भारत का पहला माहेश्वरी भवन अमरावती का
123 साल पहले राधाकृष्ण मंदिर और भवन की रखी थी नींव
* 3 जून को मंदिर का भव्य पाटोत्सव
* सरपंच प्रा. जगदीश कलंत्री द्बारा जानकारी
अमरावती/ दि. 1- अंबानगरी के माहेश्वरी समाज बंधुओं को यह जानकर प्रसन्नता एवं गौरव की अनुभूति होगी कि करीब सवा सौ बरस पहले अंबानगरी में भारतवर्ष का प्रथम माहेश्वरी भवन बना था. भवन की नींव एवं राधाकृष्ण मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा लगभग साथ साथ की गई थी. इस आशय की जानकारी सरपंच प्रा. जगदीश कलंत्री ने आज दोपहर अमरावती मंडल से बातचीत में दी. उन्होंने बताया कि चौथी पीढी है जो राधाकृष्ण मंदिर में निरंतर सेवा दे रही है. उल्लेखनीय है कि अमरावती के महान तपस्वी संत सीतारामदास बाबा ने भी राधाकृष्ण के इस विग्रह की बरसों तक भोग सेवा दी हैं. यह भी उल्लेखनीय है कि वल्लभदास जी राठी लगभग चार दशकों तक मंदिर एवं पंचायत के सर्वेसर्वा रहे हैं. ज्ञातव्य है कि परसाेंं सोमवार 3 जून को अपरा एकादशी पर राधाकृष्ण मंदिर का पाटोत्सव मनाया जा रहा है.
* कवेलू के मुर्गी मठ से बना माहेश्वरी भवन
माहेश्वरी पंचायत के सरपंच कलंत्री ने बताया कि जहां आज नया माहेश्वरी भवन आकार ले रहा है. उस स्थान पर शतक भर पहले आप्पा लोगों का मठ था. जिसकी छत कवेलू की थी. इस स्थान को मुर्गी मठ कहा जाता था.पुरखों ने वह जगह समाज भवन के लिए ली और कालांतर में माहेश्वरी भवन बनाया. यह देश का पहला समाज भवन था. वहीं भवन के साथ राधाकृष्ण मंदिर की भी स्थापना और जेठ सुदी नवमी के पहले बदी की एकादशी को मंदिर में राधाकृष्ण के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की गई. अत: परसो अपरा एकादशी पर मंदिर का पाटोत्सव का आयोजन है.
* तिवसा जीन से शोभायात्रा
शहर की प्रसिध्द राठी जी की तिवसा जीन में भी एक साथ मूर्तियां राजस्थान से मंगाई गई थी. अत: राधाकृष्ण मंदिर की मूर्तियों का जुलूस के माध्यम से मंदिर स्थल पर धूमधाम से, गाजे बाजे से लाया गया. वैदिक तंत्रोपचार और विधि विधानपूर्वक प्राण प्रतिष्ठा की गई.
* निरंतर सेवा के 123 वर्ष
तब से लेकर आज पर्यंत सतत 123 वषार्ें से अनवरत रूप से सेवा हो रही है. मंदिर में शिवलिंग भी इतने ही वर्षो से स्थापित है. जिसकी नित्य पूजा भक्तिभाव से होती है. वहां खडी मुद्रा में देवी पार्वती की प्रतिमा और गणेश जी की प्रतिमांए हैं. पुजारी संजय जी बताते हैं कि पार्वती माता की ऐसी प्रतिमा विशेष और शीघ्र फलदायी होती है. इसलिए नित्य भाविकों का तांता रहता है.
* सीतारामदास बाबा के हाथों बनता भोग
राधाकृष्ण मंदिर में अनेकानेक विशेषताएं है. आरंभ में मंदिर का स्वरूप लकडी का था. उपरांत परिवर्तन होता गया. किंतु मुख्य ढांचे में कोई बदलाव नहीं किया गया. इसी मंदिर की विशेषता है कि परमपूज्य सीतारामदास बाबा राजस्थान के बांसी से यहां आए और बस गये. उन्होंने अनेक दशकों तक राधाकृष्ण मंदिर में भोगसेवा दी. पूज्य बाबा अपने हाथों से पावित्र्य का संपूर्ण ध्यान रखते हुए नित्य भोजन बनाते और भगवान को अर्पण करते.
माहेश्वरी भवन निर्माण में योगदान
माहेश्वरी भवन के निर्माण में समाज बंधुओं का भरसक योगदान रहा. जिससे अल्पावधि में भवन का निर्माण संभव हो सका. उस समय नारायणदास श्रीनिवास लढ्ढा ने 5551 रूपए का अनुदान दिया था. राम रतन गणेशदास राठी, रामसुख रामजीवन झंवर, बंसीलाल कुंजीलाल कालानी, मूलचंद बालकिसन भंडारी, किसनलाल मोतीलाल झंवर, गिरधरलाल हरिकिसन राठी, झुंबरलाल गोपीकिसन राठी, नथमल बालकिसन झंवर, राजाराम धनराम राठी, रामसुख पूरणमल हेडा, हुकुमचंद बच्छराज चांडक से लेकर अनेकानेक समाजबंधुओं ने उदारता से योगदान किया. आज भी भवन निर्माण के सर्वप्रथम योगदान कर्ताओं की संपूर्ण सूची भवन में प्रमुख स्थान पर अंकित है. 101 रूपए तक अनुदान देनेवाले मानवीय समाज बंधुओं के नाम उल्लेखित है.
आज देशभर में समाज भवन
माहेश्वरी समाज के अमरावती के कामों से प्रेरित होकर ही कदाचित कालांतर में देशभर में माहेश्वरी समाज भवन, महेश भवन के निर्माण हुए. आज प्रसिध्द तीर्थस्थानों सहित प्रमुख शहरों में माहेश्वरी भवन बने हैं. समाज के लिए समर्पित हैं. ब्रदीनाथ, पुष्कर, हरिद्बार , रामदेवरा में भवन बने हैं. अमरावती के धामणगांव, दर्यापुर, अकोला, तेल्हारा और अन्य नगरों, शहरों में माहेश्वरी भवन की स्थापना की जानकारी भी प्रा. जगदीश कलंत्री ने दी.
* प्रथम कार्यकारिणी, बल्लभदास जी राठी अध्यक्ष
श्री माहेश्वर पंचायत की विधिवत स्थापना 30 सितंबर 1963 को हुई. उस समय के अकोला क्षेत्रीय धर्मदाय आयुक्त एमजी मदान ने मुहर लगाई थी. कार्यकारीणी में तिवसा जीन के वल्लभदास ठाकुरदास राठी सरपंच मनोनीत हुए थे. वे सर्वाधिक समय तक लगभग 4 दशकों तक कार्यरत रहे. आनंदी लाल मोतीलाल झंवर धनराज लेन सचिव, बस्तीराम जय नारायण बागडी रॉयली प्लॉट सचिव मंदिर, श्रीनिवास माणकलाल लढ्ढा लढ्ढा जीन, राधा वल्लभ, पूरणमल हेडा श्री सदन , रामजीवन आसाराम डागा साबनपुरा , रामपाल रामचंद्र मालानी सावनपुरा, सुंदरलाल गिरधारी लाल काकाणी साबनपुरा, जुगलकिशोर पूनमचंद मूंधडा बच्छराज प्लॉट, जयकिसन जय नारायण भैया जवाहर गेट, मोतीलाल बिसनलाल झंवर मालटेकडी रोड, नारायणदास चंदनमल करवा चूना भट्टी, रामविलास देवकिसन बाजाज जवाहर रोड, कन्हैयालाल केसरीमल साबू सक्करसाथ, लादूराम फत्तेलाल राठी दंडे बंगला आदि का प्रथम कार्यकारिणी में समावेश रहा.
* निर्माणाधीन भवन, बदलेगा कलेवर
प्रा. कलंत्री ने बताया कि पुरखो द्बारा संजोयी गई धरोहर को दीर्घ सोच और समाज की आवश्यकता को ध्यान में रखकर भवन का निर्माण किया गया. आज समाज के पास 26 हजार फीट जगह में नवनिर्माण प्र्रगति पर है. जिसमें 2700 वर्ग फीट का दुपहिया पार्किग, 30 वातानुकूलित डबलबेड रूम, तीन वातानुकूलित डारमेटरी, दो लिप्ट, 1400 वर्गफीट का एसी हाल, टीन शेड का निर्माण है. सरपंच के अनुसार समाज के परिवारों की संख्या के आधार पर निर्माण का प्रयत्न है.