अमरावतीमहाराष्ट्र

रहाटगांव के सोलव परिवार में एकसाथ चार महालक्ष्मी की प्रतिमाओं का होता है पूजन

विगत 30 वर्षों से दो परिवारों का निभा रहा धर्म

* चार महालक्ष्मीजी होती है विराजमान
अमरावती/दि.6-श्री महालक्ष्मी का दर्शन करते वक्त सभी देखा है कि जेष्ठा व कनिष्ठा ऐसी दो प्रतिमाए व झोलबा, झोलबी के रूप में उनके दो बच्चे ऐसी प्रतिमाए हर घर में स्थापित की जाती हैं. लेकिन शहर से जुडे रहाटगांव परिसर में रहने वाले सोलव परिवार के घर यदि श्री महालक्ष्मी का दर्शन करने जायेंगे तो देखेंगे की यहां पर महालक्ष्मी माता की चार प्रतिमाएं स्थापित है. पहली बार जो भी एकसाथ चार प्रतिमाए ंदेखता हैं, वह सहज ही ऐसा करने का कारण जानना चाहता हैं. यही सवाल हमने सोलव परिवार से पूछा तो उन्होंने बताया कि सोलव परिवार विगत 30 वर्षों से दो परिवारों का धर्म निभा रहा है. यही वजह हैं कि उनके यहां एक साथ चार श्री महालक्ष्मी प्रतिमाओं का पूजन होता हैं.
इस वर्ष मंगलवार दिनांक 10 सितंबर से सर्वत्र श्री महालक्ष्मी पूजन का पर्व धूमधाम से मनाया जायेंगा. पहले दिन मंगलवार को ज्येष्ठा-कनिष्ठा आवाहन, बुधवार को महाप्रसाद तथा गुरुवार को विसर्जन ऐसे यह ढाई दिनों का त्यौहार हैं जिसे ढाई दिन के लिए मायके लौटी लाडली बेटियों की आवभगत स्वरुप मनाया जाता हैं. इसी श्रृंखला में चार महालक्ष्मी स्थापित करनेवाले रहाटगांव निवासी संजय आनंदराव सोलव ने बताया कि 30 वर्ष पहले वडाला आष्टी निवासी उनके चाचा (मौसाजी) डरांगे का निधन हो जाने से व चाचा के यहां करने वाला कोई भी नहीं था, और उनकी वित्तीय स्थिति भी खराब थी, इसलिए उनके मौसी ने दादी हिराताई को श्री महालक्ष्मी पूजन की संपूर्ण पेटी देकर इन मुर्तियों का पूजन करने का अनुरोध किया. तब से लेकर आज तक सोलव परिवार अपने व डरांगे परिवार का धर्म निभाते हुये दादी हिराताई ने जो दायित्व स्वीकारा था, उसका अविरत निर्वहन कर रहा है.
* दायित्व का अविरत निर्वहन
सोलव परिवार ने सभी माता भक्तों को श्री महालक्ष्मी के दर्शन व महाप्रसाद में आने का निमंत्रण देते बताया कि वे जब तक हो सकें तब तक इस दायित्व का निर्वहन करते रहेंगे. संजय सोलव ने बताया कि अब उनके मौसी का परिवार भी हर वर्ष उनके यहां आकर श्री महालक्ष्मी पूजन का पर्व मनाता है. महालक्ष्मी पूजन का यह पर्व अनन्य साधारण महत्व प्राप्त है. श्री महालक्ष्मी पूजन में अनेकों बारीकियों का खयाल रखना पडता है. पौराणिक कथाओं नुसार जिस घर में श्री महालक्ष्मी का पूजन होता है वहां पर महालक्ष्मी स्वयं पहुंचकर प्रसाद ग्रहण करती है और अंबानगरी सहित सर्वत्र यह पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है.

 

 

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