क्या अमरावती में भाजपा, शिंदे गट की पैठ नहीं!
पंचायत चुनाव नतीजों का विहंगावलोकन
अमरावती/दि.22- रविवार को हुए ग्रामपंचायत चुनाव में मंगलवार को आये परिणामों से साफ हो गया कि कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना उबाठा के लिए यह चुनाव लाभदायक रहे हैं. भाजपा और शिंदे गट को चमकदार प्रदर्शन नहीं करते आया. जिससे सवाल पूछा जा रहा है कि क्या अमरावती में भाजपा और शिंदे गट की पैठ नहीं है? कांग्रेस ने 140 सरपंच जीतने का दावा किया है. भाजपा ने 120 स्थानों पर वर्चस्व का दावा किया है. सत्तारुढ़ और विरोधी आघाड़ी के दावे-प्रतिदावे के बीच आगामी जिला परिषद चुनाव की तस्वीर कैसी होगी, इस बात के बड़ी मात्रा में संकेत इस चुनाव ने दे दिए.
जिले में धामणगांव रेलवे निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा के एकमात्र विधायक प्रताप दादा अडसड हैं. उन्होंने अपने क्षेत्र में ग्रापं चुनाव में बढ़िया प्रदर्शन का दावा किया है. कांग्रेस के पूर्व विधायक वीरेन्द्र जगताप ने उनके सामने चुनौती पेश की.
तिवसा में विधायक यशोमती ठाकुर के गट ने 36 में से 25 ग्राम पंचायतों पर परचम लहराने का दावा किया है. कांग्रेस जिलाध्यक्ष अनिरुद्ध उर्फ बबलू द्ेशमुख के अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र में भी पार्टी ने अच्छे प्रदर्शन का दावा किया है. प्रहार के विधायक बच्चू कडू ने अचलपुर में अपना प्रभाव कायम रखने प्रयत्न किए. राजकुमार पटेल ने मेलघाट में अपनी ताकत आजमाई. इन दोनों को अपेक्षित सफलता मिलने का चित्र है.
दूसरी तरफ युवा स्वाभिमान के विधायक रवि राणा ने बडनेरा क्षेत्र में वर्चस्व दिखा दिया. यह तीनों विधायक फिलहाल सत्तारुढ़ दलों के साथ है. उनके द्वारा अपनी शक्ति बढ़ाना कांग्रेस और राकांपा के लिए दिक्कत का मामला हो सकता है. भाजपा के मित्र दल शिंदे गट अर्थात बालासाहब की शिवसेना को विशेष प्रदर्शन करते नहीं आया. भाजपा और शिंदे गट के दावे मिला ले तो यह संख्या 155 से अधिक नहीं होती. पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल और उनके पुत्र पूर्व विधायक कॅप्टन अभिजीत अडसूल के माध्यम से शिंदे गट ने अमरावती जिले में पैठ बनाने की कोशिश जारी रखी है. अडसूल का शिवसेना का गट केवल दर्यापुर और अंजनगांव तहसीलों तक सीमित है. जिले के अन्य भागों में जनाधार हेतु इस गट को अभी काफी मेहनत करनी होगी.
राकांपा के करीब माने जाते मोर्शी के विधायक देवेन्द्र भुयार ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करके दिखा दी. फिर भी भाजपा ने उन्हें अच्छी टक्कर दी. निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा का वर्चस्व कम करने तथा जिले के अन्य भागों में जनाधार बढ़ाने राकांपा को अभी और प्रयत्न करने पड़ेंगे. शिवसेना के ठाकरे गुट को पंचायत चुनाव में अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई. फिर भी ठाकरे गट ने अपने परंपरागत दुर्ग बचाए.