अमरावती

संतरा उत्पादन से प्राप्त की करोडों की आय

टेंभुरखेडा के गोपाल व स्वप्नील उमेकर का उपक्रम

अमरावती/दि.22 – जहां चाह वहां राह इस कहावत को हकिकत में तबदील करने का कार्य वरुड तहसील के टेंभुरखेडा निवासी गोपाल उमेकर व स्वप्नील उमेकर ने कर दिखाया. उच्च शिक्षा प्राप्त दोनो ही भाईयों ने कडी मेहनत के चलते अपने गांव से 60 किमी की दूरी पर वर्धा जिले के आष्टी तहसील में 7 वर्ष पूर्व बंजर जमीन खरीदी थी और उस बंजर जमीन में 7 किमी से पानी लाकर संतरे के छह हजार पेडों को तैयार किया. अपनी कडी मेहनत और लगन के चलते दोनो भाईयों ने संतरा उत्पादन कर करोडो रुपए की आय प्राप्त की.
एक ओर जहां संतरा उत्पादक किसान निराशा के चलते अपने संतरा बागानों को उखाड कर फेंक रहे थे. वहीं इन दोनो भाईयों ने अपनी मेहनत व लगन के चलते संतरा उत्पादन से करोडों रुपए प्राप्त किए. 7 वर्ष पूर्व आष्टी तहसील के इंदरमारी नामक गांव में दोनो भाईयों ने 50 एकड बंजर जमीन खरीदी थी. इस जमीन पर जंगली पौधों के अलावा कुछ भी नहीं था और ना ही सिंचाई की व्यवस्था थी.
पानी का स्त्रोत नहीं होने की वजह से अनेक सालोें से वह जमीन बंजर पडी हुई थी जिसे स्वप्नील व गोपाल ने खरीदा और 7 किमी की दूरी पर स्थित किन्हाला गांव के पास से एक खेत में कुंआ और बोरवेल खुदवाकर वहां से पानी की पाइप लाइन बिछाते हुए अपने खेत तक लायी. पहले चरण में 2 हजार दूसरे चरण में 2 हजार तथा तीसरे चरण में 2 हजार ऐसे छह हजार संतरे के पेड लगाए और नियमित रुप से सिंचाई कर करोडों रुपए का उत्पन्न हासिल कर आदर्श स्थापित किया. जिसमें उनकी सर्वत्र प्रशंसा की जा रही है.

देश-विदेश में बढी संतरे की डिमांड

उमेकर बंधुओं व्दारा उत्पादित संतरे की देश-विदेश में डिमांड बढी है. उमेकर बंधुओं व्दारा प्रकृतिक पद्धति से उत्पादन किए गए अच्छे दर्जे के संतरे की बंगलादेश, आंद्रप्रदेश, मुंबई में डिमांड बढी. रोजाना चार ट्रक भरकर मार्केट में संतरा ले जाया जा रहा है.

रासायनिक खाद की बजाए गोबर खाद का इस्तेमाल

आम तौर पर संतरा उत्पादक किसान रासायनिक खाद का इस्तेमाल संतरा बागानों में करते है. किंतु उमेकर बंधुा अपने बागानों में रासायनिक खाद की बजाए गोबर खाद का इस्तेमाल करते है इतना ही नहीं इनकी सिंचाई करने की पद्धति भी अलग है. यह अपने बाग के छह हजार पेडों की सिंचाई 12 महीने तुषार सिंचन के जरीये करते है.

सालाना 30 लाख की लागत

छह वर्ष तक कडी मेहनत के पश्चात उमेकर बंधुओं ने अपने संतरा बाग को हराभरा बनाया. जिसके लिए सालाना 30 लाख रुपए की लागत लगाकर पहले ही साल में 1 करोड 51 लाख रुपए की आय इन्हें हुई. संतरे की क्वालिटी उत्कृष्ट होने की वजह से दाम भी अच्छे मिले.

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