अमरावती/दि.18- स्थानीय उद्योजक व सामाजिक कार्यकर्ता नितीन मोहोड द्वारा विगत शुक्रवार व शनिवार को अमरावती शहर में हुई हिंसा तथा तोडफोड के लिए पुलिस महकमे के खुफिया विभाग की नाकामी को जिम्मेदार बताया गया है. इस संदर्भ में यहां जारी विज्ञप्ती में नितीन मोहोड ने कहा कि, एक संगठन के आवाहन पर शहर में 20-25 हजार लोगों का जमावडा इकठ्ठा हुआ और पुलिस को इसकी भनक भी नहीं लगी. ऐसे में पुलिस की मुस्तैदी पर सवालियां निशान तो उठाये ही जायेंगे. क्योंकि आज इस नाकामी की सजा आम शहरवासी भुगत रहे है.
पूर्व पुलिस अधिकारी रहनेवाले नितीन मोहोड ने कहा कि, यद्यपि उस वक्त शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह छुट्टी पर थी. किंतु विशेष शाखा, गुप्त वार्ता विभाग व खुफिया विभाग क्या कर रहे थे. क्योेंकि इन विभागों को केवल राजनीति व सामाजिक उथल-पूथल तथा सभा व मोर्चे आदि की जानकारी के लिए ही बनाया गया है और इसी काम के लिए इस विभाग के अधिकारियों को प्रतिमाह लाखों रूपयों का वेतन दिया जाता है. अत: विगत शुक्रवार को हुई चूक के लिए सबसे पहले इन्हीं महकमे के लोगों को निलंबीत करना चाहिए. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, अमरावती में शांतता समितियां किसी भी काम की नहीं है और इन समिती सदस्यों की कोई सुनता भी नहीं है. विगत दिनों हुई हिंसा के बाद पालकमंत्री सहित कांग्रेस पदाधिकारियों व तथाकथित समाजसेवियों ने अलग-अलग विभागों में फोटो निकालने के लिए शांतता रैली का स्वांग रचा. साथ ही हेल्पलाईन वालों ने भी केवल स्टेज पर बैठकर फोटो खिंचवाये. किंतु दंगा क्यों भडका और पुलिस को लेकर लोगों में कोई डर क्यों नहीं था. इसकी वजह का कोई विचार नहीं कर रहा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, विगत छह-सात दिनों के दौरान व्यापार व रोजगार सहित पढाई-लिखाई का जो नुकसान हुआ, उससे प्रशासन को कोई फर्क नहीं पडता, बल्कि इससे आम जनता का नुकसान होता है. वहीं शहर में नेट बंदी और शहर से बाहर महज 10 किमी की दूरी पर इंटरनेट शुरू रखते हुए पुलिस क्या हासिल कर रही है, यह समझ से बाहर है. नितीन मोहोड के मुताबिक अमरावती शहर में दोनों समुदायों के लोग काफी समझदार है और आज दोनों ही समाज के लोग दंगे भडकानेवाले नेताओं को गालिया दे रहे है. ऐसे में इस नुकसान और दहशत की जिम्मेदारी जिला पालकमंत्री ने लेनी चाहिए और जल्द से जल्द अमरावती शहर में कर्फ्यू को खोल देना चाहिए, ताकि लोगों को रोजगार मिले.