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कहीं भूदान जमीनों को लेकर गुमराह तो नहीं हो रही जिलाधीश?

जनवरी 2020 में ही भंग हो चुका है भूदान यज्ञ मंडल

* अब सारे अधिकार है महाराष्ट्र सर्व सेवा संघ के पास
* शिकायतकर्ता का भूदान मामले से नहीं कोई लेना-देना
अमरावती/दि.16- दो दिन पूर्व यह खबर सामने आयी थी कि, आचार्य विनोबा भावे द्वारा शुरू किये गये भूदान आंदोलन में दान के तौर पर प्राप्त जमीनों का लेखा-जोखा रखने और वितरण करने में बडे पैमाने पर अनियमितताएं हो रही है और नरेंद्र बैस नामक व्यक्ति ने खुद को भूदान यज्ञ मंडल के भूदान अंकेक्षण का सचिव बताते हुए इस संदर्भ में जिलाधीश पवनीत कौर के समक्ष अपनी शिकायत दर्ज करायी थी. लेकिन अब मामले की जांच-पडताल के बाद पता चला है कि, अखिल भारतीय सर्व सेवा संघ (वर्धा) ने मध्यप्रदेश भूदान यज्ञ अधिनियम 1953 की धारा 15 (2) का प्रयोग करते हुए अधिनियम की धारा 15 (1) व धारा 33 (अ) के तहत भूदान यज्ञ मंडल को बर्खास्त करने का आदेश काफी पहले ही जारी कर दिया था और महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी सरकारी आदेश के जरिये 31 जनवरी 2020 को ही भूदान यज्ञ बोर्ड को भंग कर दिया गया है. ऐसे में इस तरह के किसी बोर्ड अथवा उसके किसी सचिव या अंकेक्षक के अस्तित्व में रहने का सवाल ही नहीं उठता. जिसके चलते अब यह संदेह गहरा रहा है कि, कहीं इस मामले को लेकर अमरावती की जिलाधीश पवनीत कौर को गुमराह करने का प्रयास तो नहीं किया जा रहा.
उल्लेखनीय है कि, 30 मई 2019 को महाराष्ट्र सरकार के राजपत्र में राजस्व एवं वनविभाग के संदर्भ में जारी अधिसूचना में अ. भा. सेवा संघ का हिस्सा रहनेवाले महाराष्ट्र प्रदेश सेवा संघ द्वारा गठित भूदान यज्ञ बोर्ड के अध्यक्ष, सचिव व सदस्यों के नामोें को अपनी मान्यता प्रदान की गई थी और इससे पहले 30 मई 2018 को गठित भूदान यज्ञ बोर्ड को भंग कर दिया गया था. राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्रदान किये गये बोर्ड में अध्यक्ष के तौर पर शंकर हरी बागडे (खामगांव, जि. बुलडाणा) तथा सचिव के तौर पर एकनाथ श्यामराव डगवार (यवतमाल) के साथ ही सदस्य के तौर पर अनिल हरिश्चंद्र गावंडे (नेर, जि. यवतमाल), डॉ. शिवचरणसिंह ठाकुर (केलीवेली, जि. अकोला), नरेंद्र द्वारपालसिंह बैस (अंजनगारी, जि. अमरावती), रणजीत किशनराव बोबडे (घाटंजी, जि. यवतमाल), प्रशांत विलासराव समर्थ (मूल, जि. चंद्रपुर), अरूण देशपांडे (नागपुर), माया दशरथ धांडे (जलगांव जामोद, जि. बुलडाणा), जयंत दत्तात्रय नंदापुरे (लोणी, दारव्हा, जि. यवतमाल), मदन येवले (तरहाला, जि. वाशिम) का समावेश रहनेवाले भूदान यज्ञ मंडल को अपनी मान्यता प्रदान की गई है. जिसमें शिकायतकर्ता व्यक्ति का नाम ही शामिल नहीं है और जिस संगठन या यज्ञ मंडल के नाम पर यह शिकायत की गई है, उसकी कोई वैधानिकता भी नहीं है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, भूदान की जमीनों के अव्यवस्थापन को लेकर आरोप लगाते हुए और शिकायतें दर्ज कराते हुए अमरावती की जिलाधीश पवनीत कौर को गुमराह करने का कुछ लोगों द्वारा प्रयास किया जा रहा है.

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