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क्या वाकई डुप्लिकेट या नकली है वह सर्जिकल साहित्य

ओपन मार्केट व प्राईस कर्टींग से भी जुडा हो सकता है मामला

अमरावती – /दि.9 गत रोज जेएमएस मेडिटेप नामक कंपनी की ओर से दी गई शिकायत के आधार पर कोतवाली पुलिस ने स्थानीय दवा बाजार स्थित हरि ओम एजेंसी के संचालक महेंद्र चांदवानी के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया. जिसके साथ ही इस बात को लेकर बडे पैमाने पर खबरे प्रकाशित होने लगी कि, अमरावती में डुप्लिकेट सर्जिकल सामग्री बेचकर मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड किया जा रहा है. किंतु इस मामले को लेकर की गई पडताल और स्थानीय दवा एवं सर्जिकल साहित्य विक्रेताओं से हासिल की गई जानकारी में पता चला है कि, उक्त सर्जिकल साहित्य को सीधे डुप्लिकेट या नकली सर्जिकल साहित्य नहीं कहा जा सकता. बल्कि देश मेें ‘वन नेशन-वन टैक्सेशन’ की नीति और जीएसटी लागू हो जाने के चलते अब कोई भी व्यापारी कहीं से भी फायदे का सौंदा लेने के लिए स्वतंत्र हो गया है. ऐसे में ओपन मार्केट होने के चलते प्राईस कटींग की प्रतिस्पर्धा बढ गई है. ऐसे में यदि किसी ने कंपनी के वितरक की बजाय किसी अन्य जरिए से माल खरीदा है, तो इसका यह मतलब वह माल डुप्लिकेट या नकली है. ऐसे में इस तरह के मामलों की तह तक जाना जरुरी होता है.
इस संदर्भ में जानकारी हेतु संपर्क किए जाने पर अमरावती केमिस्ट एण्ड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सौरभ मालानी व पूर्व अध्यक्ष सुरेश जैन ने बताया कि, पहले दवा एवं सर्जिकल साहित्य का कारोबार कंपनी से सीएण्डएफ एजेंट व स्टॉकिस्ट के जरिए होते हुए होलसेल व रिटेल विक्रेताओं तक एक सप्लाई चेन के तहत हुआ करता था. क्योंकि तब अलग-अलग राज्यों की टैक्स सिस्टिम अलग-अलग हुआ करती थी और स्थानीय स्तर पर भी कर लगाए जाते थे. ऐसे मेें कीमतों को लेकर काफी झोल व झंझट हुआ करते थे. किंतु अब ‘वन नेशन-वन टैक्सेशन’ की नीति और जीएसटी लागू हो जाने के चलते सभी स्थानों पर दवाईयों की कीमत एक समान हो गई है. वहीं सारा खेल इस बात पर निर्भर करता है कि, कंपनी द्बारा अपने वितरकों के जरिए होलसेल विक्रेताओं को प्राइमरी के अलावा सेकेंडरी स्किम में क्या फायदा दिया जा रहा है. जाहीर तौर पर ज्यादा माल उठाने वाले व्यापारी को सेकेंडरी स्किम भी ज्यादा मिलती है. ऐसे मेें वह कम माल लेने वाले व्यापारी की तुलना में अधिक फायदा देते हुए होलसेलर व रिटेलर को माल उपलब्ध करा सकता है. किंतु इस तरह से खरीदे गए माल को सीधे डुप्लिकेट या नकली नहीं कहा जा सकता.
अमरावती में उजागर हुए मामले को लेकर इन दोनों केमिस्ट पदाधिकारियों सौरभ मालानी व सुरेश जैन का कहना रहा कि, स्थानीय हरि ओम एजेंसी के संचालक महेंद्र चांदवानी ने अहमदाबाद स्थित आरके सर्जिकल नामक प्रतिष्ठान से जेएमएस मेडिटेप का माल मंगाया. चांदवानी के पास इस माल की खरीदी का पक्का बिल और ट्रान्सपोर्ट की बिल्टी है. साथ ही चांदवानी ने आरके सर्जिकल को बाकायदा आरटीजीएस के जरिए पेमेंट का भुगतान किया और आरके सर्जिकल ने अपने द्बारा बेचे गए माल पर जीएसटी भी अदा किया. जिसकी जानकारी जीएसटी पोर्टल पर दिखाई दे रही है. यानि इस मेडिटेप की खरीदी-विक्री मेें सभी नियमों का पालन हुआ है. अगर यह माल डुप्लिकेट होता, तो इसका आर्थिक लेन-देन इतने नियमानुसार कैसे हो पाता. इस बात को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए.
कंपनी की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत के संदर्भ में पूछे जाने पर सौरभ मालानी व सुरेश जैन ने कहा कि, यह सही है कि, जेएमएस मेडी टेप कंपनी की डिस्ट्रीब्यूटरशीप अमरावती के अंबिका मेडीसर्ज नामक प्रतिष्ठान के पास है और महेंद्र चांदवानी ने अंबिका सर्ज से जेएमएस मेडी टेप का माल नहीं लिया था. बल्कि यह खरीदी अहमदाबार के आरके सर्जिकल से की थी. ऐसे में कंपनी ने आरके मेडीसर्ज द्बारा बेचे जा रहे माल को लेकर शिकायत करनी चाहिए थी और हकीकत में जांच इस बात को लेकर होनी चाहिए कि, आरके सर्जिकल द्बारा बेचा गया माल असली है या नहीं या फिर आरके सर्जिकल ने कंपनी से माल खरीदने की बजाय किसी अन्य जरिए डुप्लिकेट माल लाकर बेचा था. ऐसे में इस मामले की सघन जांच होनी चाहिए.

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