अमरावती /दि.2– जिला परिषद के पशु संवर्धन विभाग द्वारा 19 दिसंबर तक प्रत्येक गांव में वंध्यत्व चलाया जा रहा है. जानवरों का भाकडकाल दुग्ध व्यवसाय के घाटे में जाने का प्रमुख कारण है और जानवरों के भाकड रहने का प्रमुख कारण जानवरों का वंध्यत्व है. ऐसे में जानवरों के वंध्यत्व एवं भाकडकाल को कम करने हेतु जिले के प्रत्येक गांव में वंध्यत्व निवारण अभियान चलाया जा रहा है.
बता दें कि, जंत, गोचिड व गोमाशी के प्रादूर्भाव की वजह से गाय-भैस के स्वास्थ्य पर विपरित परिणाम पड सकता है और उनमें वंध्यत्व होने की संभावना होता है. जिसे टालने हेतु पशुधन पर जानवरों के तबेले में नियमित रुप से दवाओं का छिडकाव करना चाहिए. साथ ही गोबर की जांच के बाद जंत प्रादूर्भाव दिखाई देने पर जंत निर्मूलन एवं रक्तजांच के बाद किसी घटक की कमी दिखाई देने पर योग्य औषधोपचार का अवलंब किया जाना चाहिए. इसके अलावा गाय व भैस में माज का चक्र नियमित रखने हेतु पशु आहार व उनके स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना जरुरी है. प्रजननश्रम गाय व भैस में नियमित रुप से 21 दिन के अंतराल पर माज का चक्र दिखाई देना और गर्भधारणा होना अपेक्षित होता है. इन दोनों का अभाव रहने पर ऐसे पशुधन में वंध्यत्व रहने की संभावना रहती है. ऐसे में आगामी 19 दिसंबर तक सभी पशु वैद्यकीय दवाखानों व पशु चिकित्सालयों की कार्यक्षेत्र अंतर्गत प्रत्येक गांव में गाव व भैस हेतु वंध्यत्व निवारण शिविर का आयोजन पशु संवर्धन विभाग द्वारा किया जा रहा है.
* वंध्यत्व के कारण जानवरों पर जंत का प्रादूर्भाव रहना, सकस व संतुलित पशु आहार का अभाव, खनिज घटकों की कमी, तबेले के व्यवस्थापन का अभाव, जानवर का रुतुचक्र के अनुसार माज पर नहीं आना, गर्भाशय के दोष व पिछले वेत के कष्ट प्रसावन जैसी वजह के चलते जानवरों में वंध्यत्व आने की संभावना रहती है.
* वंध्यत्व निवारण शिविर में जिले के अधिक से अधिक पशुधन पालकों ने अपने पशुधन की जांच करवानी चाहिए. साथ ही इस अभियान के तहत जानवर के वंध्यत्व निवारण हेतु जानवर का औषधोपचार करवाना चाहिए.
– डॉ. पुरुषोत्तम सोलंके,
जिला पशु संवर्धन अधिकारी