अमरावती/प्रतिनिधि दि.३१ – मार्च माह से खाद्य तेलों की दरों में लगातार वृध्दी हो रही है. जिसकी वजह से सर्वसामान्य लोगों का बजट गडबडा गया है. विगत कुछ माह के दौरान खाद्यतेलों की दरों में 40 से 60 रूपये प्रति किलो की वृध्दि हुई है. जिसकी वजह से अब भोजन करना भी काफी महंगा हो गया है.
बता दें कि, खाद्यतेलों की बडे पैमाने पर विदेशों से आयात की जाती है. तिलहन के उत्पादन में कमी, ढुलाई खर्च व आयात शुल्क में वृध्दि होने की वजह से तेलों की दरों में जबर्दस्त वृध्दी होती नजर आ रही है.
बाजार सूत्रों के मुताबिक देश में जितने तेल की जरूरत होती है, उसमें से 60 से 65 फीसदी खाद्य तेल विदेशों से आयात करना पडता है. ऐसे में खाद्य तेलों के दर अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर करते है. फरवरी व मार्च माह के दौरान जैसे-जैसे कोविड संक्रमण बढने लगा, वैसे-वैसे खाद्यतेलों की दरों में भी इजाफा होता गया. इसके साथ ही जिन देशों से तेल की आयात की जाती है, वहां पर वातावरण में होनेवाले बदलाव की वजह से तिलहन का उत्पादन घट गया. साथ ही कोरोना संक्रमण की वजह से मजदूरों की भी किल्लत पैदा हो गयी. इसी तरह तेल आयात के लिए लगनेवाले ढुलाई खर्च में भी वृध्दि हुई और समुद्री मार्ग से तेल आयात करने हेतु कंटेनर उपलब्ध नहीं होने के चलते खाद्यतेलों का आयात भी कम हुआ. इन्हीं तमाम वजहों के चलते खाद्यतेलों की दरों में लगातार वृध्दी हो रही है.
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निर्भरता काफी अधिक
वैश्विक बाजार में भारत खाद्य तेलों का दूसरा सबसे बडा आयातदार देश है. जहां प्रतिवर्ष 150 लाख टन खाद्य तेल आयात किया जाता है. भारत में प्रति वर्ष 225 लाख टन खाद्य तेल की जरूरत पडती है. वहीं देश में सालाना केवल 80 से 85 लाख टन खाद्य तेल का उत्पादन होता है. बता दें कि, मलेशिया व इंडोनेशिया इन दो देशों में बडे पैमाने पर पाम तेल का उत्पादन होता है. वहीं ब्राझील, अर्जेन्टीना व अमरीका में सोयाबीन तेल एवं रशिया व युक्रेन में सूर्यमुखी के तेल का बडे पैमाने पर उत्पादन होता है. जहां से भारत को खाद्य तेल का आयात करना पडता है.
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खाद्य तेलों की दरें (15 किलो का डिब्बा)
खाद्य तेल मार्च 2021 मार्च 2020
फल्ली 2500-2650 1600-1700
रिफाइन्ड फल्ली 2400-3000 1800-2300
सोयाबीन 2000-2100 1200-1300
सरकी 2000-2100 1200-1300
सुर्यफूल 2400-2500 1200-1300