अमरावती

मकर संक्रांति के उपहार में मिट्टी के बर्तनों की बढी डिमांड

इस पावन पर्व पर खरीदी का महिलाओं में विशेष महत्

अमरावती/ दि.18 – बहिरम की यात्रा शुरु होते ही बैतूल के मिट्टी के बर्तन के तरफ नजर दौडती है. इन बर्तनों की दुकानों की तरफ महिला, युवती और पुरुषों की भीड दिखाई देती है, लेकिन सबसे ज्यादा भीड महिलाओं की रहती है. इस वर्ष महिलाओं ने बैतूल के इस मिट्टी के बर्तन को संक्रांति के उपहार (वाण) के रुप में स्थान दिया है.
बैतूल के हंडी में पकाई गई सब्जी का स्वाद निराला ही रहता है. महिला वर्ग संक्रांति के उपहार के लिए बैतूल के बर्तनों की खरीदी करते है. इसमें फ्लावर पॉट, पैसे जमा करने के गुल्लक, नक्षीदार मटके, सूरई के साथ आकर्षक छोटे-बडे बर्तन और विविध प्रकार के मिट्टी की शोभा की वस्तुएं संक्रांति के वाण में शामिल की गई है. मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के जल्लार गांव के चार-पांच परिवार यह बर्तन तैयार करते है. पहाडियों की लाल मिट्टी से यह बर्तन तैयार किये जाते है. यात्रा में बिक्री किये जाने वाले बैतूल की मिट्टी के बर्तन दो से तीन माह पूर्व तैयार करने की शुरुआत होती है. पीढियों से चले आ रहे इस व्यवसाय में लिप्त चार से पांच परिवार वर्षों से बहिरम यात्रा में दुकान लगाते है. काशी तालाब की तरफ जाने वाले मार्ग के किनारे यह दुकानें रहती है. खाने में भी बैतूल के हंडी का और बर्तनों का प्रमुखता से इस्तेमाल होता है. बहिरम यात्रा के मध्यभाग में यह दुकानें दिखाई देती है. यह बर्तन मिट्टी के रहने से पर्यावरण समांतर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है. बर्तन की कलाकृति और नक्षीदार काम देखकर इन कारागिरों के कलागुणों की विशेषता इसमें दिखाई देती है. इसी कारण महिलाएं इस ओर अधिक आकर्षित होती है.

प्लास्टिक की बजाए करे मिट्टी के बर्तन का इस्तेमाल
मकर संक्रांति के अवसर पर महिलाओं व्दारा हल्दी-कुमकुम का कार्यक्रम किया जाता है. इस अवसर पर महिलाओं को हल्दी और कुमकुम लगाने के बाद विविध भेंट वस्तु भी दी जाती है. इसमें प्लास्टिक की वस्तुओं का ज्यादातर समावेश रहता है, लेकिन पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए प्रत्येक ने बैतूल के मिट्टी के बर्तन खरीदी करना चाहिए. इससे प्लास्टिक का इस्तेमाल कम किया जा सकता है. पर्यावरण दूषित न करने के लिए भी मकर संक्रांति के उपहार में मिट्टी के बर्तन का इस्तेमाल किया जा रहा है, ऐसा महिलाओं ने कहा.

 

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