समुपदेशन के लिए प्रेरणा प्रकल्प फिर भी 8 वर्ष में 2195 किसान आत्महत्या
अनेक किसानों को प्रकल्प बाबात जानकारी ही नहीं
* मानसोपचार तज्ञों की कमी, कर्मचारियों का भी अभाव
अमरावती/दि. 21– राज्य के 14 जिलों में किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए शासन व्दारा स्वास्थ्य विभाग के तहत 8 वर्ष पूर्व प्रेरणा प्रकल्प शुरु किया गया. इस प्रकल्प के तहत हताश किसान और उनके परिवार को मानसोपचार की व्यवस्था की गई. लेकिन इसके लिए आवश्यक संख्या में मानसोपचार तज्ञ व कर्मचारी न रहने से यह प्रकल्प ही अब प्रभावी न रहने की स्थिति है. 8 वर्ष पूर्व किसान आत्महत्या रोकने के मुख्य उद्देश्य को सामने रख शुरु किए गए इस प्रकल्प के बाद भी जिले में इन 8 वर्षो में 2195 किसानों की आत्महत्या हुई है.
किसान आत्महत्या रोकने के लिए 2015 में प्रेरणा प्रकल्प शुरु किया गया. इस प्रकल्प के तहत निराशा में डूबे किसानों को समुपदेशन कर उन्हें बाहर निकालने का प्रयास किया जाता है. मानसोपचार तज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता के जरिए यह प्रकल्प चलाया जा रहा है. प्रेरणा प्रकल्प के माध्यम से समुपदेशन कक्ष का विस्तारीकरण तथा आशा वकर्स को मानसिक बीमारी के संदर्भ में प्रशिक्षण दिया जाता है. जिले के 38 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मनशक्ति क्लिनिक के जरिए किसानों का समुपदेशन किया जाता है. जिले में प्रेरणा प्रकल्प शुरु होने के पूर्व 2010 से 1015 की कालावधि में 1409 किसानों ने आत्महत्या की थी. 2015 में प्रेरणा प्रकल्प शुरु हुआ. इसके तहत जिला अस्पताल के जरिए सितंबर 2015 से नवंबर 2023 की कालावधि में 36176 में से 30358 किसानों का समुपदेशन किया गया. वास्तविक रुप से प्रकल्प शुरु हुआ तब से जिले में 2195 किसान आत्महत्या होने की सच्चाई सामने आई है. साथ ही प्रकल्प शुरु होने के पूर्व का विचार किया तो 5 वर्ष में यानी 2010 से 2015 तक 1103 किसान आत्महत्या दर्ज है.
इस प्रकल्प के डॉक्टर, अधिकारी, कर्मचारियों को समाधानकारक मानधन नहीं मिलता. साथ ही इसमें के अधिकांश कर्मचारियों की ठेका प्रणाली से नियुक्ति की गई है और स्थायी कर्मचारियों पर अतिरिक्त भार आ रहा है. इस कारण भी इस प्रकल्प पर प्रभावी रुप से अमल होने में दुविधा आ रही है. इसी का परिणाम प्रेरणा प्रकल्प को उचित तरीके से चलाने पर हो रहा है. इसके अलावा अनेक किसानों को प्रेरणा प्रकल्प क्या है इसकी जानकारी ही नहीं है यह बात भी सामने आई है. इस कारण इस योजना बाबत उदासीनता उजागर हुई है.
* क्या है प्रेरणा प्रकल्प?
जिले के प्रत्येक गांव में कर्ज में डूबे, आर्थिक संकट में रहे किसानों को खोजकर उन्हें 108 क्रमांक की एम्बुलेंस से तहसील अथवा जिला स्थल पर लाकर इस योजना को प्रत्यक्ष में चलाया जाता है. ग्रामसेवक और पटवारी के जरिए भी निराश किसानों को खोजकर उन्हें सभी तरह की शासकीय योजना समझाकर बताई जाती है. उन्हें उपयुक्त लगने वाली योजना बताकर प्रत्यक्ष कर्ज उपलब्ध होने के लिए मार्गदर्शन किया जाता है. किसानों और उनके परिवार को रोजगार दिलवाने के भी प्रयास किए जाते है.
* गांव में शिविर लेकर किसानों का समुपदेशन
प्रेरणा प्रकल्प के तहत केवल आशा वर्करों को मानधन दिया जाता है. आशावर्कर प्रत्येकी एक परिवार के लिए 5 रुपए, ग्रामीण अस्पताल में अथवा उपजिला अस्पताल में मरीज लाने पर 100 रुपए और जिला अस्पताल में मरीज लाने पर 200 रुपए मानधन दिया जाता है. जिला अस्पताल अंतर्गत गांव में शिविर लेकर किसानों का समुपदेशन किया जाता है.
– डॉ. स्वाति सोनोने,
मानसोपचार तज्ञ तथा प्रेरणा प्रकल्प अधिकारी
* प्रकल्प शुरु होने के बाद किसानों की आत्महत्या
वर्ष पात्र अपात्र कुल
2016 159 190 359
2017 157 116 273
2018 166 76 242
2019 203 66 279
2020 183 112 295
2021 274 96 370
2022 283 66 348
2023 176 57 297
* प्रेरणा प्रकल्प को मिला अनुदान
वर्ष अनुदान
2015-16 2394000
2016-17 139570
2017-18 3520860
2018-19 547395
2019-20 1132225
2020-21 0000
2021-22 1930325
2022-23 3567770