अमरावतीमहाराष्ट्र

भारत को विश्वगुरू होने के लिए घर से चितंन की आवश्यकता

प. पु. जितेंद्र महाराज के आशीर्वचन

* विश्व मांगल्य सभा का सांस्कृतिक महोत्सव उत्साह से मनाया
अमरावती/दि.30-माता जीव और जीवन का निर्माण करती है. वंश निर्माण करने की प्रक्रिया उसी से होती है. भारत को विश्वगुरू होने के लिए घर से ही अब चिंतन की आवश्यकता है. घर-घर में अब तेजस्वी माता-पिता हो इसके लिए विश्व मांगल्य सभा भारत सहित विदेश में भी कार्यरत है. आगामी 25 वर्ष मेें भारत निर्माण की प्रक्रिया में विश्व मांगल्य सभा महत्वपूर्ण हो, ऐसा प्रतिपादन देवनाथ मठ के पीठाधीश्वर आचार्य जितेंद्रनाथ महाराज ने किया.
सांस्कृतिक भवन में विश्व मांगल्य सभा द्बारा भारतीय संस्कृति महोत्सव का आयोजन शुक्रवार को किया गया था. इस समय आशीर्वचन देते समय जितेंद्रनाथ महाराज बोल रहे थे. इस अवसर पर रेणुका माता, कुलगुरू डॉ. मिलिंद बारहाते, डॉ. श्वेता बारहाते, डॉ. वसुधा बोंडे, तेजसा जोशी, मधुरा लेंडे, गायत्री लोमटे आदि उपस्थित थे. प्रेक्षकों में सांसद डॉ. अनिल बोंडे, नितीन गुडधे, सिध्दार्थ वानखडे, दिनेश सूर्यवंशी, विद्या देशपांडे, अर्पणा कुटे, संगीता बुरंगे, अनिता तिखिले, प्रणीता शिरभाते, संध्या टिकले, राधा कुरील, वर्षा कडू, सुरेखा लुंगारे, मनाली बोंडे, अर्चना बारब्दे, आरती वानखडे, पद्मजा कौडिन्य, अंजली देव, रश्मी जाजोदिया, नंदिनी पापड, जयश्री वैष्णव, छाया भट, ज्योति मालवे, श्वेता पांडे, सुषमा जोशी, डॉ. सुचिता पांढरीकर, नीलिमा बुरंगे, नंदिनी पाटेकर, नमिता तिजारे, सरला जयस्वाल, सुनीता भोयर, जयश्री माहुरे, वैशाली पिहुलकर, प्रीती साहू, अंजली देशपांडे, सिध्दी सेठिया, शिवानी चौधरी, अनिता मुंशी, अंजली तुमराम, रूपाली सोंडे सहित सैकडो महिला उपस्थित थी.
इस दौरान बोलते समय जितेंद्र महाराज ने कहा कि स्वराज्य की प्रेरणाा राष्ट्रमाता मां जिजाऊ है. जिसके कारण महिलाए को छत्रपति शिवराया की जन्म निर्माण की प्रक्रिया समझना आवश्यक है. इससे मातृत्व में कितनी शक्ति है यह समझ में आयेगा. कंगन बिंदी कुमकुम में इतिहास बनाने की क्षमता है. विकास समाज संस्कृति इन तीनों बातों को साथ में लेकर जाने की जिम्मेदारी माता की है. राष्ट्रधर्म के साथ मातृधर्म भी महत्वपूर्ण है. मधुरा लेंडे ने विश्व मांगल्य सभा की नवनिर्वाचित कार्यकिारणी की घोषणा की. डॉ. मिलिंद बारहाते ने भी विचार व्यक्त किया. कार्यक्रम का संचालन सुगंध देशमुख ने किया.

27 प्रांत में सभा का सेवा प्रकल्प- डॉ. वसुधा बोंडे
विश्व मांगल्य सभा की संयोजिका डॉ. वसुधा बोंडे ने सभा के कार्यो की प्रास्ताविकता से जानकारी दी. भारत के 27 प्रांतों में सभा का सेवा प्रकल्प शुरू है. विदेश में भी उसका विस्तार हुआ है. समाज के व राष्ट्र के उत्थान करने के लिए विश्व मांगल्य सभा कार्यरत है. राष्ट्र चिंत समाज चिंतन के लिए 14 वर्षो से सभा द्बारा प्रयास हो रहे है. विविधता में एकता यह राष्ट्र की ताकत है. एकता जागृत कर राष्ट्र चिंतन, समाज चिंतन हो इसके लिए भारतीय संस्कृति महोत्सव है, ऐसा उन्होंने कहा.

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