अमरावती

इर्विन में नवप्रसूता के शव का अवमान

दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हेतु विधायक पटेल ने लिखा सीएम शिंदे को पत्र

* जिला दौरे पर आए पालकमंत्री पाटिल के समक्ष भी उठाया मामला
अमरावती/दि.20– एक नवप्रसूता आदिवासी महिला के शव का पोस्टमार्टम बिना वजह 25 घंटे तक रोककर रखे जाने का मामला सामने आया है. ऐसे में जिला सामान्य अस्पताल व जिला सलाहगार में आदिवासी महिला के शव का अवमान करने वाले संबंधितों के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज किया जाए. ऐसी मांग मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र के विधायक राजकुमार पटेल ने राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नाम भेजे गए पत्र में की है. साथ ही नवनियुक्त पालकमंत्री के रुप में पहली बार जिला दौरे पर आए मंत्री चंद्रकांत पाटिल के समक्ष भी उन्होंने इस मामले को बेहद गंभीरतापूर्ण ढंग से उठाया.

जानकारी के मुताबिक धारणी तहसील अंतर्गत डेरडा बिल्डा गांव में रहने वाली योगिता आकाश कास्देकर नामक विवाहिता की विगत 8 अक्तूबर को धारणी के उपजिला अस्पताल में प्रसूति हुई थी. पश्चात 9 अक्तूबर को तबीयत बिगड जाने के चलते उसे जिला सामान्य अस्पताल में इलाज हेतु रेफर किया गया था. जहां पर 10 अक्तूबर की सुबह 10 बजे योगिता कास्देकर की मौत हो गई. पश्चात योगिता के पति आकाश मौजिदलाल कास्देकर ने अंतिम संस्कार हेतु अपनी पत्नी का शव मिलने के लिए संबंधित वैद्यकीय अधिकारी से पोस्टमार्टम की प्रक्रिया थोडा जल्दी निपटाने की बात कही. क्योंकि उसे शव को लेकर अमरावती से 160 किमी दूर धारणी ले जाना था और वहां से 20 किमी आगे अपने गांव भी पहुंचना था. लेकिन इसके बावजूद भी योगिता के शव का पोस्टमार्टम 10 अक्तूबर की बजाय 11 अक्तूबर को दोपहर करीब 12.30 बजे के आसपास किया गया और इसके बाद उसके शव को उसके पति के स्वाधीन किया गया. इस समय तक योगिता कास्देकर की मौत हुए करीब 25 घंटे का समय बीत चुका था. इस बात की जानकारी मिलते ही क्षेत्र के विधायक राजकुमार पटेल ने पूरे मामले को लेकर अपना जबर्दस्त रोष जताया है.

* …तो हम यहां मरने के लिए नहीं आए है
इस संदर्भ में राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को लिखे गए पत्र में विधायक राजकुमार पटेल ने कहा कि, धारणी के उपजिला अस्पताल में 100 बेड की क्षमता वाला अस्पताल बनाना विगत लंबे समय से प्रस्तावित है. परंतु यह काम अब तक अधर में अटका हुआ है. यदि धारणी में ही सभी आवश्यक चिकित्सा सुविधाओं वाला अस्पताल उपलब्ध हो जाता है, तो हम लोगों को मरने के लिए अमरावती आने की जरुरत ही नहीं पडेगी. ऐसे में बेहद जरुरी है कि, 160 किमी आने-जाने में लगने वाले पैसे व समय को बचाने हेतु मेलघाट के आदिवासियों के इलाज के लिए धारणी में ही सभी सुविधाओं वाला अस्पताल उपलब्ध कराया जाए.

* एम्बुलेंस नहीं रहने के चलते टाला पोस्टमार्टम
जानकारी के मुताबिक 10 अक्तूबर की सुबह 10 बजे योगिता की मौत होने के बाद उसके शव को पोस्टमार्टम हेतु शवागार में भिजवा दिया गया था. जहां पर बता दिया कि, योगिता के शव का पोस्टमार्टम दोपहर 2 बजे किया जाएगा. परंतु 4 बजे तक पोस्टमार्टम को लेकर कोई प्रक्रिया ही शुरु नहीं हुई थी. इस बारे में पूछे जाने पर पता चला कि, पोस्टमार्टम पश्चात शव को धारणी ले जाने हेतु एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं है. ऐसे में अब पोस्टमार्टम अगले दिन यानि 11 अक्तूबर को किया जाएगा. जिसके चलते योगिता का शव पूरी रात शवागार में रखा रहा और उसके पति को पूरी रात अस्पताल परिसर में ही काटनी पडी. पश्चात 11 अक्तूबर को सुबह से बार-बार निवेदन करने के बाद दोपहर 12.30 बजे के आसपास योगिता के शव का पोस्टमार्टम किया गया. इस समय तक योगिता की मौत हुए करीब 25 घंटे का समय बीत चुका था.

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