‘आण्विक जीवशास्त्र एक साधन’ विषय पर राष्ट्रीय स्तर पर कार्यशाला का उद्घाटन
अमरावती / दि.19– संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ के बायोटेक्नीक विभाग पाटन(गुजरात) में वाईल्ड लाईफ एन्ड कन्झर्वेशन बायोलॉजी रिसर्च फाउंडेशन और मेलघाट टायगर रिझव्रूह के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित वन्यजीव प्रजाति पहचानने के लिए आण्विक जीवशास्त्र एक साधन इस विषय पर कार्यशाला का उद्घाटन अतिरिक्त मुख्य वनसंरक्षक डॉ. प्रवीण चव्हाण के हाथों हुआ. इस समय प्र- कुलगुरू डॉ. प्रसाद वाडेगांवकर, जीवशास्त्र विभाग प्रमुख डॉ. हेमलता नांदुरकर, यूथ फॉर नेचर कन्झव्रहेशन ऑर्गनायजेशन डॉ.स्वप्निल सोनोने की प्रमुख उपस्थिति थी. इस कार्यशाला में देशभर के प्रतिनिधि उपस्थित थे. उन्हें इस कार्यशाला में प्रशिक्षण दिया गया. इस समय डॉ. प्रवीण चव्हाण ने कहा कि काला तेंदुआ व काले बाघों की संख्या बढने का कारण क्या है इसकी खोज करनी पडेगी. इसके लिए जीवतंत्रज्ञान का उपयोग करना पडेगा. उसी प्रकार तेंदुआ व अन्य वन्य प्राणियों ने मनुष्य के साथ जीने की आदत बना ली है तथा मनुष्य को भी वन्य प्राणियों के के जीने की आदत को पहचानकर उनके साथ जीने की आदत बनाए.