कोविड क्लेम मामले में फिर्यादी सहित बीमा एजेंट महिला का दर्ज हुआ बयान
श्रीकृष्ण पेठ स्थित अस्पताल से मांगा गया सभी कोविड मरीजों का ब्यौरा
* बीमा कंपनियों के नाम भी शहर पुलिस ने भेजा पत्र
* बहुत जल्द हो सकता है कोई बडा खुलासा
अमरावती/दि.4- विगत दो दिनों से चर्चा में चल रहे कोविड इन्शुरन्स क्लेम मामले को लेकर शहर पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने आज फिर्यादी महिला सहित उसके परिचय में रहनेवाली बीमा एजेंट महिला के बयान दर्ज किये. हालांकि अभी गैर अर्जदार के तौर पर बीमा एजेंट के रूप में काम करनेवाली महिला का पूरा बयान दर्ज होना बाकी है. वहीं आर्थिक अपराध शाखा द्वारा अब शहर के श्रीकृष्ण पेठ स्थित अस्पताल को भी अपने राडार पर लिया गया है और कोविड संक्रमण काल के दौरान निजी कोविड अस्पताल के रूप में काम कर चुके इस अस्पताल के संचालकों से यह जानकारी मांगी गई है कि, कोविड संक्रमण की पहली व दूसरी लहर के दौरान इस अस्पताल में कितने मरीज भरती हुए थे, उनमें से कितने मरीजों ने पहले से कोविड इन्शुरन्स पॉलीसी ले रखी थी और कितने मरीजों के कोविड इन्शुरन्स क्लेम किये गये. साथ ही साथ इस बात का भी पता लगाया जा रहा है कि, उस समय इस अस्पताल में कितने लोगों की रैपीड एंटीजन टेस्ट के जरिये कोविड टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटीव आयी थी और उनमें से कितने लोग अस्पताल में भरती किये गये और कितने लोगों को होम आयसोलेट किया गया.
बता दें कि, दो दिन पूर्व बोहरा गली परिसर में रहनेवाले एक संभ्रांत परिवार की सजग व ईमानदार महिला ने शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह से मुलाकात करते हुए उन्हें जानकारी दी थी कि, उसने अपने परिचय में रहने वाली बीमा एजेंट महिला के कहने पर फैमिली हेल्थ इंश्यूरेंस पॉलिसी दी थी. जिसके लिए श्री कृष्ण पेठ परिसर स्थित एक अस्पताल में उसका व उसके परिजनों का मेडिकल चेकअप कराया गया था. पश्चात 4 माह बाद उसे अलग-अलग बीमा कंपनियों से कोविड इंश्यूरेंस क्लेम के लिए वैरिफिकेशन कॉल आने शुरु हो गये और एक कंपनी ने तो बाकायदा उसके बैंक खाते में ढाई लाख रुपए जमा भी करा दिये. जबकि हकीकत यह है कि, वह और उसके परिवार का कोई भी सदस्य कोविड संक्रमित नहीं हुआ था और वे किसी कोविड अस्पताल में भी भर्ती नहीं हुए थे. इसके बावजूद उन्हें कोविड हेल्थ इंश्यूरेंस पॉलिसी का क्लेम बिना मांगे दिया जा रहा है. इस महिला द्बारा खुद होकर सामने आते हुए कोविड इंश्यूरेंस पॉलिसी के नाम पर चल रहे फर्जीवाडे की जानकारी दिये जाते ही शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह ने इस मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा को सौंपी. जिसके तहत कल उक्त महिला एजेंट को भी पूछताछ हेतु बुलाया गया था.
वहीं इससे पहले इस मामले में शिकायतकर्ता महिला द्बारा पुलिस आयुक्त को जानकारी दी गई थी कि, हेल्थ इंश्यूरेंस पॉलिसी लेने के बाद उन्हें श्रीकृष्ण पेठ स्थित अस्पताल में मेडिकल चेकअप के नाम पर करीब 3-4 बार ले जाना गया था. पश्चात करीब 4 माह बाद उसे सबसे पहले रिलायंस इंश्यूरेंस कंपनी से कोविड क्लेम के लिए वैरिफिकेशन कॉल आयी थी और ढाई लाख रुपए देने की बात कही गई थी. इसके बाद उसे इफ्को टोकियो इंश्यूरेंस, लिबर्टी इंश्यूरेंस व स्टार इंश्यूरेंस से भी क्लेम के वैरिफिकेशन हेतु कॉल आयी और लिबर्टी इंश्यूरेंस ने तो बाकायदा उसके खाते मेें ढाई लाख रुपए की रकम भी जमा करा दी. लेकिन हैरत और मजे की बात यह है कि, इस महिला सहित उसके परिवार का कोई भी सदस्य कोविड संक्रमित नहीं हुआ था और श्रीकृष्ण पेठ स्थित कोविड अस्पताल सहित शहर के किसी भी सरकारी या निजी कोविड अस्पताल में भरती भी नहीं हुआ था. किंतु इसके बावजूद इन्शुरन्स क्लेम में दिखाया गया कि, यह महिला कोविड संक्रमित होकर श्रीकृष्ण पेठ स्थित निजी कोविड अस्पताल में भरती हुई थी. जहां पर उसका इलाज चला था और इसकी ऐवज में उसे इंशुरन्स क्लेम दिया जा रहा है.
* शिकायत वापिस लेने को लेकर था जबर्दस्त दबाव
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, शिकायतकर्ता महिला व बीमा एजेेंट के तौर पर काम करनेवाली महिला एक ही समुदाय से वास्ता रखते है और दोनों के निवासस्थान भी बोहरा गली परिसर में आसपास ही स्थित है. ऐसे में संबंधित समुदाय के कुछ प्रतिष्ठितों ने इसे आपस का मामला बताते हुए आपस में ही निपटा लेने के लिए फिर्यादी महिला पर पुलिस के पास दी गई अपनी शिकायत को वापिस लेने के लिए दबाव बनाना शुरू किया था. जिसमें ‘लक्ष्मीकांत’ नामक एक व्यक्ति की प्रमुख भूमिका थी. बीमा एजेंट के तौर पर काम करनेवाली महिला इसी ‘लक्ष्मीकांत’ नामक व्यक्ति के यहां काम करती है. वहीं यह भी पता चला कि, इस महिला की तरह ही ‘लक्ष्मीकांत’ के यहां काम करनेवाले अन्य 15-20 एजेेंट भी इसी तरह के कामों में लिप्त थे.
* शायद पहली बार गलती से क्लेमधारक के खाते में आये पैसे
आर्थिक अपराध शाखा के अधिकारियों द्वारा व्यक्त किये गये अनुमान के मुताबिक संभवत: इससे पहले कोविड हेल्थ पॉलीसी या इन्शुरन्स क्लेम बनाते समय बीमा राशि का लाभ एजेंट या दवाखाने के बैंक खाते में जमा कराया जाता होगा, जिसे संबंधितोें द्वारा आपस में बांट लिया जाता रहा होगा. जिसकी वजह से अब तक इस मामले को लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आयी और संभवत: अब पहली बार फर्जी तरीके से कोविड पॉलीसी होल्डर बनाई गई महिला के खाते में बीमा क्लेम की राशि जमा हो गई. वहीं चूंकि यह महिला इमानदार और सजग निकली, तो उन्होंने शहर पुुलिस आयुक्त के पास पहुंचकर पूरे फर्जीवाडे की जानकारी दी. जिसके चलते इस मामले का भंडाफोड हुआ है. ऐसे में अब श्रीकृष्ण पेठ स्थित उस निजी कोविड अस्पताल से कोविड संक्रमित मरीजों से संबंधित पूरा ब्यौरा मांगा गया है. इस संक्रमण की पहली व दूसरी लहर के दौरान उस अस्पताल में कितने कोविड संक्रमित मरीज भरती हुए और उनमें से कितने मरीजों द्वारा कोविड इन्शुरन्स क्लेम के लिए आवेदन किया गया. इसके साथ ही अमरावती शहर में बीमा व्यवसाय करनेवाली तथा कोविड काल के दौरान कोविड हेल्थ इन्शुरन्स पॉलीसी बेचनेवाली निजी बीमा कंपनियों से भी जानकारी मांगी गई है कि, अमरावती शहर सहित जिले में किन-किन लोगों के कोविड क्लेम मंजूर किये गये और किन-किन खातों में क्लेम की राशि जमा करायी गई. इस जानकारी से संबंधित पूरा ब्यौरा मिलने के बाद इस मामले को लेकर कुछ बेहद नये व चौकानेवाले बडे खुलासे होने की पूरी उम्मीद है.