क्या सातबारा पर दर्ज है फसल कर्ज की जानकारी?
अमरावती/दि.25 – विगत खरीफ सीजन के दौरान 1673 करोड रुपए का फसल कर्ज वितरीत किया गया था. यह तय लक्ष्य की तुलना में 90 फीसद था. वहीं आगामी खरीफ सीजन को देखते हुए इस वर्ष भी फसल कर्ज के वितरण का काम शुरु किया गया. ऐसे में नया फसल कर्ज लेने के लिए सातबारा का दस्तावेज कोरा रहना बेहद आवश्यक व महत्वपूर्ण है. क्योंकि यदि सातबारा पर पुराने फसल कर्ज का बोझ चढा हुआ है, यानि पुराना फसल कर्ज अदा नहीं किए जाने की वजह से उसकी जानकारी सातबारा के दस्तावेज पर दर्ज है, तो किसानों को नया फसल कर्ज नहीं मिल पाता है. हालांकि प्रशासन द्बारा दी गई जानकारी के मुताबिक 1 लाख 60 हजार रुपए तक के फसल कर्ज का बोझ सातबारा के दस्तावेज पर नहीं चढाया जाए, ऐसा रिजर्व बैंक का परिपत्रक है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए भंडारा के जिलाधीश ने अपने अधिनस्थ तहसीलदारों को आदेश जारी किए है.
* क्या है भंडारा जिले का आदेश
यदि फसल कर्ज की राशि 1 लाख 60 हजार रुपए तक है, तो उसे सातबारा पर दर्ज न किया जाए, ऐसा आदेश भंडारा के जिलाधीश ने सभी तहसीलदारों को भेजा है.
* फसल कर्ज के लिए कई चक्कर
किसी एक बैंक से फसल कर्ज लेने के लिए संबंधित परिसर के अन्य बैंकों से ‘नील’ का प्रमाणपत्र लाना जरुरी होता है.
इसके अलावा बैंकों में फसल कर्ज वितरण की गति काफी सुस्त रहने के चलते ऐन बुआई के मुहाने पर अपने कामधाम छोडकर किसानों को बैंक में चक्कर मारने पडते है.
– इसके अलावा किसानों द्बारा फसल कर्ज अदा करने के बाद संबंधित बैंक द्बारा उसे ‘नील’ का प्रमाणपत्र दिया जाता है. जिसके बाद अपने सातबारा से कर्ज का बोझ हटाने हेतु संबंधित किसान को फेरफार के लिए पटवारी के यहां चक्कर काटने पडते है.
* अमरावती जिले में यह आदेश क्यों नहीं
अमरावती जिले में यदि फसल कर्ज की राशि 1.60 लाख रुपए तक है, तो उसे सातबारा पर दर्ज नहीं किया जाता. क्योंकि इसी तरह का नियम है. हालांकि कर्ज बकाया रहने के दौरान उक्त जमीन की विक्री नहीं की जाएगी. ऐसा शपथ पत्र लेने का प्रावधान भी है. क्योंकि कई बार ऐसी जमीनों की विक्री मामले में झांसेबाजी व धोखाधडी होने का भी खतरा होता है.
* 1.60 लाख रुपए तक फसल कर्ज रहने पर उसका बोझ सातबारा दस्तावेज पर न चढाया जाए, ऐसा कोई आदेश मेरे कार्यालय से नहीं निकाला गया है. साथ ही ऐसा कोई आदेश एलडीएम अथवा अन्य विभाग से जारी किए जाने को लेकर फिलहाल कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.
– रणजीत भोसले,
उपजिलाधीश (राजस्व)