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आयपीएल तो केवल एक शुरूआत, आगे देश के लिए खेलने का सपना

पंजाब किंग्ज-11 में चुने गये जीतेश शर्मा का कथन

* मूलत: अमरावती निवासी है जीतेश, अपनी उपलब्धि से शहर को किया गौरवान्वित
* अमरावती मंडल के साथ साझा की अपने क्रिकेट के सफर की यादें
अमरावती/दि.14– अंडर 16 स्टेट लेवल से शुरू होकर विभिन्न आयुगुट में अलग-अलग स्पर्धाओें के लिए खेलते हुए मैं इस समय आयपीएल टूर्नामेंट का हिस्सा हूं. साथ ही मेरा सपना है कि, मैं बहुत जल्द भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बनकर अंतरराष्ट्रीय मैचों में देश का प्रतिनिधित्व करूं. इस आशय का प्रतिपादन मूलत: अमरावती शहर के रहनेवाले तथा गत रोज ही आयपीएल की निलामी के दौरान पंजाब किंग्ज-11 का हिस्सा बननेवाले युवा क्रिकेटर जीतेश शर्मा ने किया.
बता दें कि, गत रोज आयपीएल के आगामी सीझन हेतु विभिन्न फ्रेंचाईसियों द्वारा अपनी-अपनी टीम के लिए खिलाडियों की बोली लगाई गई और नीलामी के जरिये खिलाडियों को खरीदकर अपनी-अपनी टीम में शामिल किया गया. जिसमें 20 लाख रूपये की बेस्ट प्राईस पर विकेट कीपर, बैटस्मैन के तौर पर पंजाब किंग्ज-11 ने जीतेश शर्मा को खरीदा. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, इससे पहले वर्ष 2015-16 तथा वर्ष 2016-17 के दौरान जीतेश शर्मा मुंबई इंडियन्स टीम का हिस्सा थे और मुंबई इंडियन्स जिस टीम में वर्ष 2016-17 में आयपीएल का फाईनल मुकाबला जीता था, उस टीम के स्कॉड में जीतेश शर्मा शामिल थे. हालांकि इसके बाद वे कुछ समय तक आयपीएल का हिस्सा नहीं रहे. लेकिन इस वर्ष सैय्यद मुश्ताक ट्रॉफी में बेहतरीन खेल प्रदर्शन करने के साथ ही 19 शानदार छक्के मारने के बाद उन्होंने आयपीएल के चयनकर्ताओं तथा फ्रेंचाईसी मालिकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया. पश्चात उन्हें 20 लाख रूपये की बेस्ट प्राईस में पंजाब किंग्ज-11 द्वारा खरीदा गया.
शहर के इस उभरते क्रिकेट सितारे से आज दैनिक अमरावती मंडल ने विशेष तौर पर बातचीत की और उनसे उनकी उपलब्धियों व क्रिकेट के सफर को लेकर जानकारी प्राप्त की. इस बातचीत के दौरान जीतेश शर्मा ने बताया कि, उन्होंने स्थानीय गोल्डन किडस् हाईस्कुल से कक्षा 10 वीं व 12 वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की और शालेय जीवन के दौरान वे एअरफोर्स में जाने का सपना देखा करते थे. इसी दौरान वे अपने स्कुल में सहपाठियों के साथ क्रिकेट भी खेला करते थे. चूंकि उनका खेल अच्छा था, तो उन्हें स्कुल की क्रिकेट टीम में शामिल कर लिया गया. जिसके जरिये उन्होंने राज्यस्तरीय शालेय क्रिकेट स्पर्धा में हिस्सा लिया. इस दौरान उनका क्रिकेट की ओर रूझान बढता जा रहा था. अत: उन्होंने नियमित रूप से हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल में जाकर क्रिकेट खेलना शुरू किया. जहां पर उन्हें संदीप गावंडे व दीनानाथ नवाथे जैसे क्रिकेट कोच मिले. जिनके मार्गदर्शन में क्रिकेट खेलते हुए वे विदर्भ क्रिकेट अकादमी में जा पहुंच. जहां पर उन्हें रणजीत पराडकर व पारस मामर्डे जैसे वरिष्ठ व कुशल क्रिकेट खिलाडियों के मार्गदर्शन में क्रिकेट की बारिकियां सीखने मिली. इसके बाद उन्हें अंडर-16, अंडर-19, अंडर-23 व अंडर-25 आयु गुट के तहत रणजी ट्रॉफी, सैय्यद मुश्ताक ट्रॉफी, विजय हजारे ट्रॉफी तथा देवधर ट्रॉफी सहित सिनियर रणजी कप स्पर्धा में भी खेलने का अवसर मिला. साथ ही वे अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्ड कप में 30 सदस्यीय भारतीय क्रिकेट टीम का भी हिस्सा रहे. इसके अलावा वर्ष 2015-16 तथा वर्ष 2016-17 में वे आयपीएल में खेलनेवाली मुंबई इंडियन्स के 30 सदस्यीय टीम का हिस्सा थे और अब पंजाब किंग्ज-11 में विकेट किपर बैटस्मैन के तौर पर चुने गये है. इस समय उनका लक्ष्य पंजाब किंग्ज-11 के अंतिम एकादश में अपना स्थान बनाकर स्टेडियम में उतरते हुए अपने खेल कौशल्य का प्रदर्शन करना है. वहीं वे चाहते है कि, जल्द ही वे भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बनकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वन-डे व टेस्ट मैचों में देश का प्रतिनिधित्व करे.
* परिवार से मिला पूरा साथ व सहयोग
दैनिक अमरावती मंडल के साथ बातचीत के दौरान युवा क्रिकेटर जीतेश शर्मा ने बताया कि, उनके पिताजी मोहनलाल सीताराम शर्मा मूलत: हिमाचल प्रदेश से वास्ता रखते है और कई वर्ष पहले अमरावती आकर बस गये थे. पश्चात उनका परिवार रहाटगांव के संबोधी कालोनी में रहने लगा. यहां पर उनके पिता द्वारा स्टोन क्रशर का व्यवसाय किया जाता है. परिवार में मां मनीषा शर्मा सहित छोटा भाई नीतेश शर्मा भी है. जहां एक ओर माता-पिता ने बचपन से ही खेल के प्रति उनके रूझान को देखते हुए उन्हें प्रोत्साहित किया. वहीं कालांतर में जब वे अपने खेल व प्रैक्टिस के चलते पूरा समय अमरावती से बाहर रहने लगे, तो छोटे भाई नीतेश शर्मा ने माता-पिता सहित परिवार की सारी जिम्मेदारियों को बखूबी संभाला.
* अमरावती में खेल सुविधाओं का विकास होना जरूरी
इस बातचीत के दौरान जीतेश शर्मा ने कहा कि, विदर्भ क्षेत्र में खेल प्रतिभाओं की कभी कोई कमी नहीं रही. किंतु हमारे पास अमरावती जैसे छोटे शहरों में खेल सुविधाओं का काफी अभाव है. जिसके चलते कई खिलाडी प्रतिभा रहने के बावजूद भी आगे नहीं बढ पाते. यहीं वजह है कि, समूचे विदर्भ क्षेत्र के खिलाडियों को प्रशिक्षण व मार्गदर्शन के लिए नागपुर जाना पडता है. जहां से एक से बढकर एक खिलाडी निकलते है और इस बार भी वीसीए से वास्ता रखनेवाले कुल पंच खिलाडी आयपीएल में चुने गये है. जिनमें कभी भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा रहे उमेश यादव सहित सौरभ दुबे, दर्शन नलकांडे व अथर्व तायडे का समावेश है. इसमें से उमेश यादव को छोडकर अन्य तीनों वैदर्भिय खिलाडी उनसे ज्युनियर है. विदर्भ क्षेत्र से वास्ता रखनेवाले खिलाडियों का आयपीएल में चयन होना ही इस बात का परिचायक है कि, हमारे यहां क्रिकेट खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है.

* 11 साल तक मैदान में जमकर बहाया पसीना
खब्बु बल्लेबाज के तौर पर पहचान रखनेवाले जीतेश शर्मा ने बताया कि, वे विगत करीब 10-11 वर्षों से विदर्भ क्रिकेट अकादमी के मैदान पर रोजाना सुबह-शाम 6-6 घंटे तक प्रैक्टिस करते हुए पसीना बहा रहे है. इस मेहनत के दम पर ही वे आज क्रिकेट के क्षेत्र में इतना आगे बढ पाये है. जीतेश शर्मा ने यह भी कहा कि, अमूमन नये खिलाडियों द्वारा क्रिकेट को एक महंगा खेल माना जाता है और कई माता-पिता अपने बच्चों को यह सोचकर आगे नहीं बढने देते की, इसमें उनका काफी पैसा खर्च होगा. लेकिन हकीकत यह है कि, यदि आप एक अच्छे खिलाडी है, तो वीसीए द्वारा आपके भोजन व निवास सहित प्रशिक्षण की व्यवस्था नि:शुल्क तौर पर की जाती है. अत: सभी अभिभावकों ने अपने बच्चों को खेलकूद के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.
* कई बेहतरीन खिलाडी है आदर्श
क्रिकेट जगत में तेजी से स्थान बना रहे जीतेश शर्मा से जब उनके पसंदीदा व आदर्श खिलाडी के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि, किसी जमाने में वे ऑस्टे्रलियन क्रिकेट माईक हंसी व माईकल क्लार्क से बेहद प्रभावित थे और उन्होंने इन दोनों खिलाडियों के खेल को देखकर क्रिकेट की बारिकियां सीखी. साथ ही वे अंबाती रायडू तथा वसीम जाफर जैसे भारतीय क्रिकेटरों से भी काफी कुछ सीखते है.
* यार-दोस्तों से भी मिला भरपुर प्यार व समर्थन
अमरावती मंडल कार्यालय में अपने पुराने मित्रों के साथ आये जीतेश शर्मा ने बताया कि, कक्षा 12 वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद करीब 10-11 साल पहले उन्होंने अमरावती छोड दिया था तथा वे नागपुर के वीसीए में जाकर रहने लगे. ऐसे में उनका मित्र परिवार काफी सीमित है, लेकिन पुराने दोस्तों के साथ उनके संबंध आज भी पहले की तरह यथावत व सहज है. वे जब भी अमरावती आते है, तो कोमलसिंह नंदा, गिरीश बोरखडे, अनिकेत खोडके व अमेय सरदार अपने इन पुराने दोस्तों के साथ ही समय बिताते है. साथ ही उनके सभी दोस्त उनकी उपलब्धियों पर खुश होते हुए उन्हें आगे बढने के लिए प्रेरित करते है.

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