* लगभग दो वर्षो से पालिका पर प्रशासक राज
चांदूर बाजार/दि.4-स्थानीय नगर पालिका के नगराध्यक्ष सहित सदस्यों का कार्यकाल नवंबर 2021 में ही खत्म हो गया था जिसके बाद से अब तक पालिका पर प्रशासक राज बना हुआ है. कार्यकाल के खत्म होने के पूर्व से इच्छुकों द्वारा नए सिरे से चुनावी घमासान लडने की तैयारी जोरों पर थी. कार्यकाल समाप्त होते ही आजी माजी पार्षदों के साथ आवी भावी इच्छिको द्वारा चुनाव लडने की तैयारी जोरों पर दिखी थी. लेकिन समय के चलते और न्यायालय के आदेश के साथ चुनाव धीरे धीरे आगे बढते चले गए. जिसके बाद इच्छूकों में निराशा देखने को मिली.
विगत 2 वर्षो से चुनाव का इंतजार करते करते इच्छुक उम्मीदवारों की हालत काटे नही कट रहे..लम्हे इंतजार के जैसी हो गई है. बता दें कि पिछले समय पालिका पर सीधे जनता से भाजपा के स्व रविंद्र पवार पालिका के नगराध्यक्ष बने इस तरह पालिका पर भाजपा का वर्चस्व रहा था लेकिन अपना कार्यकाल पूर्व करने के पूर्व ही बीमारी के चलते उनका देहांत हो गया तब पालिका का एक वर्ष का कार्यकाल बाकी था जिसके बाद प्रहार जनशक्ति पक्ष और निर्दलियो ने प्रहार समर्पित उम्मीदवार नितिन कोरडे को बतौर नगराध्यक्ष चुना. कार्यकाल खत्म करने के बाद कोरडे का भी सड़क दुर्घटना मे देहांत हो गया. अब अगर बात की जाए शहर के निकाय चुनाव राजनीति की तो यह बात तो तय है की फिलहाल शहर मे विधायक बच्चू कडु के जनशक्ति पक्ष और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं मे जमकर राजनीति चलती है और वह उम्मीद पालिका पर अपने अपने पक्ष के राज की उम्मीद लगा रहे है. साथ ही कांग्रेस जिलाध्यक्ष बब्लू देशमुख द्वारा भी लंगोट कस इस बार पूरी तैयारी के साथ निकाय चुनाव के अखाडे मे अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी मे है. लेकिन चुनाव देरी से होने के चलते इच्छुकों की उम्मीदें ठंड होती दिखाई दे रही है. कभी हल्की सी आशा की किरण पर राजनीति और समाजसेवा के कार्यों मे बढ़ोतरी देखने को मिलती है. समय के साथ शहर का समीकरण देखना दिलचस्प होगा.
* निकाय चुनाव के प्रति शहरवासियों की राय
आमजनो की परेशानियां बढी
निकाय चुनाव लेट होने के चलते आम नागरिकों की परेशानियां बढी है. प्रभाग सी जुड़ी कई समस्याएं पैदा हो रही जिसके निराकरण के लिए नेतृत्व मौजूद नही है. सफाई और स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं को हाल में मानसून के मौसम मे देखने को मिल रहा है.
-मुदस्सिर नजर, जनरल सेक्रेटरी (युवक कांग्रेस)
नागरिकों को नेतृत्व की जरूरत
पालिका के साथ साथ सामान्य नागरिकों को अन्य कामों के लिए कही ना कही नेतृत्व की जरूरत पडती है. जिसके चलते उनके प्रशासकीय कामो का निपटारा करना आसान होता है. लेकिन चुनाव ना होने के चलते सरकारी कामों के पूरा करने मे सामान्य नागरिक को कठिनाई हो रही है इसी लिए किसी का नेतृत्व होना बेहद जरूरी है.
हाजी अब्दुल रहमान, पूर्व नगराध्यक्ष
स्थानिक जनप्रतिनिधियों से संपर्क टूटा
विगत दो वर्षो से नागरिक अपने छोटे मोटे कागजी काम स्वयं ही कर रहे है. पालिका पर प्रशासकीय कार्यकाल होने के चलते अब पूर्व नपा सदस्यो और स्थानिक जनप्रतिनिधियों से आमजनो का संपर्क टूटता दिखाई दे रहा है.
– नजीर अहमद, मतदाता
सामाजिक कार्यों के करने की दिशा में बदलाव
नगर पालिका में चुन कर आने के बाद जो कार्य एक पार्षद बतौर जिम्मेदार अपने प्रभाग के नागरिकों के लिए करता है उसकी दिशा बदल गई है. चुनाव होने के बाद पद का फायदा जितना उम्मीदवार को होता है उससे अधिक आमजनो की समस्याओं के निराकरण में होता है इसी लिए चुनाव होना बेहद जरूरी है.
-नरेंद्र उर्फ आबू वानखडे, शहराध्यक्ष, प्रहार जनशक्ति पक्ष
अधिकारियो की लगाम छूटी
पालिका मे जनता द्वारा भेजा गया एक भी सदस्य मौजूद नही, जिसके कारण पालिका के अधिकारियों की लगाम छूटी है. जहां जनता के प्रतिनिधि मौजूद नही वहां अधिकारियों द्वारा अपने मनमुताबिक काम हो रहे है. आमजनों की परेशानियों को ताक पर रखा जा रहा है इसके लिए चुनाव होना जनता के हित के लिए जरूरी है.
– मुरली माकोडे, तहसील अध्यक्ष,भाजपा
अशिक्षित नागरिकों की फजीहत
पालिका संबंधित छोटे मोटे काम के लिए शहर के अशिक्षित नागरिकों की फजीहत हो रही है. अब जबकि अधिकतर काम ऑनलाइन तर्ज पर चल रहे है ऐसी मे 10 मीन के काम के लिए इन्हें पूरा पूरा दिन गुजारना पड रहा है. अगर चुनाव होते और जनता के प्रतिनिधि पालिका मे मौजूद हो तो कही ना कही सभी का इसका फायदा पहुंचेगा.
-शेख मुजाहिद, मतदाता, टीपू सुल्तान चौक