अमरावती

क्या व्यापार बंद करना ही एकमात्र उपाय है?

कैट ने लिखा सीएम ठाकरे को पत्र

  • व्यापारी संगठनों ने भी विरोध में उठायी आवाज

अमरावती/प्रतिनिधि दि.६कोविड संक्रमित मरीजों की लगातार बढती संख्या को ध्यान में रखते हुए प्रतिबंधात्मक उपाय करना निश्चित तौर पर जरूरी है, किंतु क्या कोविड संक्रमण की चेन तोडने के लिए लॉकडाउन करते हुए व्यापार-व्यवसाय को बंद करना ही एकमात्र उपाय है?, इस आशय के सवालवाला पत्र कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे को लिखा गया है.
कैट की ओर से लिखे गये पत्र में कहा गया है कि, अप्रैल महिना नये आर्थिक वर्ष का पहला महिना है, जो प्रतिवर्ष व्यापारियों की दृष्टि से बेहद कठीन होता है और 20 अप्रैल से पहले जीएसटी अदा करनी होती है. इसके अलावा करों से संबंधित अन्य सभी काम भी इसी महिने में पूर्ण करने होते है और इसी माह में नये आर्थिक वर्ष के बहिखाते भी शुरू होते है. इसके अलावा इसी अप्रैल माह में कई तरह के पर्व एवं त्यौहार भी आते है और इसी समय शादी-ब्याह का सीझन भी रहता है. ऐसे में लॉकडाउन की वजह से बाजार में होनेवाले सभी आर्थिक लेनदेन बुरी तरह से प्रभावित होेंगे. अप्रैल माह में होनेवाले व्यापारिक लेन-देन आगे दीपावली तक काम में आते है. किंतु विगत वर्ष भी ऐन सीझन के समय लॉकडाउन रहा और इस बार भी ऐन सीझन के समय लॉकडाउन लागू किया गया है. अब तक पिछले साल का नुकसान ही नहीं भर पाया है, वहीं अब राज्य सरकार द्वारा 20 दिनों का नया लॉकडाउन लागू कर दिया गया है. ऐसे में व्यापारियों को और भी अधिक नुकसान का सामना करना पडेगा. अत: मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे सहित राज्य सरकार ने इस लॉकडाउन के फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. जिसके तहत राज्य के सभी जिलों के प्रमुख व्यापारी संगठनों की बैठक बुलायी जानी चाहिए और संपूर्ण लॉकडाउन करने की बजाय कोई अन्य समाधानकारक रास्ता निकाला जाना चाहिए. ऐसी मांग कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी. सी. भरतीया ने अपने पत्र में की है.

  • व्यापारियों की भावनाओं को समझे राज्य सरकार

– सिटीलैण्ड एसो. ने सौंपा प्रशासन को ज्ञापन
स्थानीय सिटीलैण्ड एसोसिएशन द्वारा लॉकडाउन के खिलाफ सोमवार को मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे के नाम जिलाधीश शैलेश नवाल के जरिये एक ज्ञापन सौंपा गया. जिसमें कहा गया कि, व्यापारी वर्ग विगत एक वर्ष से बेहद आर्थिक दिक्कतों व समस्याओं का सामना कर रहा है. ऐसे में राज्य सरकार ने व्यापारी वर्ग की भावनाओं को समझते हुए अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए.
इस समय जिलाधीश शैलेश नवाल ने कहा कि, वे राज्य सरकार के फैसले में किसी तरह का कोई हस्तक्षेप या फेरबदल नहीं कर सकते. किंतु व्यापारियों की भावनाओें को राज्य सरकार तक जरूर पहुंचायेंगे.

  • चेंबर ऑफ कॉमर्स ने भी किया लॉकडाउन का विरोध

अमरावती चेंबर ऑफ कॉमर्स एन्ड इंडस्ट्रीज द्वारा लॉकडाउन का विरोध करते हुए जिलाधीश शैलेश नवाल को ज्ञापन सौंपा गया. जिसमें कहा गया कि, एक के बाद एक लॉकडाउन लागू करने की वजह से अमरावती का व्यापार व व्यवसाय बर्बाद हो रहा है. ऐसे में लॉकडाउन को लेकर लिये गये मौजूदा निर्णय को बदलते हुए सोमवार से शुक्रवार तक सभी तरह के व्यापार-व्यवसाय को सुबह 8 से शाम 8 बते तक खुले रहने की अनुमति दी जाये. वहीं शनिवार व रविवार को कडा लॉकडाउन रखा जाये. किंतु यदि अगले 20 दिनों तक लॉकडाउन लागू रखते हुए सभी तरह के व्यापार-व्यवसाय को बंद रखा जाता है, तो इससे व्यापारियों का काफी नुकसान होगा. साथ ही चेंबर द्वारा यह भी बताया गया कि, इससे पहले 22 फरवरी से 6 मार्च तक लागू किये गये लॉकडाउन के चलते अब अमरावती जिले में कोविड संक्रमण को लेकर हालात काफी हद तक नियंत्रण में आ गये है. ऐसे में राज्य सरकार द्वारा लागू किये गये लॉकडाउन में अमरावती जिले को छूट मिलनी चाहिए.
ज्ञापन सौंपते समय चेंबर के अध्यक्ष विनोद कलंत्री तथा सहसचिव मनीष करवा सहित कई व्यापारी उपस्थित थे.

  • होटल व्यवसायियों ने लॉकडाउन को बताया गलत

अमरावती रेस्टॉरेंट एन्ड लॉजींग एसोसिएशन के सचिव सारंग राउत ने जिले पर लादे हुए तीसरे लॉकडाउन को पूरी तरह से एकतरफा व अन्यायकारक निर्णय बताते हुए कहा कि, होटल व्यवसाय में सीधे तौर पर करीब 25 हजार लोगों की रोजी-रोटी निर्भर करती है और इस लॉकडाउन की वजह से इन सभी लोगोें को काफी दिक्कत होनेवाली है. साथ ही सारंग राउत ने यह भी कहा कि, पिछले दो लॉकडाउन के समय कोई व्यापार-व्यवसाय नहीं रहने के बावजूद होटल व रेस्टॉरेंट संचालकोें सहित शहर के सभी व्यापारियों ने अपने कर्मचारियों को अपनी जेब से पैसा खर्च कर वेतन दिया. किंतु अब सभी व्यापारियों की भी आर्थिक स्थिति खराब है. ऐसे में अब अपनी जेब से कर्मचारियों को वेतन देना भी संभव नहीं है. अत: सरकार ने कोविड संक्रमण की स्थिति को नियंत्रित करने हेतु लॉकडाउन की बजाय किसी अन्य पर्याय पर विचार करना चाहिए.

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