दीक्षा का अंत हो सकता है शिक्षा का नहीं, हमेशा शिक्षाग्रही बने रहे
कुलपति व राज्यपाल रमेश बैस का 40 वे दीक्षांत समारोह में आवाहन
अमरावती/दि.24 – गुरु अथवा शिक्षक द्वारा अपने शिष्यों या विद्यार्थियों को दी जाने वाली दीक्षा का कभी ना कभी अंत होता ही है, जिसके चलते किसी भी पाठ्यक्रम को पूरा करने के बाद दीक्षांत समारोह आयोजित किया जाता है. ऐसे में गुरु अथवा शिक्षक द्वारा दी जाने वाली दीक्षा का अंत हो जाता है. लेकिन शिक्षा का कभी कोई अंत नहीं होता, बल्कि शिक्षा हमेशा ही किसी न किसी जरिए प्राप्त की जा सकती है. अत: प्रत्येक व्यक्ति ने हमेशा ही शिक्षार्थी व शिक्षाग्रही बने रहना चाहिए, ताकि हर तरह के और तरह-तरह के ज्ञान को आत्मसात किया जा सके. इस आशय का आवाहन करने के साथ ही कुलपति व राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि, ज्ञान ही वह पुंजी है, जो समझ और प्रगति के द्वार खोलती है. साथ ही यहीं वह नींव है, जिस पर सभ्यताओं का निर्माण होता है. इसके अलावा ज्ञान से ही आलोचनात्मक सोच को भी बढावा मिलता है. जिसे एक स्वस्थ व संपन्न समाज की रीढ कहा जा सकता है.
स्थानीय संत गाडगेबाबा अमरावती विश्वविद्यालय का 40 वां दीक्षांत समारोह आज आयोजित किया गया. जिसमें दीक्षांत भाषण देने हेतु ऑनलाइन तरीके से उपस्थित हुए विद्यापीठ के कुलपति व राज्य के राज्यपाल रमेश बैस ने सभी पदविकांक्षियों को अपनी शुभकामनाएं देने के साथ ही उपरोक्त प्रतिपादन किया. अपने संबोधन में महामहिम रमेश बैस ने कहा कि, डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या निरंतर बढ रही है, यह अत्याधिक प्रसन्नता की बात है. पदक विजेता छात्र तथा पीएच डी उपाधि प्राप्तकर्ता हमारे विशेष बधाई के हकदार हैं, क्योंकि इनसे प्रेरणा लेकर अन्य छात्र छात्राएं भी आगे बढ़ेंगे.
महामहिम रमेश बैस ने यह भी कहा कि, चालीस वर्ष पहले, शुरू किये गये इस विश्वविद्यालय ने शिक्षा क्षेत्र में बहुत सराहनीय कार्य किया है. यह बड़े गर्व और संतुष्टि की बात है कि विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण पदों पर विराजमान हैं. लेकिन इस यूनिवर्सिटी की सबसे खास बात यह है कि इसने ऐसे ग्रेजुएट तैयार किए हैं जो अपने पूरे परिवार में पहले ग्रेजुएट हैं. मां अंबाबाई की पावन भूमि अमरावती ने देश को संत गुलाबराव महाराज, राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज और संत गाडगेबाबा जैसे महान संत दिए है. संत गाडगेबाबा स्वच्छता के महा नायक थे. गांव-गांव में जाकर अपना उपदेश देने से पहले वे स्वयं हाथ में झाडू लेकर गाँव की सफाई करते थे. संत गाडगेबाबा ने सभी के मार्गदर्शन के लिए एक दशसूत्री बनाई थीं. यह दश सूत्री आज भी हम सभी के लिए मार्गदर्शक है. वर्ष 2005 में इस विश्वविद्यालय का नाम संत गाडगे बाबा के नाम पर रखा गया.
अमरावती शहर सहित जिले की प्रशंसा करते हुए राज्यपाल रमेश बैस ने यह भी कहा कि, अमरावती ने देश को सुरेश भट जैसे महान कवि दिये है. इस भूमि ने देश को पहले कृषि मंत्री डॉ. पंजाबराव देशमुख दिये है. इसी जिले ने देश को भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति प्रतिभाताई पाटील दी. अमरावती का विभिन्न धर्मों और संप्रदायों से जुड़ा अद्भुत इतिहास है और हम सभी को इसे संरक्षित करना चाहिए. उत्कृष्टता की इस परंपरा को स्नातकों को निरंतर आगे बढ़ाना होगा.
इस समय युवा शक्ति के महत्व को अधोरेखित करते हुए राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि, आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा युवा देश बन कर उभरा है. भारत में पूरी दुनिया को जनशक्ति आपूर्ति करने की क्षमता है. हाल ही में प्रधानमंत्री जी ने युवाओं की क्षमताओं का ध्यान रखते हुए वॉइस ऑफ यूथ 2047 इस कार्यक्रम का आयोजन किया था. वर्ष 2047 तक ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को साकार करने के लिए अगले 24 वर्षों के दौरान हर पल का सर्वोत्तम उपयोग करने की अपील की है. आने वाले शैक्षणिक वर्ष से हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का क्रियान्वयन करने जा रहे हैं. अत: संत गाडगेबाबा अमरावती विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए मानक स्थापित करने चाहिए. यह अन्य विश्वविद्यालयों के लिए अनुकरणीय उदाहरण बनेगा. उन्होंने यह भी कहा कि, अमरावती की एक अलग पहचान है. अमरावती में कृषि आधारित उद्योगों, वन आधारित उत्पादों, बांस उत्पादों आदि के विकास की जबरदस्त संभावनाएं हैं. हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे समृद्धि महामार्ग ने अमरावती और मुंबई के बीच सर्वोत्तम कनेक्टिविटी प्रदान की है. जिले में धार्मिक, वन और विरासत पर्यटन की भी काफी संभावनाएं हैं. हमें उद्यमशील युवाओं की एक पीढ़ी की आवश्यकता है जो क्षेत्र की विरासत की क्षमता को पहचानेंगे और इसका उपयोग व्यवसाय और नौकरियां पैदा करने के लिए करेंगे. ऐसे में संत गाडगेबाबा अमरावती विश्वविद्यालय को ऐसे पाठ्यक्रम डिज़ाइन करने चाहिए, जो युवाओं को रोजगार एवं स्वरोजगार के लिये तैयार करे. हमे ऐसे स्किल्स प्रदान करने चाहिये, जो यहां के कारागीरों का गुणवत्तावर्धन करे और उत्पादन का वैल्यू एडिशन करे. इस हेतु संगाबा अमरावती विश्वविद्यालय ने महाराष्ट्र राज्य कौशल विश्वविद्यालय के साथ मिलकर काम करना चाहिए.
तेजी से बढती सूचना प्राद्योगिकी और इन दिनों कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बढते प्रयोग को ध्यान में रखते हुए राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि, आज हम सभी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के युग में रह रहे हैं. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एआई व्यापक परिवर्तन लाने जा रहा है. हमें अपने स्नातकों को एआई के लाभों और नुकसानों से परिचित कराना और शिक्षित करना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि, भारत विश्वगुरु था और हमारा देश फिर से विश्वगुरु होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने देश को विश्व की तिसरी सबसे बडी आर्थिक महासत्ता बनाने का विश्वास जताया है. ऐसे में हम सभी ने इस बात को लेकर विश्वास रखना चाहिए कि, नई शिक्षा प्रणाली के आधार पर हम भारत को विश्व महाशक्ति बना सकते है. तथा इसमें संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय की अहम भूमिका रहेगी. ऐसे में विश्वविद्यालय को चाहिए कि, विकसित भारत उद्देश्य के मद्देनजर विश्वविद्यालय खुद को भारत के शीर्ष विश्वविद्यालयों में पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित करें. अपने छात्रों को उद्यमी और नवप्रवर्तक बनने के लिए प्रोत्साहित करें. विश्वविद्यालय प्रशासन में सुधार लाकर छात्रों की शिकायतों को दूर करने के लिए एक व्यवस्था बनाएं. ग्राम गोद लेने की परियोजनाओं के माध्यम से छात्रों को सामाजिक उपक्रमों में शामिल करें. सभी पूर्व छात्रों को विश्वविद्यालय के विकास और विस्तार में शामिल करें. इसके साथ ही कुलपति व राज्यपाल रमेश बैस ने सभी स्नातक छात्रों का हार्दिक अभिनंदन करते हुए उनसे आवाहन किया कि, वे अपनी उपलब्धियों से विश्वविद्यालय और देश को गौरवान्वित करें.