डॉ. राजेंद्र गवई का ‘अमरावती मंडल’ को इंटरव्यू
हमारी पार्टी अमरावती पर लडेगी, मैं हो सकता हूं प्रत्याशी
* हम किसी की बी टीम नहीं, हमारी खुद की राष्ट्रीय पार्टी है
अमरावती/दि.22 – रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया गवई गुट के नेता डॉ. राजेंद्र गवई ने आज दोपहर अमरावती मंडल से बातचीत में साफ कहा कि, अब जबकि कांग्रेस ने बलवंत वानखडे की उम्मीदवारी अधिकृत रुप से घोषित कर दी है, उनकी (रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया) अमरावती लोकसभा सीट से चुनाव लडेगी, यदि कोई दूसरा सक्षम उम्मीदवार नहीं मिलता है अथवा जोखिम उठाने से घबराता है, तो वे स्वयं अमरावती सीट पर चुनाव लडेगे.
क्या आप वोट कटवा रहेंगे? इस प्रश्न पर डॉ. राजेंद्र गवई ने कहा कि, हर राजनीतिक दल और हर व्यक्ति को चुनाव लडने का अधिकार है. ऐसे में किसी का वोट कटवा बनने का सवाल ही नहीं उठाता. हमें हमारे हक के वोट मिलेंगे, जिन पर हमारा अधिकार है और हमारी विचारधारा पर विश्वास करने वाले हमें निश्चित तौर पर भरपूर मतदान करेंगे. अपने इस कदम की वजह से कांग्रेस एवं महाविकास आघाडी के प्रत्याशी बलवंत वानखडे को हो सकने वाले संभावित नुकसान की ओर ध्यान दिलाये जाने पर डॉ. राजेंद्र गवई ने कहा कि, कांग्रेस ने भी हमारी फिक्र करनी चाहिए थी. कांग्रेस को दलितों के लिए काम करने वाला दलित क्योें दिखाई नहीं देता. आज इस सीट पर एड. प्रकाश आंबेडकर व रिपाई गवई गुट की ओर से की जाती दावेदारी को कांग्रेस ने अंदेशा क्यों किया और पिछलग्गु बनकर घुमने वाले किसी व्यक्ति को टिकट देकर कांग्रेस ने क्या हासिल कर लिया. इस बात का खुद कांग्रेस को विचार करना होगा.
अनुसूचित जाति हेतु आरक्षित अमरावती संसदीय सीट पर रिपाई गवई गुट का हक बताते हुए डॉ. राजेंद्र गवई ने कहा कि, इस सीट पर कांग्रेस ने कभी उनके पिताजी दादासाहब गवई को रिपाई प्रत्याशी के तौर पर अपना समर्थन दिया था और दादासाहब गवई ने रिपाई के ‘उगता सूरज’ चुनाव चिन्ह पर चुनाव लडते हुए जीत भी हासिल की थी. उस समय की कांग्रेस बेहद अलग थी, जो सहयोगी दलों को साथ लेकर चला करती थी. परंतु आज की कांग्रेस में केवल मनमानी चल रही है. जिसके तहत सहयोगी दलों के नेताओं को भी कांग्रेस के चुनावी चिन्ह पर चुनाव लडने हेतु दबाव डाला जा रहा है. इसी के साथ राजेंद्र गवई ने बताया कि, खुद उन पर कांगे्रस के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लडने की शर्त लादी गई थी. लेकिन कांग्रेस को यह जवाब देना चाहिए कि, पिछली बार जब कांग्रेस व राकांपा ने नवनीत राणा को समर्थन दिया था, तब नवनीत राणा पर यह शर्त क्यों लागू नहीं की गई थी.
पिछले लोकसभा चुनाव में नवनीत राणा का समर्थन किये जाने की बात याद दिलाने पर डॉ. राजेंद्र गवई ने कहा कि, इस समय हम कांग्रेस-राकांपा गठबंधन का हिस्सा थे और राकांपा सुप्रीमो शरद पवार ने हमारे साथ कुछ वादे किये थे. परंतु आगे चलकर उन वादों को पूरा नहीं किया गया.
* एमआईएम भी हमारे साथ आने के लिए तैयार
इस पूरी बातचीत के दौरान अपने एकेले के दौरान चुनाव लडने की प्रतिबद्धता जाहीर करने वाले डॉ. राजेंद्र गवई से जब यह पूछा गया कि, रिपाई इस समय अपने अकेले के दम पर चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं है, तो आप किस आधार पर चुनाव लडने की जिद पर अडे है, तब डॉ. राजेंद्र गवई ने बताया कि, हकीकत में उनकी सांसद ओवैसी के नेतृत्ववाली एमआईएम के साथ भी बातचीत चल रही है और एमआईएम भी रिपाई के साथ आने के लिए तैयार है. ऐसे में दलित-मुस्लिम एकता के जरिए एक बडी ताकत खडी की जा सकती है.