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कोरोना के चलते पंजीयन प्रक्रिया ठप्प
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आज विश्व सर्प दिवस
अमरावती/प्रतिनिधि दि.१६ – सांपों की कुछ चुनिंदा प्रजातियां ही विषैली होती है. वहीं अन्य सभी प्रजातियों के सांप जहरीले नहीं होते. यह पता रहने के बावजूद भी सांप दिखाई देते ही उसे मारने की प्रवृत्ति देखी जाती है. ऐसे में सांपों को मारे जाने से बचाने हेतु कई लोग सर्पमित्र के तौर पर काम करने हेतु आगे आते है और कहीं सांप दिखाई देने पर उसे सुरक्षित ढंग से पकडते हुए जंगल में ले जाकर छोड देते है. किंतु कई सर्पमित्र आधी-अधूरी जानकारी के आधार पर यह काम करते है. जिसकी वजह से खुद उनके लिए कई तरह के खतरे बढ जाते है और सांप पकडने के दौरान कई हादसे भी घटित होते है, ऐसा विशेषज्ञों का मानना है. इस जिस पर नियंत्रण प्राप्त करने हेतु वन विभाग द्वारा नये सर्पमित्रों का पंजीयन करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी. किंतु कोविड संक्रमण के खतरे की वजह से यह प्रक्रिया भी अधर में लटकी हुई है.
उल्लेखनीय है कि, सरिसृप प्रजातियोंवाले प्राणियों के बारे में जनजागृति करने हेतु वन्यजीव प्रेमियों द्वारा प्रतिवर्ष 16 जुलाई को समूचे विश्व में वैश्विक सर्प दिवस मनाया जाता है. इस समय पूरी दुनिया में सांपों की 3 हजार 700 से अधिक प्रजातियां रहने की बात कही जाती है. जिसमें से अकेले भारत देश में ही सांपों की 600 से अधिक प्रजातियां है. जिनमें केवल नाग, मण्यार, घोणस व फुरसे जैसी प्रजातियों के सांप ही विषैले होते है और अन्य प्रजातियों के सांपों में कोई जहर नहीं होता. वन्यजीव प्रेमियों द्वारा चलाये गये जनजागृति अभियान के चलते लोगबाग अब अपने घरों अथवा परिसर में सांप दिखाई देने पर उसे पकडने हेतु सर्पमित्र को बुलाते है. किंतु कई सर्पमित्रों द्वारा अब इसे अपना व्यवसाय बना लिया गया है. जिसकी वजह से कई तरह के गलत काम भी हो रहे है. लेकिन इसकी वजह से अच्छा काम करनेवाले सर्पमित्र बदनाम होते है. वन विभाग का आवश्यक नियंत्रण नहीं रहने की वजह से यह समस्या निर्माण हुई है. ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि, वनविभाग द्वारा अपने स्तर पर सर्पमित्रों के रूप में स्वयंसेवकों की नियुक्ति की जाये.
जानकारी के मुताबिक योग्य प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ही सर्पमित्र के तौर पर योग्य पध्दति से काम किया जा सकता है. किंतु इन दिनों सांप को गलत तरीके से पकडनेवाले सर्पमित्र अधिक है, जो सांप को पकडने के बाद उसका बाकायदा प्रदर्शन भी करते है. जबकि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत सांपों का प्रदर्शन करना प्रतिबंधित है. बावजूद इसके कानून का उल्लंघन होता है और गलत तरीके से सांप पकडने का प्रयास करने पर कई तरह के हादसे पेश आते है. जिसकी वजह से कई सर्पमित्रों की जान भी गई है. ऐसे में वनविभाग द्वारा सर्पमित्रों का पंजीयन करने हेतु प्रक्रिया शुरू की गई. जिसके तहत सर्पमित्र बनने के इच्छुकोें के साक्षात्कार लेने और उनके अभिभावकों का सहमति पत्र लेने की प्रक्रिया चलायी जा रही थी. किंतु इसी बीच कोविड संक्रमण का दौर शुरू हो गया और यह पूरी प्रक्रिया बीच में ही अटक गयी. ऐसी जानकारी सामने आयी है.
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सांप निकलने से रोकने हेतु ये सावधानियां जरूरी
– घर की दीवारों व सुरक्षा दीवारों की दरारों को बुझाये.
– घर के पास सूखी पत्तियों व कचरे का ढेर तथा लकडियों का संग्रह न रहने दे.
– खिडकी व दरवाजे के आसपास किसी पेड की टहनियां न रहने दे.
– जलाउ इंधन व गोबरियां घर से थोडी दूरी पर और जमीन से थोडी उंचाई पर रखे.
– घास-फूस से होकर गुजरते समय पैरों में जुते पहने.
– अंधेरे रास्तों से होकर गुजरते समय हमेशा टॉर्च साथ रखे.
– जमीन पर सोते समय बिस्तर दीवार से लगकर लगाने की बजाय कमरे के बीचोंबीच लगाये, क्योंकि सांप हमेशा कोने से होकर गुजरते है. इसके अलावा सोते समय भी कमरे में हलकी रोशनी रखे, क्योंकि पूरा अंधेरा रहने पर सांप के आने की संभावना रहती है.