विदर्भ-मराठा में औद्योगिक, सेवा क्षेत्र में अनुशेष कायम
विकास महामंंडलों को खत्म करने से बढी परेशानी
नागपुर/दि.10– विदर्भ व मराठवाडा में औद्योगिकरण व सेवा क्षेत्र में अनुशेष अभी भी कायम है. राज्य सरकार ने विकास महामंडलों को खत्म कर इन क्षेत्रों में अनुशेष भरने वाली यंत्रणा ही खत्म कर दी है. जिससे विदर्भ में अनुशेष तेजी से बढकर प्रादेशिक समतोल बढने की संभावना जताई जा रही है.
भारतीय घटना की धारा 371 (2) अंतर्गत 30 अप्रैल 1994 से स्थापित महाराष्ट्र के विकास महामंडलों की मियाद 2 वर्ष पहले 30 अप्रैल 2020 को खत्म हो गई. विदर्भ व मराठवाडा यह क्षेत्र अभी भी पश्चिम महाराष्ट्र से कई अधिक पीछे है. विदर्भ व मराठवाडा में औद्योगिकरण, रोजगार के अवसर, लोगों की औसतन आय, सेवा क्षेत्र आदि निकषों के आधार पर अनुशेष तय होता है. वर्ष 1994 के निर्देषांक व अनुशेष समिति के बाद महाराष्ट्र के विभाग निहाय विकास का अध्ययन ही नहीं हुआ. वर्ष 2011 में निर्देषांक व अनुशेष समिति ने जो 9 विकास क्षेत्र जांचे थे, उनमेें से आर्थिक अनुशेष खत्म होने का सरकार ने जाहीर किया. लेकिन अभी भी भौतिक अनुशेष कायम है. निर्देशांक व अनुशेष समिति ने जिन 9 विकास क्षेत्रों का अध्ययन किया, उनमें औद्योगिकरण व सेवा क्षेत्र का समावेश नहीं था. विकास मंडल यह महाराष्ट्र में समान विकास के लिए एक न्यायिक व्यासपीठ थे. लेकिन विगत 2 वर्षों से इन विकस मंडलों का पुनर्गठन नहीं हुआ है.