अमरावतीमहाराष्ट्र

महिलाओं में गर्भाशय थैली बीमारी का बढ रहा प्रकोप

सावधानी बरतने की विशेषज्ञों ने दी सलाह

अमरावती/दि.22-बदलती जीवनशैली, तनाव, आनुवंशिकी आदि के कारण देखा जा रहा है कि महिलाओं में गर्भाशय थैली इस बीमारी का प्रकोप बढ गया है. इसमें गर्भाशय थैली के रोगों की संख्या अधिक होती है. कई लोगों को चालीस की उम्र में अपना गर्भाशय निकलवाना पडता है. अनियमित मासिक धर्म, पेट दर्द को अक्सर नजरअंदाज करती है, लेकिन इससे ओवेरियन कैंसर का खतरा होता है. महिलाएं घर के कामकाज और परिवार की देखभाल में अधिक समय बिताती हैं. इसलिए, बीमारी की स्वाभाविक रूप से अनदेखी की जाती है. स्त्री रोग विशेषज्ञों ने अभी सावधानी बरतने की अपील की है.
* गर्भाशय थैली के रोग क्या हैं?
ब्लोट, एंडोमेट्रियोसिस, एडिनोमायोसिस, एंडोमेट्रियोसिस, ओवेरियन कैंसर आदि का खतरा रहता है.
* किस बात का ध्यान रखना चाहिए?
अनियमित पीरियड्स को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्राव होने पर डॉक्टर से परामर्श लें. शरीर की उचित स्वच्छता बनाए रखें, नियमित व्यायाम करें और स्वस्थ आहार लें.
* कारण क्या हैं?
आनुवांशिकी, हार्मोनल असंतुलन, थायराइड की समस्या, लगातार तनावपूर्ण जीवनशैली, शरीर की तरफ अनदेखी करना, व्यायाम की कमी ऐसे कारण हैं जो गर्भाशय की समस्याओं के जोखिम को बढाते है.
* क्या लक्षण हैं?
लक्षणों में गर्भाशय में दर्द, रक्तस्राव, अनियमित मासिक धर्म, पेट के निचले हिस्से या गुदाशय में दर्द, पेशाब में वृद्धि, संभोग के दौरान दर्द शामिल हो सकते हैं.
* कब जांच करें?
40 की उम्र पार करने के बाद महिलाओं को नियमित जांच करानी चाहिए. अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दें. बीमारी को शरीर पर नहीं लेना चाहिए. जैसे ही आपको अपने स्वास्थ्य में कोई गिरावट नजर आए, तुरंत किसी स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए.

लक्षण दिखने पर विशेषज्ञ से सलाह लें
महिलाओं में गर्भाशय के रोग एक बडी समस्या बन गई है. इसलिए महिलाओं को अनियमित पीरियड्स, ब्लीडिंग आदि जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए. इसके साथ ही शरीर की स्वच्छता को भी प्राथमिकता देनी चाहिए. स्वस्थ आहार लें और नियमित व्यायाम करें.
-डॉ. मोनाली ढोले, स्त्री रोग विशेषज्ञ

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