिकारी व सदस्य एक बार फिर मैदान में उतरने के इरादे से चुनाव की तैयारियों में लग गये थे. परंतु देखते ही देखते दो वर्ष का समय बीत चुका है और अब तक स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं के चुनाव नहीं है. साथ ही आगे भी निकट भविष्य में स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं के चुनाव जल्द होने के कोई आसार दिखाई नहीं दे रहे. जिसकी वजह से जिप चुनाव लडने के इच्छूकों का उत्साह अब धीरे-धीरे ठंडा पडता जा रहा है और उन्होंने जिप सर्कल में मतदाताओं के साथ अपने जनसंपर्क को काफी हद तक कम कर दिया है.