भारतीय पारंपरिक ज्ञान-संस्कृति उच्च शिक्षा को देगी मजबूती
हव्याप्र मंडल में राष्ट्रीय परिषद का उद्घाटन
अमरावती/दि.23-नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति जल्द ही लागू की जायेगी. इस अवधारणा में छात्रों को उच्च शिक्षा के साथ-साथ भारतीय पारंपरिक ज्ञान, विज्ञान, जीवन दर्शन जैसी बुनियादी शिक्षा भी मिलेगी. तदनुसार, श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल में राष्ट्रीय भारतीय ज्ञान, विज्ञान और पारंपरिक शिक्षा के संबंध में एक महत्वपूर्ण दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. श्री हव्याप्र मंडल के प्रबंधन के तहत शारीरिक शिक्षा का डिग्री कॉलेज, मंडल के आईकेएस केंद्र और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के एक संयुक्त संस्थान से सम्मेलन का आयोजन स्व. सोमेश्वर पुसतकर सभागार में किया गया था.
शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम विकास में पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को शामिल करना, विभिन्न तरीकों पर शोध करना, पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को एकीकृत करने के प्रभाव का अध्ययन करना, पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को एकीकृत करने की चुनौतियों और चुनौतियों का अध्ययन करना। उक्त राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन समाज-भावी पीढ़ी के कल्याण के लिए भविष्य के दृष्टिकोण से उच्च शिक्षा में बुनियादी पारंपरिक शिक्षा को शामिल करने के महत्व के सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर विशेषज्ञों की राय, चर्चा और मार्गदर्शन के लिए महत्वपूर्ण था. डिग्री कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन के प्राचार्य डॉ. श्रीनिवास देशपांडे अध्यक्षता में हुई परिषद के उद्घाटक के रूप में महिला कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अविनाश मोहरील, हव्याप्र मंडल में स्थापित भारतीय ज्ञान प्रणाली केंद्र (आईकेएस) के मुख्य समन्वयक डॉ. माधुरी चेंडके, परिषद के मार्गदर्शक आचार्य श्रेयस कुर्हेकर, परिषद की मुख्य समन्वयक डॉ. शीतल काले एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे. इस राष्ट्रीय सम्मेलन के संयोजक डॉ. शीतल काले, सह-समन्वयक प्रो. पुष्पक खोंडे एवं स्थानीय सलाहकार समिति के सदस्य प्रो. डॉ. अनिकेत आंबेकर के मार्गदर्शन में बड़ी संख्या में शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञ, प्रोफेसर, छात्र-छात्राओं ने ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यम से भाग लिया.