अमरावती – शहर के जयस्तंभ चौक स्थित जीर्ण शीर्ण हो चुकी इमारत का मामला मुंबई उच्च न्यायालय पहुंचा है. इस मामले पर मुंबई उच्च न्यायालय ने चार सप्ताह के भीतर इमारत को गिराने के आदेश दिए है.
यहां बता दें कि महात्मा गांधी मार्केट के बाद जयस्तंभ चौक इमारत को ढहाने का आदेश मनपा की ओर से इमारत के मालिक सुनील गिल्डा को जुलाई माह के तीसरे सप्ताह में २५ और २६ जुलाई को इमरात ढहाने की चेतावनी जावरकर व परमलाल राईकवार को दी थीं. बावजूद इसके मनपा अधिकारियों ने जानबूझकर कार्रवाई नहीं किए जाने से मुंबई उच्च न्यायालय में फौजदारी याचिका नागपुर खंडपीठ में दाखिल की गई. इस याचिका पर २१ जून को अंतिम सुनवाई न्यायमूर्ति हक व न्यायमूर्ति अविनाश घरोटे के न्यायालय में सुनवायी ली गयी और न्यायालय का निपटारा किया गया.
इस मामले में मनपा और पुलिस प्रशासन का समन्वय नजर नहीं आ रहा है. इसकी वजह यह है कि स्वयं अमरावती पुलिस आयुक्त बावीस्कर ने उच्च न्यायालय में ७ अगस्त के आदेश पर शपथपत्र दाखिल करने के आदेश दिए थे. क्योंकि मनपा के वकील राहुल धर्माधिकारी ने उच्च न्यायालय के सामने शपथपत्र दाखिल कर सूचित किया था कि मनपा की जर्जर इमारतों को तत्काल गिरानी है तो पुलिस प्रशासन के सहयोग के बगैर नहीं किया जा सकता.
पुलिस आयुक्त ने अपने शपथपत्र के परिच्छेद ५ में मनपा अधिकारियों की कार्यशैली पर उंगलिया उठायी व कानूनी नियमों के तहत व उच्च न्यायालय के दो निर्देशों के अनुसार मनपा कार्रवाई नहीं किए जाने की बात का उल्लेख किया गया. वहीं परिच्छेद ६ में मनपा अपनी जिम्मेदारी पुलिस विभाग पर ढकेलने का काम किया जा रहा है. भास्कर जावरकर की ओर से एड. पुरुषोत्तम पाटिल ने युक्तिवाद करते हुए उच्च न्यायालय में मामला दाखिल नहीं करने की बात कही. सभी पक्षों की दलीले सुनने के बाद न्यायमूर्ति हक व न्यायमूर्ति अविनाश घराटे ने मनपा की इमारत को ४ सप्ताह में गिराने के निर्देश देते हुए ६ सितंबर से पूर्व पुलिस विभाग की ओर कार्रवाई की जाएगी यह सूचना देते हुए आदेश देकर मामले का निपटारा किया गया.