* बजेगा संंदल
* वारकरियों का रिंगन भी सजेगा
अमरावती/दि.4– कांग्रेस नेता और केरल के वायनाड के सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा अगले सप्ताह 7 नवंबर को नांदेड़ जिले के देगलूर से महाराष्ट्र में दाखिल होगी. पांच जिलों नांदेड़, हिंगोली, परभणी, वाशिम, बुलढाणा से गुजरेगी. 382 कि.मी. का प्रवास करते हुए यात्रा का 14 स्थानों पर डेरा रहेगा. नांदेड़ और शेगांव में दो जंगी जनसभाओं को भी राहुल गांधी संबोधित करेंगे. पार्टी सूत्रों ने उपरोक्त जानकारी देते हुए बताया कि पहली सभा नांदेड़ में 10 नवंबर को होगी.
* वाशिम में चार जगहों पर डेरा
पार्टी सूत्रों ने बताया कि नांदेड़ जिले में आगामी सोमवार को दाखिल होने के बाद प्रवास करते हुए कही वारकरियों का रिंगन समारोह, कही संबल और कही गोंधल ऐसी विविध लोककला का प्रदर्शन होगा. नांदेड़, हिंगोली और वाशिम में चार जगहों पर यात्रा का डेरा होगा. अकोला में दो जगहों पर यात्रा मुकाम करेगी.
* गजानन महाराज के दर्शन
पार्टी सूत्रों ने यह भी बताया कि यात्रा के रुट में शेगांव को विशेषतौर पर स्थान दिया गया है. राहुल गांधी शेगांव में गजानन महाराज समाधि मंदिर में दर्शन करेंगे. फिर 18 नवंबर को उनकी सभा वहां होगी. शेगांव की सभा को प्रचंड और ऐतिहासिक बनाने पर कांग्रेस का जोर रहने की जानकारी मिली है.
* राहुल से मिल सकेंगे सभी
पार्टी सूत्रों ने बताया कि देश में सद्भावना बढ़ाने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा है. अतिवृष्टि के कारण किसानों को काफी नुकसान हुआ है. ऐसे में राहुल गांधी आम लोगों से मिलेंगे. किसान भी इस दौरान राहुल गांधी से भेंट कर अपनी शिकायत उनके सामने रख सकते हैं. कांग्रेस ने यात्रा की जोरदार तैयारी की है. जगह-जगह स्वागत कार्यक्रम आयोजित किये हैं. उसी प्रकार अमरावती संभाग के युवा नेताओं को रोज 20-25 कि.मी पैदल चलने की तैयारी करने कहा है ताकि अपने लीडर के साथ यह लोग पैदल चल सके.
सुबह 6 बजे शुरु यात्रा
यात्रा की दिनचर्या इस प्रकार है कि सुबह 6 बजे सेवादल द्वारा ध्वज वंदन कर यात्रा आरंभ होती है. पहले चरण में 10.30 बजे तक 15 कि.मी. का फासला तय किया जाता है. फिर विश्राम होता है. दूसरा सत्र दोपहर 4 से 6.30 बजे दौरान लगभग 10 कि.मी. का अंतर तय कर होता है. फिर छोटी-छोटी नुक्कड़ सभाएं होती है.
डेरे की व्यवस्था
राहुल गांधी को काफी सुरक्षा व्यवस्था प्रदान की गई है. उनकी यात्रा दौरान सुरक्षा रक्षकों का ताफा रहता है. सभी के विश्राम और मुकाम के कंटेनर यात्रा के साथ होते हैं. मुकाम के लिये साधारण तीन एकड़ जगह की आवश्यकता है. ऐसे स्थान पहले ही मुकर्रर किये जा रहे हैं. वहां भोजन-पानी का प्रबंध किया जा रहा है. कंटेनर के लिये जमीन को समतल कर मुरुम डाला जाता है. कुछ स्थानों पर किसानों ने अपनी खेती देने से इनकार किया. फिर यात्रा की अहमियत उन्हें बताई गई. इस बीच यात्रा में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता बुलाये गए हैं. इस लिहाज से यात्रा के मार्ग के सभी मंगल कार्यालय बुक कर लिये गये हैं.