अमरावती

मृत्युपत्र को लेकर बढी नागरिकों में जागरुकता

संपत्ती के बटवारे में महत्वपूर्ण दस्तावेज है मृत्युपत्र

  • कानूनी रूप से मृत्युपत्र को अधिक महत्व

अमरावती/दि.1 – कोरोना महामारी के चलते होनेवाली असमय मृत्यु की चिंता अनेक लोगों को सता रही है. परिणामस्वरुप मृत्युपत्र के संबंध में लोगों में जागरुकता बढ गई है. अनेक लोग मृत्युपत्र के लिए आगे आ रहे है. इसके पूर्व सिर्फ अमीर परिवारों में चर्चा में रहनेवाला मृत्युपत्र अब सामान्य लोगों को भी उपयुक्त लगने लगा है.
पिछले एक सालभर में अमरावती जिलेभर में 91 हजार 430 लोग कोरोना बाधित हुए थे उनमें से 1439 लोगों की मौत हुई थी. उनमें अधिकांश परिवार प्रमुखों का सामवेश है. असमय मृत्यु के कारण संपत्ती हस्तांतरण सहित अनेक प्रश्न निर्माण हो रहे है जिसके कारण अपने पश्चात परिवार को किसी भी समस्या का सामना करना न पडे इस उद्देश्य से अनेक लोग मृत्युपत्र का सहारा ले रहे है उनमे वकीलों के मार्फत किए जाने वाले रजिस्ट्रर तथा स्वयं लिखित मृत्युपत्र का भी समावेश है.

सभी के लिए उपयुक्त

मध्मवर्गीय परिवारों में अभी तक मृत्युपत्र के संबंध में विशेष जागरुकता नहीं थी. किंतु कोरोना महामारी के कारण होनेवाली मौत और उसके बाद परिवार के समक्ष संपत्ती को लेकर निर्माण होने वाली अडचनों के कारण मृत्युपत्र सभी के लिए उपयुक्त है.
– एड. श्रीकांत खोरगडे, अमरावती

उम्र मर्यादा भी बदली

परिवार के प्रमुख व्यक्ति के निधन के पश्चात उसके नाम पर रहने वाली संपत्ती वारिस को ही मिले इस उद्देश्य से मृत्युपत्र किए जाते है. मृत्यु के समीप जाते समय वृद्धाकाल में अनेक लोग मृत्युपत्र बनाते है. किंतु कोरोना के कारण मृत्युपत्र बनाने वालों की उम्र मर्यादा भी बदली दिखाई दे रही है. मध्यवयीन व युवा भी मृत्युपत्र बनाने की कतार में है.

नागरिकों द्बारा पूछताछ जारी

पिछले कुछ माह से मृत्युपत्र के संबंध में नागरिकों द्बारा पूछताछ की जा रही है. जिसमें पूछा जा रहा है कि, फिलहाल पेपर पर अथवा रजिस्ट्रर पद्धति से मृत्युपत्र लिखा जा सकता है. मृत्युपत्र होने पर वारिसों को कानूनी रुप से कोई अडचन नहीं आती.
– एड. किशोर शेलके, अमरावती

कानूनी रुप से मृत्युपत्र को अधिक महत्व

कानूनी रुप से मृत्युपत्र को अधिक महत्व है इसके कारण परिवार प्रमुख के पश्चात संपत्ती की वारिसों में उनकी इच्छा के अनुसार बटवारा किया जाता है. उनमें विवाद निर्माण नहीं होता यह समय की आवश्यकता है. जिसके कारण मृत्युपत्र का प्रमाण बढ गया है. पति के निधन के पश्चात उसके नाम पर रहने वाला घर व जमीन मेरे नाम से करवाने के लिए वकील के पास चक्कर काटने पडते है. अभी तक मृत्युपत्र के संबंध में कुछ खास जानकारी नहीं थी किंतु अब सजग हो जाने के कारण मैने मेरा मृत्युपत्र लिखकर रखा है. कोरोना के कारण अनपेक्षित मृत्यु कब होगी इसकी कोई ग्यारंटी नहीं है. जिसके कारण वकील के मार्फत मृत्युपत्र बनाकर रखना है. मेरी मृत्यु के बार पुत्र को पुत्री को उसी प्रकार कितनी संपत्ती मिलेगी इसका मृत्युपत्र में उल्लेख किया गया है ऐसा करना समय की जरुरत है.

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