अमरावती

स्कूल वैन चालकों की बढ़ रही मुसीबतें

सामूहिक आत्मदाह करने मांगी अनुमति

अमरावती/दि.8 – कोरोना महामारी के चलते तीसरी लहर में सीधे बच्चों को खतरा होने से दूसरे वर्ष भी स्कूल बंद है, लेकिन शहर सहित जिले के स्कूल वैन चालकों पर इसका विपरीत असर हो रहा है. सरकार से गुहार लगाते थक चुके स्कूल वैन चालकों ने सामूहिक आत्महत्या करने की अनुमति मांगी है. इस संदर्भ में शीघ्र ही आंदोलन तीव्र करने का निर्णय स्कूल वैन चालक संगठना व्दारा लिया गया है.
स्कूल वैन चालकों की रोजी रोटी छात्रों को स्कूल लाने-ले जाने पर निर्भर है, लेकिन मार्च 2020 से कोरोना की लहर ने सभी व्यवसायों पर ताले लगा दिये. जिससे स्कूल वैन भी बंद है. लेकिन सभी व्यवसाय अनलॉक हुए, लेकिन स्कूल बंद रहने से वैन चालकों का व्यवसाय ठप पड़ा है. गत वर्ष दिवाली के बाद अन्य व जल त्याग आंदोलन कर सरकार तक मांगें पहुंचाने का प्रयास किया गया. उस दौरान 1500 रुपए देने का वादा किया गया. लेकिन स्कूल वैन चालकों कोई रकम नहीं दी गई. जिसके चलते कौन सा व्यवसाय करें, इसके लिये स्कूल वैन चालक बेरोजगार होकर घूम रहे हैं.

  • कोर्ई भी व्यवसाय शुरु करने से पूर्व उस व्यवसाय की जानकारी होना आवश्यक है. विगत एक वर्ष से परिवार का गुजारा करना कठिन हो रहा है. ऐसे में फाइनान्स वालों से भी परेशान हो गए हैं. भोजन के लिए पैसे नहीं है तो किश्त कहां से चुकाएंगे, ऐसे में अब पान टपरी शुरु की लेकिन उसमें भी आमदनी नहीं के बराबर है.
    – शक्ति खत्री, स्कूल वैन चालक, दस्तुरनगर
  • एक वर्ष से बेरोजगार होकर रोजगार की तलाश में घूम रहे हैं. ज्वाइन फैमिली होने से परिवार का गुजारा हो रहा है. लेकिन ऐसा कब तक चलेगा. हमारा भी परिवार है. इसलिए सरकार ने विचार करना चाहिए या फिर दूसरा रोजगार उपलब्ध कराना चाहिए.
    – महेश शर्मा, स्कूल वैन चालक, श्याम नगर
  • इस वर्ष स्कूल खुलने की उम्मीद थी. लेकिन उन उम्मीदों पर पानी फिर गया है. पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने के कारण स्कूल वैन किराये पर चलाने की हिम्मत नहीं है. इस कारण वैन एक ही जगह पर खड़ी रहने से खराब हो रही है. टायर सहित स्पेअर पार्ट भी खराब होने लगे हैं. सरकार व्दारा सभी को राहत भेजी गई, लेकिन स्कूल वैन चालकों को किसी भी प्रकार की आर्थिक मदद नहीं मिली. इसलिए सामूहिक आत्महत्या का निर्णय लेने पर विवश हैं.
    – अतुल खोंड, म.रा. चालक-मालिक, विद्यार्थी यातायात

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