अमरावती/ दि.30– आदिवासी विकास मंत्री के.सी.पाडवी ने विधानमंडल में चल रहे अधिवेशन में सिकलसेल बीमारी नहीं होने के बारे में वक्तव्य किया. याने सिकलसेल मरीजों के प्रति पूरी तरह से असंवेदनशीलता व्यक्त करने जैेसा है. इस बारे में जनजागृति होना जरुरी है व सिकलसेल के लिए शासकीय स्तर पर होने वाले निधि में वृध्दि उपलब्ध कराई जाए, ऐसी मांग को लेकर सिकलसेल संघ ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भिजवाया.
सौंपे ज्ञापन में उन्होंने कहा है कि, फिलहाल महाराष्ट्र में लाखों की संख्या में सिकलसेल जैसी बीमारी से मरीज पीडित है. कई कारणों से खुन की कमी, मृत्युतुल्य ज्वाईंट पेन, तीव्र वेदना मरीजों को बर्दाश्त करना पडता है, इसके लिए बार-बार इलाज कराने जाते है. इन मरीजों को परिवार के सदस्यों को आर्थिक, मानसिक व शारीरिक रुप से परेशानी का सामना करना पडता है. इस बीमारी के साथ जीवन जिना काफी तकलीफदेह है. कई मरीजों की इलाज के अभाव में मौत तक हो जाती है, ऐसी स्थिति में राज्य के आदिवासी विकास मंत्री के.सी.पाडवी ने अधिवेशन में सिकलसेल बीमारी नहीं होने की बात कही है. जिससे इस बीमारी को लेकर वे संवेदनशील है, यह स्पष्ट होता है. आज की स्थिति को देखकर मानवता के नाते विचार कर सिकलसेल मरीजों को सहायता व लोगों में जनजागृति निर्माण करने के लिए सरकारी स्तर पर वितरित होने वाले निधि को बढाकर दिया जाए, जिला व तहसील स्तर पर सरकारी अस्पताल में सुविधा उपलब्ध कराने की मांग भी की गई. इस समय रमा खाकस, साची रंगारी, पूनम उके, जयश्री नंदेश्वर, सुषमा कोचेकर, अरुणा वाडेकर, दिवाकर मेश्राम, बापुराव वासनिक, विनोद रंगारी, ईद्रपाल लोखंडे, रजत वानखडे, डॉ.कमलाकर गोवर्धन, विष्णुजी बोर्डे आदि उपस्थित थे.