अमरावती

विद्यापीठ में 5.66 करोड के अनुदान मामले की जांच

सीनेट ने जांच समिती करने का लिया निर्णय

  • करंट खाते में रखी गयी रकम, ब्याज डूबा

अमरावती/दि.16 – संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ को केंद्रीय विद्यापीठ अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा 5 करोड 66 लाख 10 हजार रूपये का अनुदान दिया गया. लेकिन इस अनुदान की रकम को संबंधित विभाग को आवंटित न करते हुए विद्यापीठ के करंट बैंक अकाउंट में रखा गया. वित्त व लेखा विभाग की इस लापरवाही के चलते विद्यापीठ को 4 से 5 लाख रूपयों के ब्याज से वंचित रहना पडा. ऐसे में इस मामले की जांच करने हेतु एक समिती गठित कर सत्यशोधन किया जाये, ऐसा निर्णय सीनेट सभा में लिया गया है.
सीनेट सदस्य डॉ. सुभाष गावंडे ने विगत 12 मार्च को हुई सीनेट सभा में वित्त व लेखाधिकारी के कामकाज पर कई सवालिया निशान उपस्थित करते हुए कहा कि, वर्ष 2019-20 ने यूजीसी द्वारा अगस्त व दिसंबर माह में 1 करोड 11 लाख 61 हजार 478 रूपये, फरवरी 2020 में 4 करोड 33 लाख 75 हजार 489 रूपये तथा 20 लाख 73 हजार 119 रूपये, ऐसे कुल 5 करोड 66 लाख 10 हजार 86 रूपये का अनुदान दिया गया. लेकिन इस रकम को विद्यापीठ द्वारा अपने करंट अकाउंट में रखा गया. जिसकी कोई वजह समझ में नहीं आती. गावंडे द्वारा उपस्थित किये गये प्रश्न का वित्त व लेखाधिकारी भरत कर्‍हाड कोई समाधानकारक जवाब नहीं दे पाये. इस समय अधिसभा सदस्य डॉ. दीपक धोटे व प्रा. रविंद्र मुंद्रे ने भी वित्त व लेखा विभाग के कामकाज को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज करायी. अधिसभा सदस्यों के रोष और भावनाओं का विचार करते हुए कुलगुरू मुरलीधर चांदेकर ने इस मामले में जांच समिती गठित करने का निर्णय लिया. जिसके बाद इस विषय को लेकर एक घंटा चला घमासान शांत हुआ. साथ ही अब सभी का ध्यान इस बात की ओर लगा है कि, इस जांच समिती में किसकी नियुक्ती होती है.

यूजीसी से प्राप्त 5 करोड 66 लाख रूपयों का अनुदान करंट अकाउंट में रखे जाने के मामले को लेकर अधिसभा में हुई चर्चा के अनुसार जांच समिती गठित की जायेगी. जिससे इस मामले से जुडा सच सामने आयेगा. फिलहाल समिती का गठन होना बाकी है.
– डॉ. मुरलीधर चांदेकर
कुलगुरू, संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ

5 करोड 66 लाख रूपये की रकम पर 11 माह के दौरान ब्याज के तौर पर विद्यापीठ को एक रूपये की भी आय नहीं हुई. यह बेहद आश्चर्यजनक है. विद्यापीठ में भारी भरकम वेतन लेनेवाले अधिकारी कैसे काम करते है, यह अब संशोधन का विषय है, क्योंकि कई अधिकारी अपने कामों की वजह से विद्यापीठ को नुकसान पहुंचा रहे है.
– डॉ. सुभाष गावंडे

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