इंदौर में प्रत्याशी ऐन मौके पर पार्टी के दौड से बाहर
कांग्रेस ने ‘नोटा’ पर लगाया सियासी दांव
इंदौर/दि.3– मध्यप्रदेश के इंदौर लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम के ऐन मौके पर अपना नाम वापस लेने के कारण इस पार्टी के दौड से बाहर होने के बाद चुनावी समीकरण आमूल- चूल रूप से बदल गए हैं. बम के भाजपा में शामिल होने पर भडके कांग्रेस नेताओं ने मतदाताओं से खुलकर अपील करनी शुरु कर दी है कि वे केंद्र में सत्ताधारी पार्टी को सबक सिखाने के लिए 13 मई को होने वाले मतदान के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर ‘नोटा’ (उपरोक्त में से कोई नहीं) का विकल्प चुनें. इंदौर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीत पटवारी का गृह क्षेत्र है. पटवारी ने 30 अप्रैल को घोषणा की थी कि चुनावी दौड से बाहर पार्टी इंदौर में किसी भी उम्मीदवार को अपना समर्थन नहीं देगी. उन्होंने यह भी कहा था कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में भरोसा रखने वाली कांग्रेस मतदाताओं से यह कतई नहीं कह रही है कि वे चुनावों का बहिष्कार करें, लेकिन भाजपा को सबक सिखाने के लिए उनके पास ‘नोटा’ का भी विकल्प है.
इंदौर के मतदाताओं ने पिछले नगर निगम चुनावों से लेकर विधानसभा चुनावों में भाजपा को बम्पर जीत दी है. फिर भी भाजपा ने इंदौर में बम को अपने पाले में अनुचित तरीके से खींचकर लोकतंत्र की हत्या कर दी. ऐसे में मतदाताओं को ‘नोटा’ के इस्तेमाल से भाजपा को जोरदार जवाब देना ही चाहिए.
-शोभा ओझा, वरिष्ठ नेता, कांग्रेस
कांग्रेस नेताओं द्वारा मतदाताओं को नोटा’ के इस्तेमाल के लिए दुष्प्रेरित’ किया जाना दिखाता है कि प्रमुख विपक्षी दल लोकतंत्र के महापर्व में ‘नकारात्मक पैंतरों’ पर उतर आया है. कांग्रेस जैसी पार्टी से और उम्मीद ही क्या की जा सकती है.
-शंकर लालवानी, निवर्तमान सांसद और भाजपा उम्मीदवार, इंदौर
* 35 साल से इंदौर सीट पर भाजपा का कब्जा है.
– 25.13 लाख लोगों को इस बार मताधिकार हक है.
– 8 लाख मतों से जीत का नारा दिया है भाजपा ने.
-2019 में 5045 वोटर ने ‘नोटा’ का विकल्प चुना था यहां.
-14 प्रत्याशी हैं इस सीट पर चुनावी मुकाबले में, जिनमें 9 निर्दलीय है.