शहर के दो अग्रणी विशेषज्ञों से ली गई जानकारी

20 प्रतिशत की भयंकर रेंज से बढ रहे मुख कैंसर

* अन्न नलिका, फेफडे और गले पर वार अधिक
* 50 प्रतिशत प्रकरणों में उपचार भी संभव नहीं
* कल विश्व एन्टी टोबैको डे
अमरावती/ दि. 30 – विश्व तंबाखू रहित दिवस की पूर्व संध्या अंबा नगरी के दो प्रमुख कैंसर सर्जन से अमरावती मंडल ने बात की तो भयंकर आंकडे उजागर हो रहे हैं. पहले एक हजार में 4-5 लोगों को मुख कैंसर की आशंका रहती थी. अब यह प्रमाण 50 गुना बढकर 150-200 लोगों तक हो जाने की आशंका बढ गई है. प्रत्येक 10 मरीजों में से 6 मामले ओरल कैंसर के आने की जानकारी युवा आंकोलॉजिस्ट डॉ. रोहित मूंधडा ने दी. वही वरिष्ठ सर्जन डॉ. राजेन्द्र सिंह अरोरा का कहना है कि, युवाओं में तंबाखू के बढते प्रचलन की वजह से ओरल कैंसर के मामले बढ रहे हैं. उन्होंने आगाह किया कि कक्षा 10 वीं और 11 वीं के विद्यार्थी तंबाखू सेवन सीख रहे हैं. जिससे टेंडर एज से उन्हें कर्क रोग का खतरा बढ रहा है. उनके पास ऐसे बीसीयो पेशंट आ रहे हैं. जहां 40 वर्ष से कम आयु में ही केवल तंबाखू सेवन की वजह से मुंह खुलना बंद हो रहा है. यह कर्क रोग की पहली स्टेज कह सकते हैं. फिर भी चेतावनी का कोई असर नहीं दिख रहा. डॉ. अरोरा ने कहा कि अडोल सेंट उम्र में तंबाखू का सेवन रोकना होगा. नहीं तो स्थिति भयावह हो रही है.
अल्पायु में सेवन, जवानी में दूभर
टाटा कैंसर अस्पताल में सेवाएं दे चुके शहर के युवा विशेषज्ञ डॉ. रोहित मूंधडा ने बताया कि 15-17 वर्ष की आयु में तंबाखू, गुटखा का सेवन शुरू हो रहा हैं. जिससे 32-35 की आयु में इन युवकों को कर्क रोग जकड रहा हैं. इतना भयंकर मामला है कि आधे युवाओं में कैंसर उपचार से परे हो रहा हैं. अर्थात उपचार भी दूभर हो जाता है. इस तरह के केसेस लगातार बढ रहे हैं.
ओरल कैंसर में विदर्भ देश में अग्रणी
डॉ. मूंधडा ने बताया कि विदर्भ में ओरल कैंसर के केसेस देश में सर्वाधिक कहे जा सकते हैं. इसकी वजह यहां के लोगों का ‘खर्रा’ खाना हैं. सर्वाधिक कच्ची तंबाखू का सेवन यहां हो रहा हैं. बीडी, सिगरेट स्मोकिंग युवावर्ग अधिक कर रहा हैं. उन्होंने बताया कि मुंह, गले और अन्य नलिका का कैंसर बढ रहा है. विदर्भ में तो यही प्रकार सर्वाधिक हैं. डॉ. ओजी तथा डॉ. शुभांगी मूंधडा के सुपुत्र डॉ. रोहित ने बताया कि अमरावती के निश्चित आंकडे तो अभी उपलब्ध नहीं है. किंतु अंदाज बहुत भयावह आ रहे हैं. 1 हजार में लगभग 150-200 पेशंट ओरल कैंसर के आने की आशंका उन्होंने व्यक्त की.
टाटा ने की थी सिफारिश बैन की
डॉ. मूंधडा ने बताया कि टाटा कैंसर अस्पताल ने राज्य शासन से अनुरोध किया था कि बीडी और सिगरेट का उत्पादन तत्काल प्रतिबंधित कर देना चाहिए. फिर भी सरकार ध्यान नहीं दे रही हैं. आनेवाले समय में कैंसर रोगियों की संख्या बढने की आशंका व्यक्त करते हुए डॉ. मूंधडा ने बताया कि 70 प्रतिशत मामले ओरल कैंसर के हैं और उनमें भी मुंह, गले, अन्न नलिका, फेफडे के हैं. फेफडे का कैंसर स्मोकिंग से होता है. अत: धूम्रपान रोकने के लिए कदम उठाना आवश्यक है.
* इलाज से परे केसेस
डॉ. मूंधडा ने बताया कि अमरावती में ऐसे रूग्ण उन्होंने कर्क रोग के देखे हैं. जिनका उपचार भी संभव नहीं. इतनी भीषण अवस्था हैं. उन्होंने बताया कि कैंसर के लक्षण आरंभ में ही देख लेना ठीक रहता है. मुंह में छाला आना, उसका ठीक न होना, खांसी में खून आना और भोजन सेवन में दिक्कत तथा कई बार गले की आवाज बदल जाना आदि अनेक लक्षण दिखाई देेते ही चिकित्सक से परामर्श करना ठीक रहता है. जिससे ऑपरेशन और अन्य उपचार से कर्करोग ठीक किया जा सकता है.

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