अमरावती

अपराधों में नाबालिगों का सहभाग बढा

बडी सजा नहीं होने का उठाया जा रहा फायदा

  • पेशेवर अपराधी जानबुझकर नाबालिगों को फांस रहे

  • नाबालिग अपराधियों ने बढाया पुलिस सिरदर्द

अमरावती/दि.25 – इस समय जिले में यद्यपि अपराधों का प्रमाण काफी हद तक नियंत्रण में है. किंतु दिनोंदिन अपराधों में नाबालिगों का सहभाग बढ रहा है. जिसके तहत इन दिनों बलात्कार, विनयभंग, चोरी, सेंधमारी व हत्यारों का प्रयोग जैसे गंभीर मामलों में 14 से 18 वर्ष की आयुवाले नाबालिग आरोपियों का सहभाग बढता जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि, पुलिस द्वारा नाबालिग आरोपियों को अपनी हिरासत में नहीं लिया जा सकता, बल्कि पकडे जाने के बाद उन्हें बाल सुधार गृह में रखा जाता है और उनकी पहचान भी उजागर नहीं की जाती. वहीं अदालत में दोष सिध्दी होने पर भी उन्हें कोई खास सजा नहीं होती. इस बात के मद्देनजर अब पेशेवर अपराधियों द्वारा जानबूझकर नाबालिगों को फांसा जा रहा है और उनके जरिये अपराध करवाये जा रहे है. ऐसे में अब नाबालिग आरोपी एक तरह से शहर पुलिस के लिए सिरदर्द साबित हो रहे है. इसमें भी यह विशेष उल्लेखनीय है कि, शहर के एक विशिष्ट इलाके में नाबालिग आरोपियों का प्रमाण बडी तेजी से बढ रहा है.
अमूमन विभक्त अथवा व्यसनाधिन माता-पिता के बच्चों पर बेहद विपरित परिणाम होते है और कई बार अच्छे घरों के बच्चे भी केवल शौक पूरा करने के लिए चोरी, सेंधमारी, चेन स्नेचिंग व दुपहिया चोरी जैसे अपराधों में शामिल हो जाते है. गलत संगत अथवा परिवार की अनदेखी के चलते अपने व्यसन पूरे करने हेतु या मोबाईल, कपडे, घडी, बाईक अथवा अन्य सुखचैन की वस्तुएं प्राप्त करने हेतु कई बार बच्चे अपराध की राह पर चल पडते है.

समिती करती है अध्ययन

जिलाधीश की अध्यक्षता में नाबालिगों के अधिकारों को अबाधित रखने हेतु एक समिती का गठन किया गया है. जिसके सचिव जिला कामगार अधिकारी होते है. साथ ही महिला व बालकल्याण समिती द्वारा भी इसमें ध्यान दिया जाता है. जिलाधीश के अध्यक्षतावाली समिती द्वारा ऐसे मामलों का अध्ययन किया जाता है. जिसके बाद नाबालिग आरोपियों को बाल न्याय मंडल के सामने उपस्थित किया जाता है.

मारपीट

जिले में लगभग रोजाना ही मारपीट अथवा आपसी झडप की घटनाएं घटित होती है. इससे संबंधित करीब 20 मामलों में पुलिस द्वारा नाबालिगों को अपने कब्जे में लिये जाने की जानकारी है. किंतु अल्पवयीन रहने के चलते उन्हें बालसुधार गृह में भेजा गया है. जहां पर उनका समुपदेशन भी किया जाता है.

विनयभंग

जिले में आये दिन विनयभंग की घटनाएं भी घटित होती है और पुलिस में दर्ज शिकायतों के मुताबिक ऐसी घटनाओं में अल्पवयीनों का भी समावेश होता है. इस तरह की घटनाओं में भी नाबालिग आरोपियों को पुलिस द्वारा हिरासत में लेकर बाल न्याय मंडल के समक्ष हाजीर किया जाता है और बाल सुधार गृह के स्वाधीन किया जाता है.

चोरी व सेंधमारी

शहर सहित जिले में इन दिनों दुपहिया चोरी व मोबाईल चोरी सहित बंद घरों में चोरी की घटनाएं काफी अधिक बढ गई है. पुलिस ने ऐसे अनेक मामलों की गुत्थी सुलझाई है. जिसके तहत पता चला है कि, चोरी की कई वारदातें नाबालिगों द्वारा अंजाम दी गई है. इसमें से कुछ नाबालिग तो शातीर चोरों की टोली का हिस्सा थे. वहीं कई नाबालिगों ने अपनी आर्थिक जरूरतें पूरी करने के लिए चोरी की वारदातों को अंजाम दिया था.

हत्या व हत्या का प्रयास

शहर सहित जिले में विगत दिनों घटित हत्या व हत्या के प्रयास जैसे गंभीर अपराधों में भी नाबालिगों का सहभाग रहने की बात पुलिस द्वारा की गई जांच में सामने आयी है. ऐसे गंभीर मामलों में नाबालिगों का सहभाग रहना अपने आप में बेहद चिंताजनक बात है.

कई नाबालिगों का किया गया पुनर्वसन

अपराधों में लिप्त रहने के चलते पकडे जानेवाले नाबालिगों को अपराधी जगत से परावृत्त करने हेतु समुपदेशन किया जाता है और उन्हें समाज के मुख्य प्रवाह में लाने हेतु महिला व बालकल्याण विभाग तथा गृह विभाग द्वारा विशेष प्रयास किये जाते है, ताकि वे आगे चलकर जिम्मेदार नागरिक बने.

पारिवारिक कलह तथा मोबाईल व टीवी हैं प्रमुख वजह

इन दिनों अधिकांश अल्पवयीन बच्चे मोबाईल व टीवी की लत के शिकार हो चुके है. साथ ही कई बार पारिवारिक कलह की वजह से भी बच्चे गलत संगत में फंस जाते है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि, परिवारों में आपसी संवाद की स्थिति रहे. साथ ही अभिभावकों द्वारा बच्चों पर पूरा ध्यान भी रखा जाये.

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