अमरावती

अप्परवर्धा प्रकल्प से सर्वाधिक पानी दिया जा रहा उद्योगों को

जलापूर्ति के लिए 2.8, किसानों को 7, उद्योगोें को 26.89 फीसदी पानी

  • प्रकल्प में 62 प्रतिशत जल संग्रह शेष

अमरावती/दि.19 – नवंबर माह में जिले के अप्परवर्धा प्रकल्प में 98 फीसदी जलसंग्रह था किंतु अब सिर्फ 62 फीसदी ही जल संग्रह शेष है. तीन माह में अप्परवर्धा प्रकल्प से 37 फीसदी पानी छोडा गया है. जिसमें 2.8 प्रतिशत पानी ही जलापूर्ति के लिए इस्तेमाल किया गया है जबकि रबी की बुआई के दौरान किसानों को सिंचाई के लिए 7 फीसदी पानी सिंचाई विभाग की ओर से उपलब्ध करवाया गया. वहीं इसी समयावधि में उद्योगों को सर्वाधिक 26.89 जलापूर्ति की गई जो की जलापूर्ति के 9 गुना अधिक है.
अप्परवर्धा प्रकल्प को लेकर राज्य सिंचाई विभाग व्दारा निर्धारित दिशा निर्देश के तहत केवल 40 प्रतिशत पानी ही उद्योगों को दिया जाता है जबकि शेष जल का उपयोग किसानों के लिए करने की व्यवस्था है. लेकिन जिला सिंचाई विभाग की ओर से राज्य सरकार की इस सूचना का उल्लंघन करते हुए केवल दो माह में ही 26.89 प्रतिशत पानी उद्योगों को दिया गया है. तीमाही अनुसार दिसंबर से फरवरी तक सिर्फ 16 प्रतिशत पानी ही उद्योगो को दिया जाना था लेकिन स्थानीय अभियंताओं की ओर से नियम का उल्लंघन करते हुए इसी समयावधि में 23 प्रतिशत पानी उद्योगो को दिया गया.
अमरावती जिले के अप्परवर्धा प्रकल्प से अमरावती सहित मोर्शी, वरुड, तिवसा तहसील में जलापूर्ति की जाती है. विशेष बात यह है कि इन तीनों तहसीलों के लिए कुल 21 प्रतिशत जलसंग्रह का उपयोग नागरिकों की प्यास बुझाने हेतु किया जाता है. सालभर में करीब 14 लाख की आबादी की प्यास बुझाने के लिए 21 प्रतिशत पानी पर्याप्त है लेकिन अकाल पडने की स्थिति में अप्परवर्धा में जो जलसंग्रह शेष रहना चाहिए उसका हिस्सा उद्योगों को दिया जा रहा है. इसके लिए नियमों को तोडते हुए स्थानीय अभियंता अपने तौर पर काम कर रहे है जबकि सिंचाई विभाग के नियमों के मुताबिक अप्परवर्धा प्रकल्प में 71 प्रतिशत जलसंग्रह शेष रहना चाहिए. इस बार रबी के लिए भी किसानों व्दारा पानी उपलब्ध कराने की मांग कम रही है इसके बावजूद अप्परवर्धा प्रकल्प के जलसंग्रह में कमी आयी है.

कृषि विभाग की अनुमति जरुरी

क्षमता से अधिक पानी उद्योगों को देने से पहले सिंचाई विभाग को कृषि विभाग से अनुमति लेनी होती है उसके साथ ही मजीप्रा को भी पूर्व सूचना उपलब्ध करवाना अनिवार्य है. किंतु अप्परवर्धा प्रकल्प संचालकों की ओर से इस तरह की कोई अनुमति दी गई है.

20 फीसदी पानी होता है आरक्षित

नियम के अनुसार सूखे की स्थिति तथा किसी भी अकास्मिक स्थिति से निपटने के लिए बांध प्रकल्प में 20 प्रतिशत पानी कृषि कार्यो के लिए हमेशा आरक्षित रहना जरुरी है. इस पानी के उपयोग के लिए कृषि विभाग की अनुमति अनिवार्य है.
– डी.एस. खर्चान, जिला कृषि अधिकारी

विस्तृत जानकारी नहीं दी जा सकती

पानी का उपयोग किस उद्देश्य से किया गया है इसको लेकर विस्तारित जानकारी नहीं दी जा सकती है. इसके लिए सभी संस्थाओं से आंकडे जुटाना मुश्किल है. उद्योगो को इस बार उनकी मांग के अनुसार पानी उपलब्ध कराया गया है. पानी उपलब्ध कराने की प्रक्रिया को लेकर सभी सूचनाएं सार्वजनिक नहीं की जा सकती है.
– ल.प्र. इंगले, कार्यकारी अभियंता सिंचाई विभाग

Related Articles

Back to top button