निर्दलीय व छोटे दल के उम्मीदवारों को जमानत राशि बचाने की चुनौती
अमरावती/दि.5- विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार तय हो गए हैं. पहले के समान इस बार भी चुनाव मैदान में निर्दलीय व छोटे दल के उम्मीदवारों की कमी नहीं है. देखा जाए तो कुछ चुनाव में जिले में निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी जीत हासील की है. लेकिन पिछले चुनावों के परिणाम देखें तो अधिकतर निर्दलीय उम्मीदवार नामांकन के साथ दी गई जमानत राशि भी नहीं बचा पाते हैं. इस बार भी लगभग वैसी ही स्थिती हैं. कई उम्मीदवारों के लिए जमानत राशि बचाना ही बडी चुनौती है. विधानसभा चुनाव के लिए सामान्य वर्ग के उम्मीदवार के लिए जमानत राशि 10 हजार रुपये व अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग के उम्मीदवार के लिए 5 हजार रुपये जमानत राशि निर्धारित हैं. रोचक बात है कि अगर कोई उम्मीदवार जीत भी जाए लेकिन कुल उम्मीदवारों को मिले वैध मतो की तुलना में जीते उम्मीदवार को मिले मत 16 प्रतिशत से कम हो तो जीते उम्मीदवार की भी जमानत जब्त मानी जाती है. उम्मीदवार को कुल वैध मतदान में से 16.67 प्रतिशत मत नहीं मिलने पर उसकी जमानत जब्त हो जाती है. उम्मीदवार का नामांकन फार्म अवैध ठहराकर अस्वीकृत किया गया हो तो जमानत राशि वापस मिल जाती है. निश्चित कालावधी में नामांकन वापस ले तो उम्मीदवार को जमानत राशि लौटा दी जाती है. मतदान के पहले उम्मीदवार की मृत्यु हो जाए तो उनके प्रतिनिधि को जमानत राशि वापस दी जाती है.
2019 में विदर्भ में जीते थे 8 उम्मीदवार
साल 2019 में विदर्भ में निर्दलीय व छोटे दलों के 8 उम्मीदवार जीते थे. जिले में भी निर्दलीय उम्मीदवारों का बोलबाला रहा था. बच्चू कडू, रवि राणा छोटे संगठनों के माध्यम से निर्दलीय के तौर पर ही चुनाव जीतते रहे है. अमरावती, नागपुर, वर्धा, चंद्रपुर सहित अन्य जिले में इस बार निर्दलियों ने प्रभाव दिखाने का दावा किया है. वही इस बार चुनाव में पूर्व मंत्री, पूर्व पार्षद, बिजनेसमैन भी निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे हुए हैं.