अमरावती

एट्रोसिटी एक्ट में दोष सिध्दी का प्रमाण बढाएं

एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष ज. मो. अभ्यंकर ने दिये प्रशासन को निर्देश

अमरावती/दि.23 – अनुसूचित जाति व जनजाति अत्याचार प्रतिबंधक अधिनियम अंतर्गत दर्ज होनेवाले मामलों में दोष सिध्दी का प्रमाण बेहद कम है. ऐसे मामलों में सबूत व्यवस्थित ढंग से दाखिल नहीं होते. जिसकी ओर विशेष तौर पर ध्यान दिया जाना चाहिए, ताकि अपराध सिध्दी का प्रमाण बढाया जा सके. इस आशय का निर्देश अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के अध्यक्ष ज. मो. अभ्यंकर द्वारा दिया गया.
गत रोज अमरावती के दौरे पर रहते समय एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष ज. मो. अभ्यंकर ने स्थानीय सरकारी विश्रामगृह में अन्यायग्रस्त व्यक्तियों को आर्थिक सहायता देने संबंधी मामलों के साथ ही एट्रोसिटी एक्ट से संबंधित प्रलंबित मामलों की समीक्षा की. इस अवसर पर आयोग के सदस्य आर. डी. शिंदे, किशोर मेढे, विभागीय आयुक्त डॉ. दिलीप पांढरपट्टे, जिलाधीश पवनीत कौर, अपर पुलिस अधीक्षक शशीकांत सातव, आयोग के सहसंचालक रमेश शिंदे, समाजकल्याण उपायुक्त सुनील वारे व सहायक आयुक्त माया केदार आदि अधिकारी उपस्थित थे.
इस समय आयोग के अध्यक्ष अभ्यंकर ने कहा कि, अत्याचार प्रतिबंधक अधिनियम में दर्ज होनेवाले मामलों के अदालत में साबित होने का प्रमाण बेहद अत्यल्प है. ऐसे में गवाह एवं सबूतों की ओर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए. साथ ही इस तरह के मामले अदालत में साबित क्यो नहीं हो पाते, इस पर भी विचार-विमर्श किया जाना चाहिए और इस हेतु किये जानेवाले सुधारों के बारे में आयोग को सुझाव दिये जाने चाहिए. अभ्यंकर के मुताबिक कई बार मुल शिकायतकर्ता की शिकायत दर्ज होते ही क्रॉस कम्प्लेेंट भी दर्ज होती है. जिसके चलते मूल शिकायतकर्ता की शिकायत को दबाकर उसे ही किसी अपराधिक मामले में फंसाने का प्रयास किया जाता है. ऐसा होने पर कानून का मूल उद्देश्य नाकाम हो जाता है. जिसके चलते एट्रोसिटी एक्ट को लेकर सुधार किये जाने की जरूरत है. ऐसा भी आयोग के अध्यक्ष ज. मो. अभ्यंकर ने कहा.

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